रविवार, 27 फ़रवरी 2022
शनिवार, 26 फ़रवरी 2022
गबन करो,जेल जाओ,फिर मौज करो
गबन करो,जेल जाओ,फिर मौज करो
भारत देश मे यदि भ्र्ष्टाचार न होता तो आज अर्थव्यवस्था बहुत ऊंचाई पर होती।पिछली सरकारों में भ्र्ष्टाचार चरम सीमा पर था। कॉमनवेल्थ गेम में कलमाड़ी घोटाला समेत अन्य बहुत से लाखों करोड़ के बैंक घोटाले जो राजनेता, कॉरपोरेट्स एवं बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से हुए और सभी पर कोई कार्यवाही भी नही हुई।कुछ पर हुई तो कुछ दिन जेक में रहे फिर गबन राशि से मौज करी।
बिहार में लालू चारा घोटाला एवं डोरंडा कोषागार 139 करोड़ का घोटाला जिसमे फिर से लालू को जेल हो रही है। जेल जाते ही ये नेतालोग बीमारी का ढोंग कर अस्पताल आ जाते है जब पैरोल पर छूटते हैं तो ठीक रहते हैं।सवाल यह है की लालू जैसो से गबन की रकम की पूर्ति क्यो नही की जाती है।गरीब घर मे रहा लालू परिवार आज करोड़ो का मालिक है।
2014 के बाद से मोदी सरकार में इन सभी घोटालेबाज़ों पर कार्यवाही की जा रही है। विजय माल्या जैसे की संपत्ति कब्जे में ली जा रही है।लचीले नियम जिनका फायदा गबन कर्ता उठाते थे ऐसे सभी नियम कानूनों को कड़ा किया जा रहा है। हालांकि अभी भी ऐसे भ्र्ष्टाचार पर पूर्ण रूप से पाबंदी तो नही लग पाई है लेकिन ऐसे मामलों में बहुत कमी आई है। जनता की भलाई का धन गबन करने वालो पर और भी सख्त कार्यवाही होनी चाहिए और गबन का धन उसकी सभी सम्पत्तियों को कुर्क कर बसूलना चाहिए।
सुनील जैन राना
शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022
यूक्रेन
1) यूक्रेन ने कश्मीर मुद्दे पर UNO में भारत के खिलाफ वोट दिया था।
2) यूक्रेन ने परमाणु परीक्षण मुद्दे पर UNO में भारत के खिलाफ वोट दिया था।
3) यूक्रेन ने UNO की सिक्योरिटी कौंसिल में भारत की स्थायी सदस्यता के खिलाफ वोट किया था।
4) यूक्रेन पाकिस्तान को हथियार सप्पलाई करता है।
5) यूक्रेन अल कायदा को समर्थन देता है।
युक्रेन से भारतीय होने के नाते मुझे कोई भी सहानुभूति नही है। और उसका कारण भी है।
युक्रेन ने भारत का कभी भी साथ नही दिया। जब हमारे उपर प्रतिबन्ध लगा तो UNO मे उसने प्रतिबन्ध के पक्ष मे वोट किया।
इसके पास यूरेनियम का बाद भंडार था फिर भी बार बार मांगे जाने पर भी इसने कभी भी देना तो दूर हमारे तत्कालीन PM को दूरदूरा दिया। सीधे मुँह बात तक नही किया, जबकि भारत अपनी ऊर्जा के लिए यूरेनियम खोज रहा था।
अब उसका क्या होता है इसपर मेरा कोई भी मत नही है। हां उसके नागरिको के साथ सहानुभूति अवश्य है। कमज़ोर युक्रेन(जो की अपने आप बना) के साथ वही हो रहा है तो नेहरू जी के समय 1947 से पहले और उसके बाद हुआ। अर्थात विभाजन और देश के सीमा पर अतिक्रमण।
इसलिए जो लोग यूक्रेन के समर्थन में दुबले हो रहे है उनको समझना चाहिए कि यूक्रेन हमारा एक दुश्मन है जिसने कभी भारत का साथ नही दिया .
रविवार, 20 फ़रवरी 2022
सब जीत रहे हैं, हारेगा कौन?
सब जीत रहे हैं, हारेगा कौन ?
