बुधवार, 23 जुलाई 2025

रात्रि भोजन हानिकारक

*समस्त रोगों की जड़ है - रात्रिभोजन*

 *आयुर्वेदाचार्य पंकज गोयल जी लखनऊ उत्तर प्रदेश*
*9125692839*

समस्त रोगों की दवा
#कालभोजनम।।

किसी भी चिड़िया को डायबिटीज नहीं होती। 
किसी भी बन्दर को हार्ट अटैक नहीं आता ।
कोई भी जानवर न तो आयोडीन नमक खाता है और न ब्रश करता है, फिर भी किसी को थायराइड नहीं होता और न दांत खराब  होता है ।

बन्दर शरीर संरचना में मनुष्य के सबसे नजदीक है, बस बंदर और आप में यही फर्क है कि बंदर के पूँछ है आप के नहीं है, बाकी सब कुछ समान है। 

तो फिर बंदर को कभी भी हार्ट अटैक, डायबिटीज , high BP , क्यों नहीं होता है?

एक पुरानी कहावत है बंदर कभी बीमार नहीं होता और यदि बीमार होगा तो जिंदा नहीं बचेगा मर जाएगा! 
बंदर बीमार क्यों नहीं होता?

हमारे एक मित्र  बताते हैं कि एक बहुत बड़े , प्रोफेसर हैं, मेडिकल कॉलेज में काम करते हैं । उन्होंने एक बड़ा गहरा रिसर्च किया कि बंदर को बीमार बनाओ। तो उन्होने तरह - तरह के virus और वैक्टीरिया बंदर के शरीर में डालना शुरू किया, कभी इंजेक्शन के माध्यम से कभी किसी और माध्यम से । वो कहते है, मैं 15 साल असफल रहा , लेकिन बंदर को कुछ नहीं हुआ ।

मित्र  ने प्रोफेसर से कहा कि आप यह कैसे कह सकते है कि बंदर को कुछ नहीं हो सकता ? तब उन्होंने एक दिन यह रहस्य की बात बताई वो आपको भी बता देता हूँ कि बंदर का जो RH factor  है वह सबसे आदर्श है । कोई डॉक्टर जब आपका RH factor नापता है, तो वह बंदर के ही RH Factor से तुलना करता है , वह डॉक्टर आपको बताता नहीं यह अलग बात है।

उसका कारण यह है कि, उसे कोई बीमारी आ ही नहीं सकती । उसके ब्लड में कभी कॉलेस्टेरॉल नहीं बढ़ता , कभी ट्रायग्लेसराइड नहीं बढ़ती , न ही उसे कभी डायबिटीज होती है । शुगर को कितनी भी बाहर से उसके शरीर में इंट्रोडयूस करो, वो टिकती नहीं । तो वह प्रोफेसर साहब कहते हैं कि यही चक्कर है , कि बंदर सबेरे सबेरे ही भरपेट खाता है। जो आदमी नहीं खा पाता है , इसीलिए उसको सारी बीमारियां होती है ।

 सूर्य निकलते ही सारी चिड़िया , सारे जानवर खाना खाते हैं । 
जब से मनुष्य इस ब्रेकफास्ट , लंच , डिनर के चक्कर में फंसा तबसे मनुष्य ज्यादा बीमार रहने लगा है ।

प्रोफेसर रवींद्रनाथ शानवाग ने अपने सभी मरींजों से कहा कि  सुबह सुबह भरपेट खाओ। उनके मरीज बताते है कि, जबसे उन्हांने सुबह भरपेट खाना शुरू किया तबसे उन्हें डायबिटीज यानि शुगर कम हो गयी, किसी का कॉलेस्टेरॉल कम हो गया, किसी के घुटनों का दर्द कम हो गया , किसी का कमर का दर्द कम हो गया गैस बनाना बंद हो गई, पेट मे जलन होना बंद हो गया ,नींद अच्छी आने लगी….. वगैरह ..वगैरह । 
और यह बात बागभट्ट जी ने 3500 साल पहले कहा, कि सुबह का किया हुआ भोजन सबसे अच्छा है ।

सुबह सूरज निकलने से ढाई घंटे तक यानि 9.30 बजे तक, ज्यादा से ज्यादा 10 बजे तक आपका भरपेट भोजन हो जाना चाहिए। और ये भोजन तभी होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे । यह नाश्ता का प्रचलन हिंदुस्तानी नहीं है , यह अंग्रेजो की देन है , और रात्रि का भोजन सूर्य अस्त होने से आधा घंटा पहले कर लें । तभी बीमारियों से बचेंगे । सुबह सूर्य निकलने से ढाई घंटे तक हमारी जठराग्नि बहुत तीव्र होती है । हमारी जठराग्नि का सम्बन्ध सूर्य से है ।हमारी जठराग्नि सबसे अधिक तीव्र स्नान के बाद होती है । स्नान के बाद पित्त बढ़ता है , इसलिए सुबह स्नान करके भोजन कर लें । तथा एक भोजन से दूसरे भोजन के बीच ४ से ८ घंटे का अंतराल रखें बीच में कुछ न खाएं, और दिन डूबने के बाद बिल्कुल न खायें।। 
चूंकि यह पक्षियों और जंगली जानवरों की दिनचर्या में सम्मिलित है, अत: वे अमूमन बीमार नहीं होते।।

