गुरुवार, 27 जुलाई 2023

मोदीजी ने क्या किया?

२०१४ के बाद ------ मोदी राज आया -------- क्या क्या नहीं हुआ !!!!!! भारत मंडपम बना---- चंद्रयान तीन --- वंदे भारत ट्रेनें---- नयी संसद बनी---- १८---- एम्स बने । १६----- IIT बनी। २६२---- मेडिकल कॉलेज बने। ७४---- एयरपोर्ट बने। ६--- इंटरनेशनल एयरपोर्ट बने। १७० --- नये केंद्रीय विद्यालय। ५०००-किमी-- नयी रेलवे लाईन। ५०,००० किमी-- नेशनल हाइवे। ६०,००० -- नये पैट्रोल पंप। ८१३--- नयी रेलगाड़ियां। २०,०००-- बी एस एन एल ४ जी के टावर। १ लाख से अधिक -- नये ए टी एम। दो करोड़ से अधिक-- आयुष्मान कार्ड। ४०,००० किमी -- रेलवे लाईन का विद्युतीकरण। ८ लाख -- से अधिक केंद्रीय नौकरियां। ४०,००० से अधिक -- कामर्शियल लाईसेंस। ७०,००० से अधिक पकौड़ों की दुकानें। 😀😀😀😀😀 अगर अब भी लगता है कि मोदी ने कुछ नहीं किया । नोटबंदी--याद कर लें। जी एस टी-- याद कर लें। सर्जिकल स्ट्राइक याद कर लें। उज्जवला --याद कर लें। जन-धन -- याद कर लें। जन औषधि केंद्र -- याद कर लें। फ्री कोरोना वैक्सीनेशन याद कर लें। कर्तव्य पथ याद कर लें। गरीबों को दिया फ्री राशन याद कर लें। किसान सम्मान निधि याद कर लें। 🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷 सबका साथ सबका विकास। इसी भावना के साथ मोदी काम करता जा रहा है और आगे बढ़ता जा रहा है। चमचे मोदी को गाली दे देकर पिछड़ते जा रहें हैं , बहुत पीछे छूटते जा रहे हैं। 🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷 राम मंदिर के लिए --- विश्वनाथ कोरिडोर के लिए --- महाकाल कोरीडोर के लिए -- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लिए -- नरेंद्र मोदी का आभार। कमल का ही बटन दबेगा । कमल का ही फूल खिलेगा। 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀

शनिवार, 22 जुलाई 2023

ये कैसे मर्द?

'वाह रे मर्द ' मणिपुर में अभी जो मर्दानगी देखने को मिली है इसे इतिहास याद रखेगा 1947 के बाद शायद एसी घटना पहली बार घटित हुई है l एक झूठी खबर का इतना घिनौना बदला😭😭😡😡??? मर्द चाहे किसी भी जाति या समुदाय का हो उसको जन्म देने वाली एक औरत है,मर्द ने हमेशा से घर परिवार हो या फिर समाज हमेशा अपना दबदबा बनाए रखा क्यूंकि घर चलाने की ज़िम्मेदारी उठाता है इसलिए उन्होंने मर्द की हर जरूरत का ख्याल रखना परिवार वालों की भी जिम्मेदारी होती थी पर अब एसा नहीं है औरत भी घर चलाने में बराबर सहयोग करती है और समाज के उत्थान में भी सक्षम है फिर भी पुरुष प्रधान समाज है l सही मायने में मर्द और मर्दानगी क्या होती है अभी भी इनको समझने की जरूरत है और ये सब पुलिस की मौजूदगी में हुआ रक्षक ही भक्षक बन जाए तो जाए तो कहा जाए, ?? दो औरतों को निवस्तर दौड़ाया गया बिना किसी कसूर के!😭😭😭😭 यदि कसूर होता भी तो भी एसा कोई करता ??? जिन नमार्दों ने किया उनको किसने ये अधिकार दिये ?? ये जो नामार्द थे वो क्या देखना या दिखना चाहते थे!अपनी माँ का वो अंग?? जिस रास्ते इस दुनिया में आए? या फिर वो अंग जिस से ढूध पीकर पले बड़े या फिर अपनी बहन की कमर की लचक य़ा फिर अपनी बीवियों के शरीर का हर एक अंग क्या,,, क्या दिखाना चाहते थे एसे दरिंदों को जन्म देने वाली मांये भी अपनी कोख को गाली दे रहीं होगी वह रे !! मर्द , देवी की मूर्ति बना कर पूजता है सर पर रख कर झांकी निकालता है और जीती जागती देवी के साथ कुकर्म करके उसको निवस्तर दौड़ता ये हमारे आज के समाज़ की उपज है तरक्की के नाम पर चंद्रयान 3 लौंच करके दुनिया में लोहा मनवा दिया और संसकlर के नाम पर तो,,,, शर्म आती है कहने को कुछ नहीं बचा ही नहीं 😪😭🥱🥱 कुछ दरिंदों के कारण पूरे वर्ग पर उंगली उठती है ये सोच कर कई बार अपने स्त्री होने पर पछतावा होता है पता नहीं कल को कौन सी ह्वानीयत हम पर लागू होगी,, उन औरतों ने एक पल में हजार बार खुद के लिए मौत की दुआ मांगी होगी क्या बीती होगी उनपर ये सोचकर आत्मा तड़प उठती है कलेजा मुँह को आता है. उन्होंने खुद को स्त्री होने पर लाखो बार कोसा होगा.... बिना स्त्री के संसार की कल्पना तो करके देखो ???? अगर इन हैवानों में से एज भी साफ बच निकलता है तो समझलें की और बुरे दिन बाकी हैं अगर कोई राजनेता या दूसरे बड़े लोग इनको बचाने की कोशिश करते है तो किसी भी स्त्री की इज़्ज़त सुरक्षित नहीं है महारिष्यों का, पेगांबरो गुरूओं का देश आज किस हाल में पहुँच गया!! बहुत कुछ लिखने का दिल कर रहा है पर मैं अपने आक्रोश को विराम देती हूं l😪😪🙏🙏🙏संगीता शर्मा l