पांच राज्यो में चुनाव हो रहे हैं। सभी दलों के मुखिया हार जीत का अनुमान लगा रहे हैं। अभी तक टीवी चैनलों पर एग्जिट पोल आ रहे थे लेकिन अब एग्जिट पोल पर प्रतिबंद लगा दिया गया है।चुनावो के पूर्ण होने तक किसी भी प्रकार के एग्जिट पोल पर प्रतिबंद लगा दिया गया है।
एग्जिट पोल भी कमाल की चीज है।एग्जिट पोल में टीवी चैनल जिसको अधिक सीटे मिलना बताते है तो अन्य दल उस चैनल को बिका हुआ करार दे देते है। यही चैनल यदि दूसरे राज्य में जीता हुआ बता देते हैं तो फिर वही चैनल निष्पक्ष दिखाई देता है। खैर कुछ भी हो टीवी पर एग्जिट पोल देखना सबको अच्छा लगता है। लेकिन अब चुनावो तक देख नही पाएंगे।
चुनावों में एक मज़ेदार बात यह भी है की सभी दलों के मुखिया प्रवक्ता अपने आप को जीतता हुआ बताते हैं। यहां तक की निर्दलीय भी जीत का ख्बाब देखना नही भूलते। यह भी सत्य है की कहीं कहीं सबको पछाड़ते हुए निर्दलीय बाज़ी मार ले जाते हैं। ऐसा दो कारणों से होता है या तो निर्दलीय की साख बहुत हो या फिर वो बाहुबली हो। कुल मिलाकर ऐसा लगता है की यदि सब जीत रहे हैं तो फिर हारेगा कौन ?
उत्तर प्रदेश में बीजेपी, सपा में टक्कर की लड़ाई चल रही है। बसपा पीछे है और कांग्रेस नीचे है, बाकी सबका पता नही कहाँ हैं। इन चुनावों में एक बात पहली बार हो रही है की चुनाव में विकास और सुशासन पर जनता अधिक ध्यान दे रही है। यह भी महत्वपूर्ण है की पिछले चुनावों में सभी दलों का रुझान मुस्लिम वोटरों पर रहता था इस बार हिन्दू वोटो को लुभाने की फिराक में सभी दल लगे है। जो कभी मन्दिर नही जाते थे वे मंदिरो के चक्कर लगा रहे हैं। ओवैसी जो सिर्फ मुसलमानों की बात करते थे उन्हें भी हिंदुत्व का याद आ रहा है। सुखद बात यह है की इस बार जातिवाद के मुकाबले विकास औऱ सुशासन पर जनता का अधिक जोर है जो भारतीय लोकतंत्र के लिये बहुत हितकारी है।
सुनील जैन राना
सोमवार, 7 फ़रवरी 2022
शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022
सड़को पर आवारा पशु किसके
सड़को पर आवारा पशु किसके?
सड़को पर आवारा पशु के नाम पर गोवंश का नाम सामने आ जाता है। बहुत विडम्बना की बात है की भारत देश मे जहां एक तरफ गोमाता औऱ नन्दी को पूजा जाता है वहीं दूसरी ओर सड़को पर गोवंश भोजन की तलाश में आवारा घूमता है और कचरे कबाड़े में से कुछ खाकर पेट भरता है।
सवाल यह है की यह आवारा गोवंश किसका होता है। बहराल कहीं न कहीं से तो यह सड़को पर आता ही है। इसका जबाब यही ठीक लगता है की जो लोग गाये पालते हैं उनकी गाय यदि बछड़ा दे दे तो वे समझते हैं कि यह किसी काम का नही और थोड़ा सा बड़ा होने पर कुछ अच्छे लोग सड़कों पर छोड़ देते है और कुछ लोग कसाई को बेच देते हैं। यही बात बांझ गाय पर लागू होती है। ऐसा होना बहुत शर्मनाक है।हिन्दू लोग एक तरफ गाय को गोमाता कहते हैं और दूसरी तरफ कुछ हिन्दू लोग उसे आवारा सड़क पर छोड़ देते है। गाय को अधिकांशतः हिन्दू ही पालते हैं।
राज्य सरकारों द्वारा आवारा गोधन के लिये गौशाला भी बनवाई जाती है। साथ प्रत्येक गोधन के लिये अनुमानित चारा खर्च भी दिया जाता है। लेकिन भ्र्ष्टाचार के चलते अनेको गौशाला की स्तिथी चिंताजनक है। भूख के कारण गाय मर जाती हैं। बरसात में गोधन की बहुत दुर्दशा रहती है। पता नही इनके संचालक किस मट्टी के बने होते है जिनकी गोशाला में गोधन भूख प्यास से मर जाते हैं।
हमारे ऋषि विद्वान आदि की भी गोशाला होती है। उनकी गोशाला में दूध देने वाली गाये होती हैं। यदि कोई बांझ गाय को वहां भेजना चाहे तो वे नही लेते। यह बहुत शर्मनाक है। अनेक विद्वान अपने प्रवचन में गायो की महत्ता तो बताते हैं लेकिन अपने भक्तों को गाय पालने को प्रेरित नही करते। यदि ऐसे विद्वान खुद भी दूध न देने वाला गोधन पालें और अपने भक्तों को भी प्रेरित करें तो आवारा गोधन की समस्या से मुक्ति मिल सकती है। सिर्फ सरकारी स्तर पर आवारा गोधन की समस्या से निजात नहीं मिल सकती है। हम सभी मे जिस प्रकार गाय के प्रति आस्था है ठीक उसी प्रकार असहाय गोवंश के प्रति भी सहानुभूति होनी चाहिए।
सुनील जैन राना
बुधवार, 2 फ़रवरी 2022
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