मूल ग्रन्थ
।।अष्टांग हृदय।

मंगलवार, 22 जुलाई 2025

अरण्डी का तेल

🛑 हर रोग की रामबाण दवा अरंडी का तेल जानिए इसके फायदे...🧵
गांव में अरंडी के पौधे आज भी हर कहीं उगे हुए देखे जा सकते है... गांव के लोग अरंडी को बहुत अच्छे से जानते है, जब भी कभी मोच आ जाती हैं अरंडी के पत्ते सबसे पहले याद आते है... वैसे अब स्थिति बदली हैं, जरा सा कुछ होने पर भी डॉक्टर,मेडिकल पर टूट पड़ते है...हमनें अपनी स्थिति भले ही बदल ली हैं लेकिन पौधे ने अपना गुण धर्म नही खोया है...

🔵 आज शहरी जगत में हर कहीं Castor-oil की चर्चा आपको सुनने को मिल जाएगी,उसके गुणों का बखान भी मिला जाएगा,,पर उसका सीधा इस्तेमाल कोई नही करता,ओर अधिकतर लोग पौधे को भी नही पहचानते.....अरंडी के तेल में पाए जाने वाले गुणों की वजह से यह स्वास्थ्य और सुंदरता दोनों में फायदा करता है। जानते है अरंडी के तेल के फायदे

1. काले धब्बे साफ़ करे -:

अरण्डी का आयल और नारियल के तेल की कुछ बुँदे ले और इसे चेहरे के काले धब्बो पर लगाए इससे काले धब्बे मिट जाएंगे।

2.गठिया रोग में -:

गठिया रोगी व्यक्ति की अरंडी के तेल से मालिश करने पर उसे दर्द में आराम होता हैं। यह मांसपेशियों के दर्द को कम करता है।

3.कब्ज में फायदा -:

कब्ज के लिए कैस्टर ऑयल का उपयोग कैसे करें तो इसके लिए आधा चम्मच तेल एक कप गर्म दूध में मिलाकर पियें।

4. बालों के लिए -:

इस तेल को बालों की सुंदरता और बालों की समस्या के लिए प्रयोग किया जाता है। बालों में अरंडी का तेल लगाने से बाल चमकदार, लम्बे, घने होते है। इससे बालों का रूखापन और डैंड्रफ भी खत्म हो जाती है।

5.पेट की चर्बी कम करे -:

हरे अरंड की २० - ५० ग्राम जड़ ले इसे धोकर कूट ले। अब २०० मिली पानी में पका ले। ५० मिली रह जाने पर इसका सेवन करे इससे पेट कम होगा।

6. पाइल्स से छुटकारा -:

20 से 30 मिली अरंड के पत्ते का काढ़ा बनाकर 25 मिली एलोवेरा के रस में मिलाकर सुबह शाम पीने से पाइल्स में लाभ होगा।

7. किडनी की सूजन कम करने में सहायक -:

किडनी की सूजन को कम करने में अरंड की मींगी को पिसे। इसे गर्म करके पेट के आधे भाग में लेप करे सूजन में आराम होगा।
8.आँखों में -:

अरंडी के तेल की कुछ बुँदे ले और आँखों के आसपास हल्की मालिश करे इससे आँखों की सूजन में आराम होगा।

9. झुर्रिया मिटाये -:

यह मॉइश्चराइजर की तरह काम करता है जो समय से पहले आने वाले बुढ़ापे को रोकता है और झुर्रियों को खत्म करता है।

10.साइटिका के दर्द को कम करे -:
यह साइटिका के दर्द को कम करने में मदद करता है।

11. मासिक विकार में राहत -

पीरियड्स में होने वाले दर्द से छुटकारा पाने के लिए अरंड के पत्ते गर्म करके पेट पर बाँधने से लाभ होता है।

12.मस्से के लिए -:

एलोवेरा रस में अरंडी का तेल मिलाकर लगाने से मस्सों की जलन में राहत मिलती है।

13.शरीर की मालिश -

बॉडी मसाज के लिए इस तेल का उपयोग कर सकते है इससे बॉडी पर चमक आती है।

साभार 

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कल्याण सिंह

बाबरी गिरते ही शाम तक UP सरकार गिरी और 2017 तक UP मे बहुमत नहीं मिला और उसी दिन 4 BJP शासित राज्यों मे कॉंग्रेस ने राष्ट्रपति शासन लगाया।

मोदी जी और योगी जी खुल कर क्यों नहीं बोलते आज उसका उत्तर इस पोस्ट से मिल जाएगा। जिसके लिए हम उनके आभारी हैं। 
हिन्दुओं की कायरता और दोगलापंथी के कारण ही मोदी जी और योगी जी खुल कर नहीं बोलते हैं वो जानते हैं कि हिन्दू पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मारता बल्कि कुल्हाड़ी पर अपना सिर ही मार लेता है।

