रविवार, 29 दिसंबर 2024
स्मारक पर रार
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अंतेयष्टि निगम बोध घाट पर सम्मान हुई।
राहुल - प्रियंका गांधी ने अनादर का आरोप लगाया। वे चाहते हैं की मनमोहन सिंह का समाधि स्थल पर स्मारक बनें।
कैसी विडंबना की बात है? जिस कांग्रेस ने खुद गलत कार्य किये वे आज बीजेपी का को सलाह दे रहे हैं। इस पर बीजेपी बता रही है की कांग्रेस ने ही पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर तक को कांग्रेस मुख्यालय में रखने तक नहीं दिया था । सोनिया गांधी के कहने पर उनका अंतिम संस्कार दिल्ली तक मे होने नहीं दिया। उनका स्मारक बनने नहीं दिया था वे आज सलाह दे रहे हैं। नरसिम्हा राव का स्मारक 2014 के बाद मोदी सरकार में बनाया गया।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के निधन पर कांग्रेस द्वारा कार्यसमिति की बैठक बुलाकर शोक प्रस्ताव तक पेश नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा की कांग्रेस में कभी भी मेरे पिता को सम्मान नहीं मिला।
कांग्रेस ने अपने कारनामों से ऐसे ऐसे कार्य किये जो आज उन पर ही भारी पड़ रहे हैं। मनमोहन सिंह जी ऐसे अर्थशास्त्री थे जो पीएम बनने के बाद देश को बहुत आगे ले जाते, लेकिन सोनिया गांधी ने कभी भी देश को मनमोहन सिंह जी के तरीके से चलने ही नहीं दिया। हालांकि फिर भी मनमोहन सिंह जी ने अमेरिका- भारत के बीच बेहतर सम्बंध बनाये। देश मे आर्थिक सुधारों को गति दी। यदि देश को मनमोहन सिंह जी के अनुसार चलने दिया जाता तो आज देश नई ऊंचाइयों पर होता।
शनिवार, 28 दिसंबर 2024
मौत के सौदागर
मौत के सौदागर
नकली दवाई बनाने वाले या दवाई की गुणवत्ता में कमी करने वाले मौत के सौदागर ही कहलायेंगे।
दिल्ली, देशभर से 111 दवाओं के सैम्पल लिये गए। जिनमे से 109 दवाओं में गुणवत्ता की कमीं पाई गई एवं 2 दवाई नकली पाई गई। यह जांच स्वास्थ्य मंत्रालय में सेंटर ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की लैब में हुई।
ज्यादा मुनाफ़े के चक्कर मे दवा बनाने वाली कम्पनियां दवाई में महंगे साल्ट कम डालती हैं या बिल्कुल डालती ही नहीं हैं। कुछ कम्पनियां नकली दवाइयां बनाकर बेच रही हैं। ऐसा करने वाली कम्पनियां छोटे रूप में छोटे शहरों में काम करती हैं। दवाई बेचने वाले बड़े होलसेलरो से इनकी साँठ गांठ रहती है। जिस दवाई की बल्क में सेल हो होलसेलर उनकी स्ट्रिप इनको देकर मोटा ऑर्डर देते हैं। दवाई बनाने वाली कम्पनी हूबहू वैसी ही पैकिंग में नकली दवाई या कम गुणवत्ता की दवाई बनाकर होलसेलरो को दे देते हैं। सूत्र बताते हैं की करनाल, मुजफ्फरनगर आदि जगह में भी ऐसी दवा बनाने वाली कम्पनियां कार्यरत हैं।
कितना बड़ा अपराध है ऐसा करना। यह तो सीधा स्लो पॉइजन ही तो है। मरीज जाता है अस्पताल में ठीक होने, डॉक्टर भी दवाई देते है ठीक होने की। लेकिन दवाई असली मिले तभी तो ठीक होंगे। दरअसल दवा बनाने वाली छोटे स्तर की कम्पनियों की नियमित जांच नहीं होती। कुछ अधिकारियों से मिलीभगत के चलते कुछ भी बनाने की छूट मिल जाती है। यही सबसे बड़ा कारण है नकली दवाई बनाये जाने का।
नकली दवाई के सैम्पिल फेल होने पर कम से कम 10 साल की सज़ा या उम्र कैद का प्रावधान है। लेकिन जब तक यह प्रक्रिया पूर्ण होगी तब तक न जाने कितनों की जिंदगी से खिलवाड़ हो चुका होगा। इन मानवता के दुश्मनों के जब नकली दवाई खाकर अपने मरेंगे इनको शायद तभी अक्ल आयेगी।
गुरुवार, 26 दिसंबर 2024
ये काफ़िर हैं
