रविवार, 28 नवंबर 2021
बैंकिंग भ्र्ष्टाचार लील रहा अर्थव्यवस्था
बैंकिंग भ्र्ष्टाचार लील रहा अर्थव्यवस्था
भारत मे यदि बैंकिंग भ्र्ष्टाचार न होता तो आज भारत की अर्थव्यवस्था ऊंचाइयों पर होती।कांग्रेस की मनमोहन सरकार की दूसरी पारी में नेताओ,कॉरपोरेट एवम बैंक अधिकारियों की मिलीभगत ने मोदी सरकार के आने तक बैंको के लगभग 9 लाख करोड़ रुपये एनपीए यानी बट्टे खाते कर दिए गए थे।जिसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था छिन्न भिन्न हो गई थी।पीएम मनमोहन जी बोले थे पैसे पेड़ पर नही उगते, भले ही उनके वित्तमंत्री ने गमलों में उगा दिये थे।
पिछली सरकार में नेताओ एवम कुछ कॉपोरेट्स ने बैंकों के साथ मिलीभगत कर हज़ारो फ़र्ज़ी कम्पनियां खोलकर लाखो करोड़ लोन लेकर डकार गए। विजय मालया, नीरव मोदी जैसे तो छोटे खिलाड़ी हैं। बड़े लोन तो अनिल अंबानी,भूषण स्टील,एयर इंडिया,एयरटेल,वोडाफोन, आइडिया आदि जैसी अनेक कम्पनियों ने बैंकों का ऋण चुकता नही किया।
अब मोदी सरकार ने बैंकों के ऋण सम्बन्धी कठोर नियम बना दिये हैं।हज़ारो फ़र्ज़ी कम्पनियों बन्द कर उनसे उगाही की जा रही है। पहले किसी की कोई जबाबदेही नहीं थी अब नियमों से ऋण दिया जा रहा है।हालांकि अभी भी पूर्ण रूप से भृष्टाचार पर रोक नही लग पाई है लेकिन जबाबदेही होने से भ्र्ष्टाचार में बहुत कमी आई है।
सुनील जैन राना
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