नब्बे के दशक में कल्याण सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बने, भाजपा ने अयोध्या में राम मंदिर को लेकर पूरे भारत में रथ यात्राएं निकाली थी।
उत्तर प्रदेश की जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश की सत्ता दी; यानी खुल के कहा की जाओ मंदिर बनाओ।

कल्याण सिंह बहुत भावुक नेता थे, सरकार बनने के बाद तुरन्त विश्व हिन्दू परिषद को बाबरी मस्जिद से सटी जमीन कार सेवा के लिए दे दी, संघ के हज़ारों कार सेवक साधू संत दिन रात उस जमीन को समतल बनाने में लगे रहते थे।

सुप्रीम कोर्ट ये सब देख के बहुत परेशान था, सर्वोच्च न्यायालय ने कल्याण सिंह से साफ़ कह दिया की आपको पक्का यकीन हैं ना की ये हाफ पैंट पहने लोग सिर्फ यहाँ की जमीन समतल करने आये हैं ?
मतलब की अगर आपके लोगों ने बाबरी मस्जिद को हाथ लगाया तो अच्छा नहीं होगा। 

कल्याण सिंह ने मियालार्ड को समझाया और बाकायदा लिख के एक हलफनामा दिया की हम लोग सब कुछ करेंगे लेकिन मस्जिद को हाथ नहीं लगायेंगे।

तो साहब अयोध्या में कार सेवा के लिए दिन रखा गया 6 दिसंबर 1992 और केंद्र की कांग्रेसी सरकार से कहा कि केवल 2 लाख लोग आयेंगे कार सेवा के लिए लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 लाख लोगों को कार सेवा के लिए बुला लिया प्रशासन को ख़ास हिदायत थी की भीड़ कितनी भी उग्र हो कोई गोली लाठी नहीं चलाएगा।
5 लाख लोग एक जगह जुट गए जय श्री राम और मदिर वहीं बनायेंगे के नारे लगने लगे । लोगों को जोश आ गया और लोग गुम्बद पर चढ़ गए 5 घंटे में उस 400 साल पुरानी मस्जिद का अता पता नहीं था, ऐसा काम कर दिया एक एक ईंट कार सेवकों ने उखाड़ दी। केंद्र सरकार के गृह मंत्री का फोन कल्याण सिंह के C.M. ऑफिस में आया।

गृह मंत्री ने कल्याण सिंह से पूछा ये सब कैसे हुआ ?
कल्याण सिंह ने कहा की "जो होना था वो हो गया अब क्या कर सकते हैं" ?
एक गुम्बद और बचा है कार सेवक उसी को तोड़ रहे हैं, लेकिन आप जान लीजिये कि मै गोली नहीं चलाऊंगा (ये वाकया खुद कल्याण सिंह ने एक भाषण में बताया है) उधर सुप्रीम कोर्ट में मिलॉर्ड कल्याण सिंह से बहुत नाराज थे।

6 दिसंबर की शाम कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया और उधर काँग्रेस ने भाजपा की 4 राज्य की सरकार को बर्खास्त कर दिया, कल्याण सिंह को एक दिन की जेल हो गयी, केंद्र में नरसिम्हा राव जी सरकार थी; तुरंत में एक झटके से देश के 4 राज्यों में बीजेपी की सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश में दुबारा चुनाव हुए, बीजेपी को यही लगा की हिन्दुओं के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी देने के बाद उत्तर प्रदेश की जनता उन्हें फिर से चुनेगी लेकिन हुआ उलटा।

बीजेपी उत्तर प्रदेश चुनाव हार गयी और फिर 2017 तक उसे पूर्ण बहुमत ही नहीं मिला। कल्याण सिंह जैसे बड़े और साहसिक फैसले लेने वाले नेता का कैरियर बाबरी मस्जिद विध्वंश ने खत्म कर दिया । 

400 साल से खड़ी किसी मस्जिद को 5 लाख की भीड़ से गिरवाने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए होता है जो वाकई में कल्याण सिंह के पास था।
आज हम कहते हैं की मोदी और योगी हिंदुओं के पक्ष में खुल के नहीं बोलते ना ही खुल के मुसलमानों का विरोध करते हैं। 
 क्यों करें वो ये सब खुल के ? ताकि उनका भी राजनैतिक कैरियर खत्म हो जाये।

आप बताइये की ऐसे स्वार्थी हिन्दू समाज के पक्ष में मोदी जी और योगी जी जैसे लोग खुल के कैसे बोलें क्या बोले और कहाँ तक इनके लिए लड़े ?