मणिपुर हिंसा

मणिपुर से जो तस्वीर आई है क्या आप उस पर अपनी राय बना रहे हैं? तो ठहर जाइए और कुछ बिंदुओं पर विचार कीजिए। आपको स्वयं समझ में आ जाएगा आप कितने मूर्ख हैं। मणिपुर में हिंसा महीनों से चल रहा है और आपका उद्वेलन दिन दो दिन में आरंभ हुआ है। प्रथम प्रश्न तो यही है कि क्या आपके संवेदना का स्तर इतना गिर गया है कि जहां महीनों से हजारों घर जलाए जा रहे हैं, 400 से अधिक स्त्रियों के साथ अन्याय हुआ है और आप को सब पता है फिर भी क्या आप प्रतीक्षा में थे कि ऐसी कोई तस्वीर सामने से आएगी, तब आप अपनी राय बनाएंगे? कोई बात नहीं। आपने देर से ही राय बनाई और कम से कम दो स्त्रियों के प्रति ही अपनी संवेदना दिखाई। लेकिन कुछ सवाल तो हैं। अपराधी और पीड़ित का कभी भी समुदाय अथवा जाति नहीं देखनी चाहिए। न्याय का प्रथम सिद्धांत यही है। लेकिन दो समुदायों के बीच जब हिंसा की बात होगी और एक समुदाय से 400 स्त्रियों के साथ अन्याय हुआ हो तथा दूसरी समुदाय से दो स्त्रियों के साथ अन्याय हुआ हो और आपसे पूछा जाए आपको किसी एक समुदाय के पक्ष में खड़ा होना है, आप क्या चुनेंगे? आपका उत्तर होगा नहीं 2 हो अथवा 400, गलत गलत है। और हम दोनों ही के साथ खड़े हैं। लेकिन यह उत्तर आपका पाखंड भरा उत्तर है। क्योंकि आपने चुनाव कर लिया है। आपने 2 को चुन लिया है। फिर आप कहेंगे 2 को ही चुन लिया है तो इसमें क्या गलत है? आखिर में न्याय तो उसे भी मिलना चाहिए। तो इसका जवाब जानिए- मैतेई समुदाय और कुकी समुदाय, मुख्यतया दो समुदायों के बीच टकराव है। मैतेई समुदाय के जनजाति हिंदू है और कुकी समुदाय की जनजाति इसाई। जनजातियों के ईसाई में धर्मांतरण की अलग कहानी है। 1961 की जनगणना डाटा के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में ईसाईयों की आबादी 1% से भी कम थी। 2011 में 30% से अधिक हो गई‌। ईसाइयों की ठीक यही स्थिति मणिपुर में आजादी के समय थी। नेहरू वाली कांग्रेस के षड्यंत्र से मणिपुर में धर्मांतरण का खेल इतना खतरनाक हुआ कि 2011 की जनगणना के अनुसार ईसाइयों की जनसंख्या 41% से ऊपर चली गई। मैतेई हिंदू समुदाय मणिपुर की स्वदेशी समुदाय है जिसकी भी 41% जनसंख्या है। धर्मांतरण से ईसाइयों की जनसंख्या को 70 सालों में बराबर कराया गया। ईसाई कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला और विधानसभा की 60 सीटों में से 19 सीट पर आरक्षण मिल गया। हिंदू मैतेई जनजाति को ये दर्जा नहीं प्राप्त है, इसके लिए मैतेई समुदाय लगातार मांग करता रहा है। कुकी जनजाति को यह मांग पसंद नहीं है। इसलिए वे विरोध में अपने लिए अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। इसके लिए हिंसा भी कर रहे हैं। कुकी इसाई जनजाति द्वारा मणिपुर की स्थिति कश्मीर जैसी कर दी गई। उन्होंने सेना के विरुद्ध हथियार उठा लिए। आफ्सपा लागू होने के कारण सेना के पास स्थिति नियंत्रण का पूरा अधिकार था। कुकी जनजाति की महिलाएं जिसके लिए नग्न होकर सेना के खिलाफ प्रदर्शन करती रही हैं। उन्होंने सेना को रेपिस्ट बताते हुए बैनरों का अपने प्रदर्शन में इस्तेमाल किया है। हथियार उठाए कुकी मिलिटेंट्स जब जेलों में वहां बंद कर दिए जाते हैं तो उन्हें जेल तोड़कर बाहर निकाल लिया जाता है। क्योंकि सेना के पास आफ्सपा की शक्ति नहीं होने के कारण स्थिति पर नियंत्रण नहीं हो पाता। पिछले महीनों से हो रही हिंसा को नियंत्रित करने के लिए जब केंद्र सरकार स्पेशल फोर्स भेजती है, तब कुकी समुदाय के महिलाओं को ट्रकों में भरकर ले जाया जाता है और सेना का रास्ता रुकवाया जाता है। इसी आर में कुकी मिलिटेंट्स मैतेई हिंदुओं के घर जलाते हैं तथा उनकी महिलाओं के साथ हिंसा करते हैं। मणिपुर से जो नग्न महिलाओं की तस्वीर आई है वे कुकी समुदाय की वही महिलाएं हैं जो नग्न होकर भारतीय सेना का विरोध करती हैं और उन्हें रेपिस्ट बताती हैं। उन्हीं दो नग्न महिलाओं को वीडियो में ले जाता हुआ दिखाई पड़ रहा है। उन दो स्त्रियों के साथ कुछ गलत हुआ भी या नहीं, इसका डिजिटल युग में भी कहीं कोई प्रमाण नहीं है। बड़ा उचित समय जानकर एक एजेंडा के तहत, देश और संसद सत्र की स्थिति खराब करने के लिए, कहीं महीनों बाद उस वीडियो को रिलीज किया गया है। जिसके लिए इंफाल से लेकर दिल्ली तक हाहाकार मच गया है। जब हिंदू समुदाय को न्याय दिलाने की बात थी तो सुप्रीम कोर्ट याचिका को स्वीकार करने से भी नकार दिया था। आज वही सुप्रीम कोर्ट मामले में बलात् हस्तक्षेप के लिए सरकार को धमकी दे रहा है। नैरेटिव इतना मजबूत कि कुकी समुदाय को पीड़ित सिद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है। स्वाभाविक मैतेई समुदाय अपराधी सिद्ध हो जाएगा। देश की आम जनता भी इस बात को नहीं समझ पा रही। साभार

