रविवार, 28 जून 2020
गुरुवार, 25 जून 2020
गरीब कौन - बेरोजगार कौन ?
गरीब कौन - बेरोजगार कौन ? https://suniljainrana.blogspot.com/
June 25, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
सरकार गरीबो -बेरोजगारों के लिए अनेक योजनाएं बनाती है। निःशुल्क या सस्ते राशन वितरण से लेकर रोजगार करने के लिए सस्ते लोन -सब्सिडी आदि देकर मदद करती है फिर भी देश में से गरीबों की संख्या कम नहीं हो रही है।
ऐसा क्यों है इसके लिए हमें पहले यह देखना होगा की गरीब -बेरोजगार कौन हैं? पिछले तीन महीने कोरोना कार्यकाल को छोड़ कर देंखे तो राशन की लाइन में अच्छे कपड़े पहने हाथों में स्मार्ट फोन लिए लाइन में खड़ा व्यक्ति गरीब है क्या? सरकार द्वारा किसी योजना हेतु जनधन खाते में ५०० रूपये निकालने को ७० हज़ार की मोटर साईकल पर अपनी पत्नी को लाइन में लगाने आया व्यक्ति गरीब है क्या?अपना घर योजना में सरकारी मदद से अपना घर बनाकर उसे किराये पर देकर या बेचकर फिर से झोपड़ पट्टी में रहने वाला गरीब है क्या?सुबह को राशन की लाइन में और शाम को दारु की दुकान पर लाइन में लगने वाला व्यक्ति गरीब है क्या?
दरअसल कुछ गरीब तो वास्तव में बहुत गरीब हैं लेकिन ज्यादातर गरीबी का चोला ओढ़े गरीब हैं। ऐसीही बात बेरोजगारी की है। यदि हम सब अपने आस -पास के १० -१० पड़ोसियों को देंखे तो लगभग सभी व्यस्त मिलेंगे। काम करने को कोई आदमी नहीं मिलता ,जिसे देखो वही व्यस्त। बेरोजगारी तो गरीबी की तरह ही जुमला जैसी ही बात है।
दरअसल भारत देश में आज़ादी के बाद से गरीबी हटाओ का नारा तो दिया लेकिन गरीबी हटाने की सोच नहीं दी। आज गरीबी इतनी नहीं है जितनी ज्यादा सोच है। नेताओ ने गरीबी को हथियार बना रखा है। गरीबो के नाम पर अपने पेट भरे जा रहे हैं। कोरोना कार्यकाल में गरीब -बेरोजगारों के लिए राशन आदि का बेहताशा निःशुल्क वितरण हुआ ,क्या वह पूर्णतः सही तरह से हुआ?क्या सभी गरीबों को राशन मिला ?जबाब अलग -अलग होंगे। कुछ गरीबों को राशन नहीं मिला जबकि कुछ कथित गरीबों को कई -कई जगहों से मिला।
हकीकत तो यह है की सरकार द्वारा जारी मुफ़्त की योजनाओं से कथित गरीब आदमी निठल्ला होता जा रहा है। योजनाओं का लाभ सही लाभार्थी तक पूर्णतः नहीं पहुंच रहा है। गरीबी कम करने को गरीबों की सोच बदलनी होगी। रोजगार के साधन उपलभ्ध कराने होंगे जो की मोदी सरकार में किये जा रहे हैं। अन्यथा तो फ्री का चंदन घिस मेरे नंदन। * सुनील जैन राना *
ऐसा क्यों है इसके लिए हमें पहले यह देखना होगा की गरीब -बेरोजगार कौन हैं? पिछले तीन महीने कोरोना कार्यकाल को छोड़ कर देंखे तो राशन की लाइन में अच्छे कपड़े पहने हाथों में स्मार्ट फोन लिए लाइन में खड़ा व्यक्ति गरीब है क्या? सरकार द्वारा किसी योजना हेतु जनधन खाते में ५०० रूपये निकालने को ७० हज़ार की मोटर साईकल पर अपनी पत्नी को लाइन में लगाने आया व्यक्ति गरीब है क्या?अपना घर योजना में सरकारी मदद से अपना घर बनाकर उसे किराये पर देकर या बेचकर फिर से झोपड़ पट्टी में रहने वाला गरीब है क्या?सुबह को राशन की लाइन में और शाम को दारु की दुकान पर लाइन में लगने वाला व्यक्ति गरीब है क्या?