अब किसान आंदोलन को ही देख लीजिए किस तरह से अंतरराष्ट्रीय साजिश के हाथों में कब्जे में था जिसको कोई हल नहीं चाहिये था। 
कोई धारा 370 खत्म कर सकता था नहीं बिलकुल भी नहीं।
 मोदी जी ने कर दिखाया। 
उसके बाद तो हिन्दू समाज को ऋणी होना चाहिए था लेकिन देख लो किस प्रकार से मोदी जी का विरोध हो रहा है। किन्तु ये लोग नहीं जानते कि ऐसा करके और मजबूत हो रहे है मोदी जी ।

क्योंकि देश अब इतना जागरूक हो चुका है कि सारा खेल समझ रहा है।
ये फैसला हमें करना है, हिन्दू समाज को करना है, अगले 50 सालों तक 2014 एवं 2019 जैसी राजनीतिक स्थिति को बरकरार रखना होगा तभी देश बचेगा। क्योंकि जब देश ही नहीं बचेगा तो क्या करोगे इन कानूनों का।
तभी आठ सौ सालों की गुलामी के दाग धब्बे धुल पाएंगे।

मेरे इस पोस्ट को आप गर्व से शेयर और कॉपी कर सकते हैं ताकि जन जन तक ये संदेश पहुंचे और पोस्ट की सार्थकता सिद्ध हो।
🚩🙏🙏🙏 🚩
🙏 जय श्री राम 🙏
 साभार 

मंगलवार, 15 जुलाई 2025

इतिहास में दुर्दशा

मैं बहुत सोचता हूं पर उत्तर नहीं मिलता...🤔🤔 
आप भी इन प्रश्नों पर गौर करना कि...👇👇

१. जिस सम्राट के नाम के साथ संसार भर के इतिहासकार “महान” शब्द लगाते हैं...

२. जिस सम्राट का राज चिन्ह #अशोकचक्र भारत देश अपने झंडे में लगाता है...

३. जिस सम्राट का राज चिन्ह चारमुखी शेर को भारत देश राष्ट्रीय प्रतीक मानकर सरकार चलाती है और सत्यमेव जयते को अपनाया गया है...

४. जिस देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान सम्राट अशोक के नाम पर अशोक चक्र दिया जाता है...

५. जिस सम्राट से पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ, जिसने अखंड भारत (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान) जितने बड़े भूभाग पर एकछत्र राज किया हो...

६. जिस सम्राट के शासन काल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार भारतीय इतिहास का सबसे स्वर्णिम काल मानते हैं...

७. जिस सम्राट के शासन काल में भारत विश्व गुरु था, सोने की चिड़िया था, जनता खुशहाल और भेदभाव रहित थी... 

८. जिस सम्राट के शासन काल जी टी रोड जैसे कई हाईवे रोड बने, पूरे रोड पर पेड़ लगाये गए, सराये बनायीं गईं इंसान तो इंसान जानवरों के लिए भी प्रथम बार हॉस्पिटल खोले गए, जानवरों को मारना बंद कर दिया गया...

ऐसे महान #सम्राटअशोक की जयंती उनके अपने देश भारत में क्यों नहीं मनायी जाती?  न कि कोई छुट्टी घोषित कि गई है अफ़सोस जिन लोगों को ये जयंती मनानी चाहिए, वो लोग अपना इतिहास ही नहीं जानते और जो जानते हैं वो मानना नहीं चाहते...

1. जो जीता वही चंद्रगुप्त ना होकर जो जीता वही सिकन्दर “कैसे” हो गया…? (जबकि ये बात सभी जानते हैं कि सिकंदर की सेना ने #चन्द्रगुप्तमौर्य के प्रभाव को देखते हुये ही लड़ने से मना कर दिया था बहुत
ही बुरी तरह मनोबल टूट गया था जिस कारण , सिकंदर ने मित्रता के तौर पर अपने सेनापति सेल्युकश कि बेटी की शादी चन्द्रगुप्त से की थी)

2. #महाराणाप्रताप ”महान” ना होकर ... अकबर ”महान” कैसे हो गया…? (जबकि, अकबर अपने हरम में हजारों लड़कियों को रखैल के तौर पर रखता था यहाँ तक कि उसने अपनी बेटियो और बहनोँ की शादी तक पर प्रतिबँध लगा दिया था जबकि महाराणा प्रताप ने अकेले दम पर उस अकबर के लाखों की सेना को घुटनों पर ला दिया था) 

3. #सवाईजयसिंह को “महान वास्तुप्रिय” राजा ना कहकर शाहजहाँ को यह उपाधि किस आधार मिली...? जबकि साक्ष्य बताते हैं कि #जयपुर के हवा महल से लेकर तेजोमहालय {ताजमहल} तक, महाराजा जय सिंह ने ही बनवाया था...!

4. जो स्थान महान मराठा #क्षत्रियवीरशिवाजी को मिलना चाहिये वो क्रूर और आतंकी औरंगजेब को क्यों और कैसे मिल गया...? 

5. स्वामी विवेकानंद और आचार्य
चाणक्य की जगह… विदेशियों को हिंदुस्तान पर क्यों थोप दिया गया…? 