75 करोड़ पौधे रोपें जाएंगे

75 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य लखनऊ, प्रदेश सरकार द्वारा इस वर्ष पूरे प्रदेश भर में तीन हज़ार करोड़ रुपये व्यय कर 75 करोड़ पौधे रोपने का प्लान बनाया है। सहारनपुर जनपद में इस वर्ष 34 लाख पौधे रोपे जायेंगे। जनपद की पांचों तहसील में एक लाख 63 हज़ार पौधे रोपण का लक्ष्य मिला है। सरकारी-गैरसरकारी स्तर पर पौधा रोपण के लिये सर्वे कर स्थान चिन्हित कर लिये गये हैं। पेड़ो की अंधाधुंध कटाई के कारण ही बरसात में पहाड़ दरक रहे हैं, ज़लज़ले आ रहे हैं। प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा भुगत रहा है इंसान। पेड़ इंसान के साथी होते हैं। पेड़ हमारी जरूरतों को पूरा करते हैं। पेड़ भूमि कटाव को रोकने में सहायक होते हैं। पेड़ धरती में जल का संरक्षण करते हैं। पेड़ो से पहाड़ो को मजबूती मिलती है। लेकिन इंसान का लालच इन सब बातों पर भारी पड़ रहा है। पौधरोपण तो प्रतिवर्ष होता है। लेकिन जरूरी यह है कि पौधरोपण किये गये पौधों में से बचते कितने पौधे हैं। हर वर्ष सरकारें भारी भरकम राशि व्यय करती है। ऐसे में हम सभी का कर्तव्य है की हम सब भी रोपें गये पौधों की जानकारी रखें एवं उनकी देखभाल में सहयोग करें। सुनील जैन राना

शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

मूक पशुओं कब प्रति बेरुखी

जीव रक्षा केंद्र, चिलकाना रोड़, सहारनपुर के बाहर बना पशु प्याऊ तोड़ा जाएगा। इस आशय से सम्बंधित बिजलीं कर्मचारी का फोन संस्था के संयोजक सुनील जैन राना के पास आया। बताया गया कि वहां ट्रांसफार्मर लगेगा जिसके लिये यह प्याऊ तोड़ना पड़ेगा। कर्मचारी ने यह भी कहा कि हम दूसरी जगह पशु प्याऊ बनवा देंगे। संस्था द्वारा नगर में अनेको पशु प्याऊ बनवाये गए थे जिनमें से 2-3ही बचे हैं। कुछ कब्जा लिये गए। कुछ सड़क, नाला बनने के चक्कर मे तोड़ दिये गए। नुमाइश कैम्प में भारत माता मंदिर से पहले बना प्याऊ भी अक्सर उसकी पाईप लाइन तोड़ कर कब्जा करने की फिराक में खोके वाले रहते हैं। अब संस्था के बाहर बने प्याऊ के तोड़ दिए जाने पर दोबारा बने या न बने कैसे विश्वास करें। जीव दया रखते हुए हमें आप सभी के सहयोग की जरूरत है बताएं हम क्या करें। संस्था निःशुल्क जीव दया के कार्य करती है। ऐसे में प्रसाशन के सहयोग की भी हमे जरूरत रहती है। नगर निगम एवम मेयर महोदय से अनुरोध है की इस प्याऊ को टूटने सर बचाएं। 🙏🏻 निवेदक, सुनील जैन राना संयोजक

रविवार, 9 जुलाई 2023

वेज़ सामान, नॉनवेज नाम क्यो?