बेटियों के बलात्कारियों से जब माँ ने कहा "अब्दुल अली एक-एक करके करो, नहीं तो वो मर जाएंगी "।
ये सच्ची घटना घटित हुई थी 8 अक्टूबर 2001 को बांग्लादेश में।
अनिल चंद्र और उनका परिवार 2 बेटीयों पूर्णिमा व 6 वर्षीय छोटी बेटी के साथ बांग्लादेश के सिराजगंज में रहता था। उनके पास जीने खाने और रहने के लिए पर्याप्त जमीन थी. बस एक गलती उनसे हो गयी, और ये गलती थी एक हिंदु होकर 14 साल व 6 साल की बेटी के साथ बांग्लादेश में रहना। एक क़ाफिर के पास इतनी जमीन कैसे रह सकती है..? यही सवाल था बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिद ज़िया के पार्टी से सम्बंधित कुछ उन्मादी लोगों का।
8 अक्टूबर के दिन
अब्दुल अली, अल्ताफ हुसैन, हुसैन अली, अब्दुर रउफ, यासीन अली, लिटन शेख और 5 अन्य लोगों ने अनिल चंद्र के घर पर धावा बोल दिया, अनिल चंद्र को मारकर डंडो से बाँध दिया, और उनको काफ़िर कहकर गालियां देने लगे।
इसके बाद ये शैतान माँ के सामने ही उस १४ साल की निर्दोष बच्ची पर टूट पड़े और उस वक्त जो शब्द उस बेबस लाचार मां के मुँह से निकले वो पूरी इंसानियत को झंकझोर देने वाले हैं।
अपनी बेटी के साथ होते इस अत्याचार को देखकर उसने कहा "अब्दुल अली, एक एक करके करो, नहीं तो मर जाएगी, वो सिर्फ १४ साल की है।"
वो यहीं नहीं रुके उन माँ बाप के सामने उनकी छोटी 6 वर्षीय बेटी का भी सभी ने मिलकर ब#लात्कार किया ....उनलोगों को वही मरने के लिए छोडकर जाते जाते आस पड़ोस के लोगों को धमकी देकर गए की कोई इनकी मदद नहीं करेगा।
ये पूरी घटना बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी अपनी किताब “लज्जा” में लिखी जिसके बाद से उनको देश छोड़ना पड़ा, ये पूरी घटना इतनी हैवानियत से भरी है पर आजतक भारत में किसी बुद्धिजीवी ने इसके खिलाफ बोलने की हैसियत तक नहीं दिखाई है, ना ही किसी मीडिया हाउस ने इसपर कोई कार्यक्रम करने की हिम्मत जुटाई।
ये होता है किसी इस्लामिक देश में हिन्दू या कोई अन्य अल्पसंख्यक होने का, चाहे वो बांग्लादेश हो या पाकिस्तान।
पता नहीं कितनी पूर्णिमाओं की ऐसी आहुति दी गयी होगी बांग्लादेश में हिंदुओं की जनसँख्या को 22 प्रतिशत से 8 प्रतिशत और पाकिस्तान में 15 प्रतिशत से 1 प्रतिशत पहुँचाने में।
और हिंदुस्तान में हामिद अंसारी जैसे घिनौने लोग कहते है कि हमें डर लगता है, जहाँ उनकी आबादी आज़ादी के बाद से 24 प्रतिशत अधिक बढ़ी है। अगर आप भी सेक्युलर हिंदु (स्वघोषित बुद्धिजीवी) हैं और आपको भी लगता है कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है तो कभी बांग्लादेश या पाकिस्तान की किसी पूर्णिमा को इन्टरनेट पर ढूंढ कर देखिये। मेरा दावा है की आपका नजरिया बदल जाएगा
साभार
मंगलवार, 17 दिसंबर 2024
अलसी के फायदे
🍃 *Arogya*🍃
*अलसी के फायदे*
*----------------*
*1. बल वर्द्धक :*
अलसी का चूर्ण बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर 2 बार नियमित रूप से दूध के साथ कुछ हफ्ते तक पीने से बल बढ़ता है।
*2. अनिद्रा (नींद का न आना) :*
अलसी तथा अरंड का शुद्ध तेल बराबर की मात्रा में मिलाकर कांसे की थाली में कांसे के ही बर्तन से ही खूब घोंटकर आंख में सुरमे की तरह लगायें। इससे नींद अच्छी आती है।
*3. कफयुक्त खांसी :*
भुनी अलसी पुदीने के साथ शहद में मिलाकर चाटने से कफयुक्त खांसी नष्ट होती है।
*4. मुंह के छाले :*
अलसी का तेल छालों पर दिन में 2-3 बार लगाने से छालों में आराम होगा।
*5. फोड़ा-फुंसी :*
अलसी को पानी में पीसकर उसमें थोड़ा जौ का सत्तू मिलाकर खट्टे दही के साथ फोड़े पर लेप करने से फोड़ा पक जाता है।