6. तेजोमहालय- ताजमहल, लालकोट- लाल किला, फतेहपुर सीकरी का देव महल- बुलन्द दरवाजा एवं सुप्रसिद्ध गणितज्ञ वराह मिहिर की मिहिरावली(महरौली) स्थित वेधशाला- कुतुबमीनार, क्यों और कैसे हो गया...?

7. यहाँ तक कि राष्ट्रीय गान भी… संस्कृत के वन्दे मातरम की जगह गुलामी का प्रतीक जन-गण-मन हो गया है कैसे और क्यों हो गया...?

8. और तो और हमारे आराध्य भगवान् राम व कृष्ण तो इतिहास से कहाँ और कब गायब हो गये...? पता ही नहीं चला, आखिर कैसे...? 

9. यहाँ तक कि हमारे आराध्य भगवान राम की जन्मभूमि पावन अयोध्या भी कब और कैसे विवादित बना दी गयी…? हमें पता तक नहीं चला…

कहने का मतलब ये है कि हमारे दुश्मन सिर्फ बाबर, गजनवी, तैमूरलंग ही नहीं हैं बल्कि आज के सफेदपोश तथाकथित सेक्यूलर भी हमारे उतने ही बड़े दुश्मन हैं।

#धर्मो_रक्षति_रक्षितः #viralpost

सोमवार, 14 जुलाई 2025

बहुत देर कर दी

दैनिक जागरण की सम्पादकीय में फर्जी वोटर पर बहुत अच्छा लेख लिखा गया है. 
लेकिन समझ में नहीं आता की पिछले 11 साल से बीजेपी की सरकार है, तब से अब तक क्यों नहीं इस ऒर ध्यान गया. ज्यादातर अवैध घुसपैठियों नें इन्ही 11 सालों देश के विभिन्न स्थानों पर अपना अड्डा जमा लिया है. इनका सहयोग देश की राजनीतिक पार्टियों नें किया जिन्होंने इनको सुविधा देकर अपना वोट बैंक बनाया,
कई जगह रेल की पटरियों को दोनों तरफ इनको बसने दिया. ये लोग अब इतनी ज्यादा तादाद में हो गये हैं की अब भले ही इनके अवैध घरों पर बुलडोजर चला दिया गया लेकिन अब अब ये लोग जायेंगे कहां? जेल में कितने लोगों को डाल देंगे?
बहुत देर कर दी है बीजेपी सरकार नें.

शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

कांग्रेस का काला इतिहास

शशि थरूर ने कहा'ये 1975 नहीं.. इंदिरा ने दमन किया,' शशि थरूर ने फिर मारा कांग्रेस लीडरशिप को तगड़ा 'करंट' कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर पार्टी को ही कठघरे में खड़ा किया है. मोदी सरकार की तारीफ कर निशाने पर आए थरूर ने आपातकाल की याद दिलाते हुए कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधा है. 
#follower #Heighlights #WarAgainstTerrorism 
कांग्रेस नेतृत्व के साथ शह-मात का खेल खेल रहे केरल से सांसद शशि थरूर ने इस बार पार्टी की दुखती रग छेड़ दी है. उन्होंने कांग्रेस को 1975 की इमरजेंसी के समय दमनकारी नीतियों की याद दिलाई है. शशि थरूर ने एक लेख में लिखा- आज का भारत 1975 का देश नहीं है. थरूर ने लिखा, कैसे पूरी दुनिया इमरजेंसी के वक्त की भयानक हकीकत, हिरासत में यातनाओं और न्यायेतर हत्याओं से अनजान थी.

 थरूर ने लिखा, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सत्तावादी रवैये ने सार्वजनिक जीवन को भय और दमन के हालात में धकेल दिया. उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आज का भारत  '1975 का भारत नहीं है.'तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर का यह लेख ऐसे वक्त आया है, जब उनके और पार्टी के बीच शीत युद्ध जैसा माहौल है. शशि थरूर खुलकर मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं का समर्थन करते दिखते हैं. 

उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर को खुलकर सराहा. साथ ही पाकिस्तान को बेनकाब करने वाले कूटनीतिक मिशन की अगुवाई भी की. मोदी सरकार की दिल खोलकर तारीफ से जले भुने कांग्रेस प्रवक्ताओं को भी उन्होंने आड़े हाथों लिया.

इंदिरा गांधी पर टारगेट:

थरूर ने लिखा, इंदिरा गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि कठोर उपाय आवश्यक थे, केवल आपातकाल ही आंतरिक अव्यवस्था और बाहरी खतरों से निपट सकती है और अराजक हो चुके देश में अनुशासन और व्यवस्था ला सकती है. आपातकाल जून 1975 से लेकर मार्च 1977 तक चला. इस दौरान तमाम नागरिक अधिकारों को निलंबित किया गया और विपक्षी नेताओं का जमकर दमन किया गया.