*बिरयानी कबाब के नाम पर अदभुत संग्राम *दादा जी ने हटवा के ही दम लिया ----- कल एक ब्राम्हण परिवार की शादी में , प्रीतिभोज में जाना हुआ , स्वागत गेट में गुलाब के फूल , मैंगो शेक, ड्राइफूट के साथ स्वागत हुआ अंदर मैदान में अद्भुत नजारा था। आर्केस्ट्रा की स्वर लहरी चारो तरफ गुंजायमान थी । इवेंट मैनेजमेंट का फंडा चारो तरफ बिखरा हुआ दिख रहा है। दूल्हा और दुल्हन को गेट से ही मंच तक लेकर जाने की अदभुत तैय्यारी भी रथ व नाचने गाने वालो को पूरी टीम तैयार थी जो वर वधु को लेकर बीच मैदान में ले जाकर वरमाला करवाकर स्टेज में ले गया । हम सब तो थके मांदे भूख से व्याकुल लोग थे जो पहुंच गए स्टार्टर की ओर पर उसी बीच एक दूसरे और तेज हो हल्ला सुनाई देने लगी, मैं भी गुपचुप का दोना फेक उस और हो लिया। वहा तो अलग ही नजारा था। चक सफेद धोती कुर्ता और कंधे में क्रीम कलर का साफी डाले लगभग 65 साल का बुजुर्ग पर उनका आवाज युवाओं से भी तेज ,लड़की वाले व केट्ररर्स को चमका रहा था और बार बार कह रहा था हम सब खाना नही खायेगे,या तो आप ये मेनू की जो सूची लिखे बोर्ड है उसे फेके या फिर भोजन को फेके ? हम सब ये खाना नही खायेगे । हम शादी में आए है निकाह में नहीं। मेरी भी नजर अचानक खाने के स्टाल पर पड़ी , जहा लिखा था वेज बिरयानी, हरा भरा कबाब, वेज कोरमा कबाब ,वेज हांडी बिरयानी,। बुजुर्ग तमतमाया हुआ था, बात बात में कहता था बिरयानी व कबाब किसे कहते है, मुझे समझाओ फिर ही हम सब भोजन करेगे और अपने इस बहस में मुझे भी शामिल कर लिया की बताइए शुक्ला जी क्या ऐसा लिखना उचित है। मांस के उपयोग से बने भोजन को ही बिरयानी व कबाब कहते है ,क्या हमे इस जगह पर ऐसे हालात में भोजन करना चाहिए ।मेरे और अनायास दादा के प्रश्न पर मैं भी कुछ बोल नहीं पा रहा था। एक तरफ केट्ररर्स की गलती ,समाज में चल रहे अंधाधुन पश्चात्य संस्कृति के ढल रहे लोग,और दूसरी ओर हाथ जोड़े अनुनय करते खड़े लड़की के परिवार वाले? और सबके बीच धर्म, संस्कृति व भोजन के तरीके पर अड़े दादाजी,जो अपनी जगह बिल्कुल सही थे अब उनके स्वर और तीखे हो गए कहने लगे बताओ मैं विवाह में आया हु की निकाह में ? बाते बढ़ते देख मेने व वहा पर खड़े दो तीन मित्रो ने मिलकर केटरर्स को चिल्लाकर स्टाल से सारे स्टीगर निकाल फेके जिसमे बिरयानी व कबाब जैसे शब्द लिखे थे, तब दादाजी का गुस्सा शांत हुआ और फिर उन्होंने भोजन ग्रहण करने की हामी भरी वो भी बैठकर, । दादा जी की बाते वहा पर उपस्थित सभी लोगो को एक सीख दे गई की मांसाहारी भोजन के लिए ही कबाब व बिरयानी जैसे शब्द प्रयोग किया जाता है ।