*6. कब्ज :*
अलसी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से पेट की गैस मिटती है।
*7. सिर दर्द :*
इसके बीजों को शीतल पानी में पीसकर लेप करने से सूजन के कारण सिर का दर्द, मस्तक पीड़ा तथा सिर के घावों में लाभ होता है।
*8. पीठ, कमर का दर्द :*
सोंठ का चूर्ण अलसी के तेल में गर्म करके पीठ, कमर की मालिश करने से दर्द की शिकायत दूर हो जाती है।
*9. कान का दर्द :*
अलसी के बीजों को प्याज के रस में पकाकर छान लें। इसकी 2-3 बूंदे कान में टपकाएं। इससे कान का दर्द एवं कान की सूजन दूर हो जाएगी।
*10. कान में सूजन और गांठ :*
अलसी को प्याज के रस में डालकर अच्छी तरह से पका लें। इस रस को कान में डालने से कान के अंदर की सूजन दूर हो जाती है।
*11. कान के रोग :*
कान का दर्द होने पर कान में अलसी का तेल डालने से आराम आता है।
*12. स्तनों में दूध की वृद्धि :*
अलसी के बीज 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ निगलने से प्रसूता के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
*13. शारीरिक दुर्बलता (कमजोरी) :*
1 गिलास दूध के साथ सुबह-शाम 1-1 चम्मच अलसी के बीजों का सेवन करने से शारीरिक दुर्बलता दूर होकर पुष्टता आती है।
*14. पेशाब में जलन :*
अलसी के बीजों का काढ़ा 1-1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पीने से मूत्रनली की जलन और मूत्र सम्बंधी कष्ट दूर होते हैं।
*15. गठिया (जोड़ों) का दर्द :*
अलसी के बीजों को ईसबगोल के साथ पीसकर लगाने से संधि शूल में लाभ होता है।
*Dr. (Vaid) Deepak Kumar*
*Adarsh Ayurvedic Pharmacy*
*Kankhal Hardwar* *aapdeepak.hdr@gmail.com*
*9897902760*
मंगलवार, 3 दिसंबर 2024
पुरानी यादें
एक जमाना था...
खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे...
उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था,
🤪 पास/नापास यही हमको मालूम था... *%* से हमारा कभी भी संबंध ही नहीं था...
😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको ढपोर शंख समझा जा सकता था...
🤣🤣🤣
किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं ऐसी हमारी धारणाएं थी...
☺️☺️ कपड़े की थैली में...बस्तों में..और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में...
किताब कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी.. ..
😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर रद्दी पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम...
एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था.....
🤗 साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी..
क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्यक्रम...
🤪 हमारे माताजी पिताजी को हमारी पढ़ाई बोझ है..
ऐसा कभी लगा ही नहीं....
😞 किसी एक दोस्त को साइकिल के अगले डंडे पर और दूसरे दोस्त को पीछे कैरियर पर बिठाकर गली-गली में घूमना हमारी दिनचर्या थी....
इस तरह हम ना जाने कितना घूमे होंगे....
🥸😎 स्कूल में मास्टर जी के हाथ से मार खाना, पैर के अंगूठे पकड़ कर खड़े रहना, और कान लाल होने तक मरोड़े जाते वक्त हमारा ईगो कभी आड़े नहीं आता था.... सही बोले तो ईगो क्या होता है यह हमें मालूम ही नहीं था...
🧐😝 घर और स्कूल में मार खाना भी हमारे दैनंदिन जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया थी.....
मारने वाला और मार खाने वाला दोनों ही खुश रहते थे...