आपातकाल की 50वीं बरसी आपातकाल की अभी पिछले महीने ही 50वीं बरसी मनाई गई थी.वरिष्ठ कांग्रेस नेता थरूर ने बताया कि कैसे लोकतंत्र के मजबूत स्तंभों को इमरजेंसी के दौरान खामोश किया गया था, जिसने भी सत्ता को चुनौती दी, उसे खतरनाक अंजाम भुगतना पड़ा.

 थरूर ने कहा कि यहां तक कि भारी दबाव में न्यायपालिका को भी झुकना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण और  आजादी के नागरिक अधिकार के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई. पत्रकारों-मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया. संवैधानिक प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते हुए मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया.

संजय गांधी पर हमला:

इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी पर हमला करते हुए थरूर ने लिखा, इमरजेंसी के दौरान उनके कारनामों को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. अनुशासन और व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर बेइंतहा जुल्म किए गए. इंदिरा गांधी के बेटे ने जबरन नसबंदी का अभियान चलाया. गरीबों-मजलूमों को इसके जरिये निशाना बनाया गया.  

आलोचनाओं को कुचला गया थरूर ने कहा,"बेलगाम शक्तियां" अत्याचारी हो गई थीं, बाद में इन कारगुजारियों को 'दुर्भाग्यपूर्ण ज्यादती' बताकर कमतर आंका गया. आलोचनाओं को खामोश करने के लिए इकट्ठा होने, लिखने और स्वतंत्र तौर पर बोलने के मौलिक अधिकार छीन लिए गए. संवैधानिक मानकों का मखौल उड़ाया गया, जिसने भारतीय राजनीति में कभी न मिटने वाले घाव दिए.

मंगलवार, 8 जुलाई 2025

सोने के माप की रत्ती

"रत्ती "यह शब्द लगभग हर जगह सुनने को मिलता है। जैसे - रत्ती भर भी परवाह नहीं, रत्ती भर भी शर्म नहीं, रत्ती भर भी अक्ल नहीं...!!

आपने भी इस शब्द को बोला होगा, बहुत लोगों से सुना भी होगा। आज जानते हैं 'रत्ती' की वास्तविकता, यह आम बोलचाल में आया कैसे?

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रत्ती एक प्रकार का पौधा होता है, जो प्रायः पहाड़ों पर पाया जाता है। इसके मटर जैसी फली में लाल-काले रंग के दाने (बीज) होते हैं, जिन्हें रत्ती कहा जाता है। प्राचीन काल में जब मापने का कोई सही पैमाना नहीं था तब सोना, जेवरात का वजन मापने के लिए इसी रत्ती के दाने का इस्तेमाल किया जाता था।

सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इस फली की आयु कितनी भी क्यों न हो, लेकिन इसके अंदर स्थापित बीजों का वजन एक समान ही 121.5 मिलीग्राम (एक ग्राम का लगभग 8वां भाग) होता है।

तात्पर्य यह कि वजन में जरा सा एवं एक समान होने के विशिष्ट गुण की वजह से, कुछ मापने के लिए जैसे रत्ती प्रयोग में लाते हैं। उसी तरह किसी के जरा सा गुण, स्वभाव, कर्म मापने का एक स्थापित पैमाना बन गया यह "रत्ती" शब्द।

रत्ती भर मतलब जरा सा । 

अक्सर लोग दाल या सब्जी में ऊपर से नमक डालते रहते हैं । पुराने समय में माँग हुआ करती थी - - रत्ती भर नमक देना । रत्ती भर का मतलब जरा सा होता है । अब रत्ती भर कोई नहीं बोलता । सभी जरा सा हीं बोलते हैं , लेकिन रत्ती भर पर आज भी मुहावरे प्रचलित हैं । "रत्ती भर" का वाक्यों में प्रयोग के कुछ नमूने देखिए -- 

1)तुम्हें तो रत्ती भर भी शर्म नहीं है । 

2)रत्ती भर किया गया सत्कर्म एक मन पुण्य के बराबर होता है.

3) इस घर में हमारी रत्ती भर भी मूल्य नहीं है ।

कुछ लोग" रत्ती भर " भी झूठ नहीं बोलते । 

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस रत्ती की बात यहाँ हो रही है , वह माप की एक ईकाई है । यह माप सुनार इस्तेमाल करते हैं । पुराने जमाने जो माप तौल पढ़े हैं , उनमें रत्ती का भी नाम शामिल है । विस्तृत वर्णन इस प्रकार है -

8 खसखस = 1 चावल,
8 चावल = 1 रत्ती 
8 रत्ती = 1 माशा
4 माशा =1 टंक 
12 माशा = 1 तोला
5 तोला= 1 छटाँक 
16 छटाँक= 1 सेर 
5 सेर= 1 पंसेरी 
8 पंसेरी= एक मन 

हाँलाकि उपरोक्त माप अब कालातीत हो गये हैं , पर आज भी रत्ती और तोला स्वर्णकारों के पास चल रहे हैं । 1 रत्ती का मतलब 0.125 ग्राम होता है । 11.66 ग्राम 1 तोले के बराबर होता है । आजकल एक तोला 10 ग्राम होता है ।