और खाना नही हमे भोजन करना चाहिए । केटरर्स जो भी लिखे उसे हमे भी एक बार मेनू तय करते समय अपनी समाज एवम संस्कृति के हिसाब से देख भी लेना चाहिए ।।

शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

नये वाहनों का उत्पादन

सड़को पर अतिक्रमण- भीड़ की वज़ह जहां- जहां देखो अतिक्रमण और भीड़ ही नज़र आती है हमारे देश की सड़कों पर। यह स्तिथी तब है जबकि देश भर में सड़कों का जाल - हाइवे बन गये हैं, अभी भी और ज्यादा तादाद में बन रहे हैं। गडकरी जी ने वास्तव में यह करिश्मा कर दिखाया है। फिर भी सड़को पर इतनी भीड़ क्यों? इसका मुख्य कारण है बहुत बड़ी तादाद में दो पहिया वाहनों एवं चार पहिया वाहनों का बनना और बिकना। पिछले वित्तीय वर्ष में 2.7 करोड़ वाहनों का उत्पादन हुआ जिसकी कुल कीमत 8.7 लाख करोड़ रुपये थी। यानि की इतना बड़ा वाहनों का बाजार बन गया है भारत। इन्ही कुछ कारणों से भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रही है। अब जब करोड़ो वाहन सड़को पर प्रति वर्ष आयेंगे तो स्वभाविक है सड़को पर भीड़ होना। लेकिन अतिक्रमण होने का भी एक कारण बढ़ती वाहनों की संख्या है। प्रत्येक नगर, शहर, कस्बे, गांव के घर- घर मे आज दो पहिया या चार पहिया वाहन खड़ा मिल जायेगा। यही सब सड़को पर चलते हैं जिसके कारण सड़कों पर हमेशा भीड़ ही दिखाई देती रहती है। दुकानों के बाहर वाहन खड़े होने से भी भीड़ की समस्या हो जाती है एवं यही कारण अतिक्रमण का बन जाता है। इसका निदान क्या है? इसका निदान कुछ देशों की वाहन नीतियों को अपनाकर ही हो सकता है। कुछ देश जितने नये वाहन बनाते हैं उतने ही पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन रदद् कर देते हैं। जिससे सड़को पर नियत संख्या में ही वाहन रहते हैं। हमारे देश में भी कुछ ऐसा ही निर्णय करना चाहिये। लेकिन यहां ऐसा सम्भव होना असम्भव ही लगता है। सरकार की 15 साल पुराने वाहनों को खत्म करने की पॉलिसी का ही मज़ाक बन रहा है। लेकिन फिर भी इस समस्या की विकरालता को देखते हुए इसका कुछ न कुछ समाधान तो निकालना ही चाहिये। सुनील जैन राना