मार खाने वाला इसलिए क्योंकि कल से आज कम पिटे हैं और मारने वाला इसलिए कि आज फिर हाथ धो लिए 😀......
😜 बिना चप्पल जूते के और किसी भी गेंद के साथ लकड़ी के पटियों से कहीं पर भी नंगे पैर क्रिकेट खेलने में क्या सुख था वह हमको ही पता है...
😁 हमने पॉकेट मनी कभी भी मांगी ही नहीं और पिताजी ने कभी दी भी नहीं....
.इसलिए हमारी आवश्यकता भी छोटी छोटी सी ही थीं....साल में कभी-कभार दो चार बार सेव मिक्सचर मुरमुरे का भेल, गोली टॉफी खा लिया तो बहुत होता था......उसमें भी हम बहुत खुश हो लेते थे.....
😲 छोटी मोटी जरूरतें तो घर में ही कोई भी पूरी कर देता था क्योंकि परिवार संयुक्त होते थे ..
🥱 दिवाली में लगी पटाखों की लड़ी को छुट्टा करके एक एक पटाखा फोड़ते रहने में हमको कभी अपमान नहीं लगा...
😁 हम....हमारे मां बाप को कभी बता ही नहीं पाए कि हम आपको कितना प्रेम करते हैं क्योंकि हमको आई लव यू कहना ही नहीं आता था...
😌 आज हम दुनिया के असंख्य धक्के और टाॅन्ट खाते हुए......
और संघर्ष करती हुई दुनिया का एक हिस्सा है..किसी को जो चाहिए था वह मिला और किसी को कुछ मिला कि नहीं..क्या पता..
😀 स्कूल की डबल ट्रिपल सीट पर घूमने वाले हम और स्कूल के बाहर उस हाफ पेंट मैं रहकर गोली टाॅफी बेचने वाले की दुकान पर दोस्तों द्वारा खिलाए पिलाए जाने की कृपा हमें याद है.....
वह दोस्त कहां खो गए , वह बेर वाली कहां खो गई....
वह चूरन बेचने वाली कहां खो गई...पता नहीं..
😇 हम दुनिया में कहीं भी रहे पर यह सत्य है कि हम वास्तविक दुनिया में बड़े हुए हैं हमारा वास्तविकता से सामना वास्तव में ही हुआ है...
🙃 कपड़ों में सलवटें ना पड़ने देना और रिश्तों में औपचारिकता का पालन करना हमें जमा ही नहीं......
सुबह का खाना और रात का खाना इसके सिवा टिफिन में अखबार में लपेट कर रोटी ले जाने का सुख क्या है, आजकल के बच्चों को पता ही नही ...
😀 हम अपने नसीब को दोष नहीं देते....जो जी रहे हैं वह आनंद से जी रहे हैं और यही सोचते हैं....और यही सोच हमें जीने में मदद कर रही है.. जो जीवन हमने जिया...उसकी वर्तमान से तुलना हो ही नहीं सकती ,,,,,,,,
😌 हम अच्छे थे या बुरे थे नहीं मालूम , पर हमारा भी एक जमाना था
🙏 और Most importantly , आज संकोच से निकलकर , दिल से अपने साक्षात देवी _देवता तुल्य , प्रात स्मरणीय , माता _ पिता , भाई एवं बहन को कहना चाहता हूं कि मैं आपके अतुल्य लाड, प्यार , आशीर्वाद , लालन पालन व दिए गए संस्कारो का ऋणी हूं 🙏,
🙏🏻☺😊
एक बात तो तय मानिए को जो भी👆🏻 पूरा पढ़ेगा उसे अपने बीते जीवन के कई पुराने सुहाने पल अवश्य याद आयेंगे।🙏🏻
#स्कूल #school #schoollife #जीनेकीराह #जीवनशैली #गांव #ग्रामीण #motivation #साइकिल #cycle #जीवनी #यादें #yadein #memories #memory #newpostalert #newposttday #viralpostsdaily #viralpost2024 #viralpost2024Today #newpost2024 #Ladkiyan #लड़कियां #छात्रा #सड़क
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
चायनीज़ मांझा
चायनीज़ मांझा खतरनाक है। इससे पक्षी घायल होते हैं वहीं इंसान की गर्दन पर इस मांझे के रगड़ खाने से गर्दन की खाल कट जाती है। इससे कई जाने भी जा ...