इन सभी माप में रत्ती अधिक प्रसिद्ध हुई, क्योंकि यह प्राकृतिक रुप से पायी जाती है। रत्ती को कृष्णला, और रक्तकाकचिंची के नाम से भी जानी जाता है। रत्ती का पौधा पहाड़ों में पाया जाता है । इसे स्थानीय भाषा में गुंजा कहते है ।

रत्ती के बीज लाल होते हैं , जिसका ऊपरी सिरा काला होता है । सफेद रंग के भी बीज होते हैं , जिनके ऊपरी सिरे भी काले होते हैं । यह बीज छोटा बड़ा नहीं होता , बल्कि एक माप व एक आकार का होता है । प्रत्येक बीज का वजन एकसमान होता है । इसे आप कुदरत का करिश्मा भी कह सकते हैं । 

रत्ती के इस प्राकृतिक गुण के कारण स्वर्णकार इसे माप के रुप में पहले इस्तेमाल करते थे , शायद आजकल भी करते होंगे ।

रत्ती का उपयोग पशुओं के घावों में उत्पन्न कीड़ों मारने के लिए किया जाता है । यह खुराक के रूप में प्रयोग किया जाता है। एक खुराक में अधिकतम दो बीज हीं दिए जाते हैं।दो खुराक दिए जाने पर घाव ठीक हो जाता है।

रत्ती के बीज जहरीले होते हैं । इसलिए ये खाए नहीं जाते । इनकी माला बनाकर माएँ अपने बच्चों को पहनाती हैं । ऐसी मान्यता है कि इसकी माला बच्चों को बुरी नज़रों से बचाती है।

सोमवार, 7 जुलाई 2025

जैन मंदिरो पर कब्जा

अंबिका माता #शक्तिपीठ  गिरनार । 
वर्तमान में यह एक हिंदू मंदिर के रूप में जाना जाता है । लेकिन वास्तव में यह एक जैन मंदिर था । जो 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ प्रभु की यक्षिणी अंबिका को समर्पित था । 
क्षमा करना, लेकिन एक बात बहुत गहरी समझ आ गई। एक बात  का दोष लगाया जाता है कि श्रमण राजाओं और प्रजा के अहिंसा धर्म के कारण भारत कमजोर हो गया । जो कि बिल्कुल बेबुनियाद भ्रम जो भारतीय समाज में फैलाया गया । जबकि वे श्रमण राजाओं का ही शासन काल था जिसे स्वर्णिम भारत कहां गया । उन्हीं श्रमण राजाओं ने अखंड भारत की नींव रखी थी ।उसी अहिंसा धर्म के बलबूते ।।  एक भी ब्राह्मणवादी राजा नहीं मिलेगा इतिहास में जिसने इस संपूर्ण भारत तो छोड़ो , बल्कि आधे भारत भूमि को भी एक सूत्र में नहीं बांध पाए । बल्कि इस भूमि को खंड खंड कर दिए।  विदेशी आक्रमणों से इस भूमि को बचा नहीं पाए ।  थोड़ा इतिहास को गौर से पढ़ें ।
इतिहास में जैसे जैसे जिनालयों के स्वरूप को बदलकर हिंदू मंदिरों में परिवर्तित करते चले गए । जैसे जैसे लोग चमत्कारिक , लुभावने देवी देवताओं की मन मोहक काल्पनिक कहानियों के झांसों  में आते गए, वैसे वैसे भारत कमजोर होता चला गया । चूंकि भारत के लोग अपने मूल संस्कारों को छोड़ते चले गए । अपनी मूल भारतीय जीवन शैली भुलाते चले गए । अरिहंतो की दिगंबर ध्यानस्थ प्रतिमाओं पर पाखंडों का चोला ओढ़ा दिया गया । भारत से भारत के मूल संस्कार ही छिपा दिए गए । 
आप लोग क्या सोचते हैं? मुसलमानों ने, अंग्रेजों ने जीत लिया भारत ? नहीं , तुम हार गए, इसीलिए वे जीत गए। भारतीयों ने अपने मूल संस्कार छोड़ दिए ।  कमजोर  जीवन शैली ने आज भारतीय समाज को कहां लाकर खड़ा कर दिया । सोने की चिड़िया वाला भारत था । और  आज के भारत की आधी से ज्यादा आबादी मुफ्त के अनाज  के लिए कतार पर खड़ी है।  
काल्पनिक कहानियों से बाहर निकलें । मंदिरों के मूल स्वरूप को जानें । तभी आपको भारतीय जीवन  दर्शन का सही रूप ज्ञात होगा । 
इस मंदिर का प्राचीनतम निर्माण 7-8 वीं शताब्दी से भी पूर्व में हुआ था।  इस मंदिर की नींव इसकी साक्षी है  । इस मंदिर का उल्लेख दिगंबराचार्य जिनसेन जी द्वारा रचित  हरिवंश पुराण (7th century) में भी मिलता है। अनेक साक्ष्यों से भरा हुआ है जैन इतिहास । और ये इतिहास सिर्फ कागजों में नहीं या कोई काल्पनिक कहानियों में नहीं गढ़ा गया । बल्कि भारत के पर्वतों की ऊंची ऊंची चोटियों की चट्टानों में लिखा है । आज भारत को साक्ष्यों की अपेक्षा , पाखंड से, पूर्वाग्रहों से बाहर आने की आवश्यकता है । और भारत की सही जीवन शैली पुनः अपनाने की आवश्यकता है । इन प्राचीन मंदिरों को अपने मूल स्वरूप में आना चाहिए ।  इनकी शुचिता व पवित्रता अति आवश्यक है । तब ही इस भारत का सूर्य चमकेगा । 
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शनिवार, 5 जुलाई 2025