गुरुवार, 6 जुलाई 2023

1000वीं पर्णिमा उत्सव

सहस्र पूर्ण चंद्रोदयम (या सहस्र चंद्र दर्शन) एक विशेष अवसर के रूप में किसी व्यक्ति के जीवन के दौरान 1000वीं पूर्णिमा का उत्सव है। यह भारत में एक हिंदू रिवाज है। समान चंद्र चरणों के बीच का समय, सिनोडिक महीना , औसतन 29.53 दिन है, और इस प्रकार 1000 चंद्रमा 29530 दिन = 80.849 वर्ष = पश्चिमी कैलेंडर पर लगभग 80 वर्ष, 10 महीने के बराबर होते हैं। व्यवहार में यह उत्सव पारंपरिक रूप से किसी व्यक्ति के 81वें जन्मदिन से 3 पूर्णिमा पहले मनाया जाता है। इस अनुष्ठान को सहस्र चंद्र दर्शन (सहस्र-(पूर्ण)चंद्र-दर्शन) या चंद्र रथारोहण के रूप में भी जाना जाता है [1] यह अनुष्ठान उसके बुढ़ापे में मानसिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करने और उसे आध्यात्मिक मुक्ति के लिए प्रोत्साहित करने के लिए है। इस जीवन की सभी समस्याओं से। संस्कृत में सहस्र का अर्थ है 1000, पूर्ण का अर्थ है पूर्ण, और चंद्रोदयम का अर्थ है चंद्रमा का सूर्योदय। बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए भी इसी प्रकार का उत्सव है 60 वर्ष पूरे होने पर - षष्टियाअब्दापूर्ति (या षष्ठी पूर्ति ) 77 वर्ष, 7 महीने, 7 दिन पूरे - भीम रथारोहण या भीम रथ शांति 88 वर्ष 8 महीने, 8 दिन पूरे - देव रथारोहण या देव रथ शांति 99 वर्ष, 9 महीने, 9 दिन पूरे होने पर - दिव्य रथारोहण या दिव्य रथ शांति 105 वर्ष 8 महीने, 8 दिन पूरे होने पर - महादिव्य रथारोहण या महादिव्य रथ शांति। * साभार *

