चुनावों से पूर्व मुफ्त की बंदरबाट पर रोक लगे
चुनावों से पूर्व राजनीतिक दल चुनाव में जीतने के लिए जनता को मुफ्त में कुछ भी देने या बैंको से लिया कर्जा माफ़ करने की घोषणाएं करने लगते है। देश की सभी पार्टियां इस कार्य में पीछे नहीं हैं।
अभी हाल ही में हुए पांच राज्यों के चुनावों में भी यही हाल रहा। तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। अब इन्हे अपने किये वायदों को पूरा करना पड़ेगा। खासकर किसानों के कर्ज माफ़ी की घोषणा के कारण ही कांग्रेस को चुनाव में जीत मिली है। अब सरकार बनने के दस दिन के अंदर उन्हें किसानों का कर्ज माफ़ करना होगा। हो सकता है कांग्रेस अपना किया वायदा निभाये। लेकिन ऐसे वायदे राज्य की अन्य जनता के लिए धोखा ही हैं। किसी भी राज्य को चलाने के लिए धन की जरूरत होती है। यदि धन सरप्लस होता तो राज कर रही पहली सरकार ही कर्जा माफ़ कर देती।
इस तरह फ्री में बाटने की प्रवृति से राज्य की अन्य योजनाओं पर असर पड़ता है। एक राज्य के पास जितना धन या राजस्व होता है उसी में जनता की भलाई के कार्य करने होते हैं। ऐसे में उसमे से अधिकांश धन किसी की भलाई में खर्च कर देने से विकास कार्य रुकेंगे ही।
चुनावो से पूर्व मुफ्त में बाटने की प्रवृति पर पाबंदी लगनी चाहिए। कोई भी राजनीतिक दल यदि कुछ भी मुफ्त में बाटने की घोषणा करता है तो वह उसे अपनी पार्टी के फण्ड से बांटना चाहिए।
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