साभार

@ जैन चिकित्सा मन्दिर )) हार्ट अटैक ((हृदयाघात ))-: भारत में 3000 साल पहले एक  बहुत बड़े ऋषि हुये थे। नाम था महाऋषि वागवट जी उन्होंने एक पुस्तक लिखी, जिसका नाम है, अष्टांग हृदयम Astang hrudayam इस पुस्तक में उन्होंने बीमारियों को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखें थे। यह उनमें से ही एक सूत्र है। वागवट जी लिखते हैं कि कभी भी हृदय को घात हो रहा है मतलब दिल की नलियों मे blockage होना शुरू हो रहा है तो इसका मतलब है कि रक्त blood में acidity अम्लता बढ़ी हुई है अम्लता आप समझते हैं, जिसको अँग्रेजी में कहते हैं acidity अम्लता दो तरह की होती है एक होती है पेट की अम्लता और एक होती है रक्त blood की अम्लता आपके पेट में अम्लता जब बढ़ती है तो आप कहेंगे पेट में जलन सी हो रही है, खट्टी खट्टी डकार आ रही हैं , मुंह से पानी निकल रहा है और अगर ये अम्लता acidity और बढ़ जाये तो hyperacidity होगी और यही पेट की अम्लता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त में आती है तो रक्त अम्लता blood acidity होती है और जब blood में acidity बढ़ती है तो ये अम्लीय रक्त blood दिल की नलियों में से निकल नहीं पाती और नलियों में blockage कर देता है तभी heart attack होता है इसके बिना heart attack नहीं होता और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं क्योंकि इसका इलाज सबसे सरल है ! इलाज क्या है ? वागवट जी लिखते हैं कि जब रक्त (blood) में अम्लता (acidity) बढ़ गई है तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो क्षारीय हैं आप जानते हैं दो तरह की चीजें होती हैं अम्लीय और क्षारीय ! acidic and alkaline अब अम्ल और क्षार को मिला दो तो क्या होता है ? acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है ? neutral होता है सब जानते हैं तो वागवट जी लिखते हैं कि रक्त की अम्लता बढ़ी हुई है तो क्षारीय (alkaline) चीजें खाओ ! तो रक्त की अम्लता (acidity) neutral हो जाएगी ! और रक्त में अम्लता neutral हो गई ! तो heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं ! ये है सारी कहानी ! अब आप पूछेंगे कि ऐसी कौन सी चीजें हैं जो क्षारीय हैं और हम खायें ? आपके रसोई घर में ऐसी बहुत सी चीजें है जो क्षारीय हैं जिन्हें आप खायें तो कभी heart attack न आए और अगर आ गया है तो दुबारा न आए यह हम सब जानते हैं कि सबसे ज्यादा क्षारीय चीज क्या हैं और सब घर मे आसानी से उपलब्ध रहती हैं, तो वह है लौकी जिसे दुधी भी कहते लौकी जिसे दुधी भी कहते हैं English में इसे कहते हैं bottle gourd जिसे आप सब्जी के रूप में खाते हैं ! इससे ज्यादा कोई क्षारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लौकी का रस निकाल-निकाल कर पियो या कच्ची लौकी खायो वागवट जी कहते हैं रक्त की अम्लता कम करने की सबसे ज्यादा ताकत लौकी में ही है तो आप लौकी के रस का सेवन करें, कितना सेवन करें ? रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो कब पिये ? सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते हैं या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते हैं इस लौकी के रस को आप और ज्यादा क्षारीय बना सकते हैं इसमें 7 से 10 पत्ते तुलसी के डाल लो तुलसी बहुत क्षारीय है इसके साथ आप पुदीने के 7 से 10 पत्ते मिला सकते हैं पुदीना भी बहुत क्षारीय है इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ये भी बहुत क्षारीय है लेकिन याद रखें नमक काला या सेंधा ही डाले वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है तो आप इस लौकी के जूस का सेवन जरूर करें 2 से 3 महीने की अवधि में आपकी सारी heart की blockage को ठीक कर देगा 21 वें दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी घर में ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा और आपका अनमोल शरीर और लाखों रुपए आपरेशन के बच जाएँगे आपने पूरी पोस्ट पढ़ी , आपका बहुत बहुत धन्यवाद। 
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