रविवार, 2 जुलाई 2023

मोदीजी का जलवा

👌🏼👌🏼👍🏼🙏🏼🙏🏼 *नरेंद्र मोदी पर नारायण मूर्ति।* *मैं यह नहीं कहता कि मोदी सबसे अच्छे पीएम हैं, लेकिन यह पहली बार है, मैंने 15 अगस्त को पीएम के भाषण के अलावा अन्य देखा।* *मैं यह नहीं कहता कि मोदी सबसे अच्छे हैं, लेकिन यह पहली बार है जब मुझे पता चला है कि मेरा देश भारत के बाहर इतनी अच्छी तरह से पहचाना जाता है।* *मैं यह नहीं कहता कि मोदी सबसे अच्छे प्रधानमंत्री हैं, लेकिन यह पहली बार है जब 20,000 भारतीय किसी राजनेता के भाषण के लिए किसी विदेशी भूमि पर एकत्रित हुए हैं।* *मैं नहीं कहता कि मोदी सर्वश्रेष्ठ हैं लेकिन पहली बार अमरीका की संसद में 46 मिनट के शानदार भाषण में पी.एम. भारत को 9 बार स्टैंडिंग ओवेशन मिला, 27 बार स्नेहपूर्ण तालियाँ मिलीं, जिनमें से पहली ताली 3 मिनट और 40 सेकंड तक चली, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास में पहली बार है।* *मैं यह नहीं कहता कि मोदी सबसे अच्छे पीएम हैं, लेकिन यह पहली बार है जब हर एनआरआई को उन पर गर्व है।* *मैं यह नहीं कहता कि मोदी सबसे अच्छे पीएम हैं, लेकिन यह पहली बार है जब 80 देश किसी भारतीय पीएम को सुन रहे हैं।* *मैं यह नहीं कहता कि मोदी सबसे अच्छे प्रधानमंत्री हैं, लेकिन यह पहली बार है जब पाकिस्तान पूरी तरह बेनकाब हो गया है और चीन बेखबर है।* *मैं यह नहीं कहता कि मोदी सबसे अच्छे प्रधानमंत्री हैं, लेकिन यह पहली बार है जब अमरीका को पता चला है कि अगर उन्हें महाशक्ति के रूप में बने रहने की जरूरत है तो उन्हें भारतीय समर्थन की जरूरत है।* *मैं यह नहीं कहता कि मोदी सबसे अच्छे प्रधानमंत्री हैं, लेकिन यह पहली बार है, जब अमरीका के राष्ट्रपति को यह एहसास हुआ है कि वह सबसे प्रसिद्ध राजनेता नहीं हैं।* *मैं यह नहीं कहता कि मोदी सबसे अच्छे पीएम हैं, लेकिन यह पहली बार है जब भारत एक अग्रणी देश के रूप में अच्छी तरह से पहचाना जाता है।* *मैं यह नहीं कहता कि मोदी सबसे अच्छे पीएम हैं, लेकिन यह पहली बार है, दुनिया जानती है कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र क्यों हैं।* *मैं यह नहीं कहता कि मोदी सबसे अच्छे पीएम हैं, लेकिन यह पहली बार है जब मुझे पता चला है कि मैं एक प्राउड इंडियन हूं !!....*

किसानों की परेशानी

भारतीय किसान क्यों रहते हैं परेशान? भारत देश किसानों का देश है। सरकारों द्वारा किसानों के लिये अनेको सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं। अनेकों योजनाएं किसानों के लिये बन रही हैं। फसलों का उचित मूल्य, बीज के लिये ऋण, बिजलीं यूनिट में छूट, यूरिया कम मूल्य पर, समय-समय पर ऋण माफ़ी आदि सुविधाएं दी जाती हैं। अभी हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा गन्ने के मूल्य में व्रद्धि एवं यूरिया सब्सिडी के लिये 3.68 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है। फिर किसान क्यों रहता है परेशान? दरअसल इसका मुख्य कारण है बिचौलिये। किसान की कुछ फसलें तो सरकार द्वारा निर्धारित खरीद मूल्य पर बिक जाती हैं जैसे गेहूं, गन्ना आदि लेकिन कुछ फल सब्जी जो ज्यादा समय रखी नही जा सकती उन्हें किसान द्वारा मजबूरी में बिचौलियों को कम दामों में बेचना पड़ता है। उसी उत्पाद को बिचौलिये कोल्ड स्टोरेजों में रखकर धीरे -धीरे दाम बढ़कर बेचते हैं। अभी कुछ दिन पहले खुदरा व्यापारी द्वारा 10-15 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर बारिश आते ही 100 रुपये किलों बिकने लगा। किसान का टमाटर बारिश में भीगकर खराब हो गया, बिचौलियों के मज़े आ गए। उन्होंने सीधा 10 गुने दाम बढ़कर माल बेचा। यही विडम्बना है किसान के साथ। किसानों को सरकार के साथ मिलकर अपनी उपज का सही दाम मिले ऐसे प्रयास करने चाहिये। एक बार लाखों करोड़ की सब्सिडी आदि में से कुछ धनराशि कोल्डस्टोरेज बनाने में लगवाएं जिसका सीधा सम्बन्ध किसानों से हो। जिसमें किसान अपनी खराब होने वाली उपज को रख सके और फिर धीरे-धीरे खुदरा बाजार में बेचकर उचित मूल्य पा सकें। सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिये। सुनील जैन राना

ध्वजारोहण

*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-* स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क...