शुक्रवार, 25 जनवरी 2019
बुधवार, 23 जनवरी 2019
मंगलवार, 22 जनवरी 2019
पशु उत्पीड़न
----------------
मांसाहार का प्रचलन तो बढ़ ही रहा है जिसमे पशु -पक्षियों का वध किया जाता है लेकिन हम शाकाहारी लोग भी रोजमर्रा में घटित पशु क्रूरता पर ध्यान नहीं देते। खुद भी देखभाल नहीं चलते जिसके कारण न जाने कितने जीव मरे पैरों तले आकर मर जाते होंगे।
बोझा ढोने वाले पशुओ की पीड़ा हम सोच भी नहीं सकते। कितना शारीरिक दुःख सहते हैं ऐसे जानवर। बहुत कम पशु मालिक अपने बोझा ढोने वाले पशु की समुचित देखभाल करते हैं। उनकी बेल्ट बाँधने की जगह जख्म हो जाते हैं ,उनके नथुनों में रस्सी पिरो दी जाती है ,पैरो में नाल जकड़ दी जाती है।
फिर उनपर बेहताशा बोझा लादकर हंटर स पीटा जाता है। समय पर दाना -पानी नहीं दिया जाता। जख्मो पर मलहम नहीं लगाया जाता। यह सब हम जब सड़क के किनारे पशु चिकित्सा शिविर लगाते है तब देखते हैं।
यही नहीं बल्कि टूटे पैर वाले घोड़े तक जुते मिल जाते हैं।
देश भर में पशु क्रूरता विभाग बना है लेकिन सिर्फ नामचारे को। काश सरकार इस विषय में चिंतन करे।
सुनील जैन राना (संयोजक )श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र ,चिलकाना रोड ,सहारनपुर -247001 (उत्तर प्रदेश )
https://www.facebook.com/jeevrakshakendra
शनिवार, 19 जनवरी 2019
https://www.facebook.com/jeevrakshakendra
श्री दया सिंधु जिव रक्षा केंद्र ,चिलकाना रोड ,सहारनपुर 247001 (उप्र )
१४ से ३० जनवरी प्रतिवर्ष पशु पक्षी कल्याण पखवाड़ा मनाया जाता है।
जिसमे अनेको जिव दया के कार्य किये जाते हैं।
प्रथम निशुल्क पशु पक्षी चिकित्सा शिविर मंडी समिति रोड पर पुलिस
चौकी के सामने लगाया गया। शिविर में ४१६ पशु पक्षियों के लिए दवाई
मलहम आदि वितरित किया गया। बोझा धोने वाले पशु मालिकों को अपने
प्यारे पशु पर ज्यादा बोझा न लादने ,समय पर दाना -पानी देने को जागरूक
किया गया।
इस अवसर पर तीन नंदी बैल भी उपचार के लिए आये जिन्हे दवाई आदि दी गई।
अनेको घोड़े -झोटे -बकरी -कबूतरों आदि के उपचार को दवाई आदि दी गई।
सुनील जैन राना (संयोजक )
बुधवार, 16 जनवरी 2019
नये डिज़ाइन के सिक्के बनेंगे -पता नहीं क्यों ?
-------------------------------------------------------
प्राप्त समाचारों के अनुसार भारत सरकार एक रूपये से लेकर दस रूपये तक के सभी सिक्को को नये डिज़ाइन में बदलने की तैयारी कर रही है। जबकि रिज़र्व बैंक के द्वारा बीस रूपये के नये नोट की तैयारी अपने अंतिम चरण में थी उसको भी अब कागज की अधिक खपत के कारण अब बीस रूपये का सिक्का बाजार में लाया जायेगा।
सरकार का निर्णय है तो ऐसा होगा ही लेकिन आज देश में सिक्कों की अधिकता से सभी परेशान हैं। आम आदमी -व्यापारी -बैंक आदि सभी बेहताशा सिक्कों के प्रचलन से परेशान हैं। आम आदमी -व्यापारी अपने पास सिक्के रखना चाहता नहीं ,बैंक सिक्के लेता नहीं। ऐसे में सरकार द्वारा नये सिक्के बनाने का एलान ठीक नहीं लगता।
देश में पहले ही कई -कई डिज़ाइन के हर मेल के सिक्के प्रचलन में हैं। कुछ सिक्को को तो नकली बताकर लेनदेन से बाहर किया जा रहा है। दस रूपये के एक डिज़ाइन के सिक्के कोई लेता नहीं। ऐसे में पुनः सभी मेल के नये सिक्के बनाने का क्या ओचित्य है समझ में नहीं आता ?
बीस रूपये का नया नोट कागज की कमी बताकर बनाया नहीं जा रहा जबकि इससे पहले एक रूपये का नया नोट बाजार में उतार दिया गया जिसकी कोई जरूरत नहीं थी। अब यदि जरूरत है तो एक हज़ार के नोट की है। आज आम आदमी को दो हज़ार के नोट को भुनाने में बहुत परेशानी होती है।
सभी बात का अभिप्राय यह है की देह में सिक्को की भरमार है। सिक्को की अधिकता से सभी परेशान हैं। ऐसे में फिर से नये सिक्के बनाने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता है।
http://suniljainrana.blogspot.com/
गुरुवार, 10 जनवरी 2019
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
ध्वजारोहण
*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-* स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क...