रविवार, 18 जून 2023

शराबबंदी से फायदा या नुकसान

शराबबंदी से फायदा या नुकसान सरकार को राजस्व से आमदनी होने के पहलुओं ने शराब, गुटखा और तेल सबसे ज्यादा राजस्व देते हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से पहले दोनों के बारे में सरकार का ही एक विभाग मद्य निषेध करोड़ो रूपये खर्च कर इनसे बचने के बारे में प्रचार करता है। शराब हानिकारक है और गुटखा कैंसर की मौत मारता है। यानि की दो परस्पर दो विरोधी विभाग। एक विभाग से आमदनी हो रही है एवं दूसरे विभाग से खर्च हो रहा है। देशभर में शराब और शराबियों का बोलबाला है। देश के कुछ राज्यों में शराबबंदी लागू है। इनमें से एक राज्य बिहार भी है। बिहार की चर्चा इसलिये की अवैध कच्ची शराब सबसे ज्यादा बिहार में बनाई जाती है। जिसके कारण सबसे ज्यादा मौतें भी बिहार में हो रही हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है की बिहार में शराबबंदी से फायदा हुआ या नुकसान ज्यादा हो रहा है। शराबबंदी के बाद से बिहार में दूसरे राज्यों से स्मगलर कर लाई जाने वाली शराब की धरपकड़ भी बहुत होती है। पकड़ी गई शराब की खेप को कभी-कभी दिखावे को सड़क पर बुलडोजर से नष्ट करवा दिया जाता है। लेकिन ज्यादातर सरकारी मालखाने में जमा करवा दिया जाता है। जहाँ से उसका वापस मिलना असम्भव सा ही होता है। अक्सर सुनने में आ जाता है की शराब चूहे पी गए या ले गए। सवाल यह है की जब पता है की किसी राज्य की स्थिति ऐसी है कि वहां की जनता बिना शराब के रह नहीं सकती तब ऐसे में उस राज्य के सीएम क्यों गाँधीजी बन जाते हैं और लोगो की जान से खिलवाड़ कर बैठते हैं। अंग्रेजी शराब न मिलने पर कच्ची जहरीली शराब पीने को मजबूर हो जाते हैं उस राज्य के लोग और अक्सर बड़ी तादाद में अपनी जान खो बैठते हैं। ऐसी शराबबंदी से फायदा हुआ या नुकसान यह सोचना चाहिये। देश के कुछ राज्यो की एक तिहाई आबादी और कुछ राज्यो की एक चौथाई आबादी बिना शराब के रह नही सकती। या यों कहिये की कुछ राज्यों में शराब की खपत पर व्यक्ति बहुत ज्यादा है। इनमें छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, आंध्रप्रदेश, पंजाब, अरुणाचल, गोवा आदि हैं। इनमें बिहार का नम्बर बहुत बाद में है। लेकिन फिर भी इन राज्यो में बिहार जैसे कांड नहीं होते। अवैध कच्ची शराब नहीं बनती। शराब से जनहानि नहीं होती। बिहार में शराबबंदी से जहरीली कच्ची शराब को बढ़ावा मिला है जो लोगो की जान जोखिम में डाल देता है। ऐसे में शराबबंदी से फायदा हुआ या नुकसान हो रहा है यह सरकार को सोचना चाहिए। सुनील जैन राना

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