गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021
मनोरंजन बैंक के नोट
मनोरंजन बैंक के नोट छापने की परमिशन किसे मिलती है? कैसे मिलती है? क्यों मिलती है?
मनोरंजन बैंक के नोट हूबहू असली नोट की तरह ही दिखाई देते हैं। इनका पेपर पतला होता है और इन पर मनोरंजन बैंक लिखा होता है।
मनोरंजन बैंक के नोट छपने की क्या जरूरत पड़ती है? किसके मनोरंजन के लिए मनोंरजन बैंक नाम देकर नोट छापे जाते हैं? क्या कोई भी मनोरंजन बैंक के नाम से नोट छाप सकता है?
दरअसल यह बहुत पेचीदा सवाल है की असली नोटो की हूबहू शक्ल जैसे नकली नोट छापना क्या देशहित में है? यदि सरकारी परमिशन द्वारा ऐसे नोट छापे जाते हैं तो क्या उस प्रेस की निगरानी होती है? क्या यह सम्भव नहीं है की हूबहू नकली नोटों की आड़ में हूबहू असली जैसे नकली नोट छापे जा सकें?
गावँ -देहात ही नहीं बल्कि शहरों के अनेक बुजुर्ग लोग भी कभी -कभी मनोरंजन बैंक के नोट को असली समझ धोखा खा जाते हैं। आम प्रचलन में इतने डिजाईन एवं कलर के नोट आ गये हैं जो गाँव -देहात तक बहुत दिनों के बाद बहुत कम मात्रा में पहुंचते हैं। ऐसे में मनोरंजन बैंक के नोटो के द्वारा धोखाधड़ी भी की जा सकती है या कहीं -कहीं होती भी होगी।
सरकार को मनोरंजन बैंक के असली नोटो जैसे नकली नोट बनाने की परमिशन देनी नहीं चाहिये। इन नोटो से फायदा कुछ नहीं नुक्सान बहुत भयंकर वाला हो सकता है। साथ ही सरकार/रिजर्व बैंक को चाहिये की अब जब सभी नये नोट आ गये हैं तो पुराने नोट प्रचलन से बाहर कर देने चाहिये। आम आदमी /व्यापारी कई -कई मेल के नोटो से बहुत दुखी है। बैंक वाले भी परेशान हैं की जब एक सौ के नोट की गड्डी में सौ के नये व् पुराने नोट मिक्स होते हैं तो उन्हें गिनने में बहुत समय लगता है। ऐसे में किसी का ज्यादा कैश मिक्स नोटो का हो तो समझिये कितना समय लगता होगा।
अंत में इतना ही कहना चाहते हैं की मनोरंजन नोट कसी भी दृस्टि से देशहित में नहीं हैं। *सुनील जैन राना *
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