दरअसल कुछ गरीब तो वास्तव में बहुत गरीब हैं लेकिन ज्यादातर गरीबी का चोला ओढ़े गरीब हैं। ऐसीही बात बेरोजगारी की है। यदि हम सब अपने आस -पास के १० -१० पड़ोसियों को देंखे तो लगभग सभी व्यस्त मिलेंगे। काम करने को कोई आदमी नहीं मिलता ,जिसे देखो वही व्यस्त। बेरोजगारी तो गरीबी की तरह ही जुमला जैसी ही बात है।
दरअसल भारत देश में आज़ादी के बाद से गरीबी हटाओ का नारा तो दिया लेकिन गरीबी हटाने की सोच नहीं दी। आज गरीबी इतनी नहीं है जितनी ज्यादा सोच है। नेताओ ने गरीबी को हथियार बना रखा है। गरीबो के नाम पर अपने पेट भरे जा रहे हैं। कोरोना कार्यकाल में गरीब -बेरोजगारों के लिए राशन आदि का बेहताशा निःशुल्क वितरण हुआ ,क्या वह पूर्णतः सही तरह से हुआ?क्या सभी गरीबों को राशन मिला ?जबाब अलग -अलग होंगे। कुछ गरीबों को राशन नहीं मिला जबकि कुछ कथित गरीबों को कई -कई जगहों से मिला।
हकीकत तो यह है की सरकार द्वारा जारी मुफ़्त की योजनाओं से कथित गरीब आदमी निठल्ला होता जा रहा है। योजनाओं का लाभ सही लाभार्थी तक पूर्णतः नहीं पहुंच रहा है। गरीबी कम करने को गरीबों की सोच बदलनी होगी। रोजगार के साधन उपलभ्ध कराने होंगे जो की मोदी सरकार में किये जा रहे हैं। अन्यथा तो फ्री का चंदन घिस मेरे नंदन। * सुनील जैन राना *
सोमवार, 22 जून 2020
गुरुवार, 18 जून 2020
धोखेबाज़ चीन मानेगा नहीं -बहिष्कार जरूरी
June 18, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिको पर हमला कर चीन ने अपनी धोखेबाज़ी की फ़ितरत को जता दिया है। मुँह में राम बगल में छुरी यही है चीन की नीति। अब समय आ गया है की सीमा पर जवान चीन को उसकी ही भाषा में जबाब देंगे और देश के अंदर हम सब भारतीय चीनी सामानों का बहिष्कार कर चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचाकर अपना फर्ज निभायेंगे।
चीन की विस्तारवादी -साम्राज्यवादी और विश्वासघाती नीति से विश्व के अनेको देश पीड़ित हैं। विश्व के कई देशो को चीन ने चीनी सामान और कर्ज देकर अपने मकड़जाल में उलझा कर उनपर कब्जा करने की योजना बना रखी है। जिससे अनेको देश चीन के विरोध में एकत्र हो चीन से छुटकारा चाहते हैं। यही नहीं चीन की छलकपट की नीति से अनेक विकसित देश भी हैरान -परेशान हैं। फिर भी चीन अपने धन -बल के अहंकार में अनैतिक कार्य करने से बाज़ नहीं आ रहा है।
भारत भी अब १९६२ वाला भारत नहीं है। अब यह मोदी का भारत है जिसका सूत्र वाक्य है की किसी की छेड़ेंगे नहीं -कोई छेड़ेगा तो उसे छोड़ेंगे नहीं। चीन भले ही ताकतवर है लेकिन अब भारत भी अकेला नहीं है। अमेरिका समेत विश्व के १४२ देश भारत के साथ हैं जो चीन के विरुद्द भारत का साथ देने और चीन का बहिष्कार करने को तैयार हैं।
लद्दाख की गलवान घाटी में शहीद हुए सभी वीरों को नमन करते हुए हम सब भारतीयों को यह प्रण करना चाहिये की देश की सीमा पर जवान देश के लिए शहीद हो जाते हैं तो हम सभी इतना तो कर ही सकते हैं की चीनी सामानों और चीनी एप्प आदि सभी का बहिष्कार कर चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचायें। भारतीय सामानों को खरीदकर मेक इन इंडिया का परचम लहराकर देश से बेरोजगारी दूर करने में सहायक बनें। * सुनील जैन राना *
चीन की विस्तारवादी -साम्राज्यवादी और विश्वासघाती नीति से विश्व के अनेको देश पीड़ित हैं। विश्व के कई देशो को चीन ने चीनी सामान और कर्ज देकर अपने मकड़जाल में उलझा कर उनपर कब्जा करने की योजना बना रखी है। जिससे अनेको देश चीन के विरोध में एकत्र हो चीन से छुटकारा चाहते हैं। यही नहीं चीन की छलकपट की नीति से अनेक विकसित देश भी हैरान -परेशान हैं। फिर भी चीन अपने धन -बल के अहंकार में अनैतिक कार्य करने से बाज़ नहीं आ रहा है।
भारत भी अब १९६२ वाला भारत नहीं है। अब यह मोदी का भारत है जिसका सूत्र वाक्य है की किसी की छेड़ेंगे नहीं -कोई छेड़ेगा तो उसे छोड़ेंगे नहीं। चीन भले ही ताकतवर है लेकिन अब भारत भी अकेला नहीं है। अमेरिका समेत विश्व के १४२ देश भारत के साथ हैं जो चीन के विरुद्द भारत का साथ देने और चीन का बहिष्कार करने को तैयार हैं।
लद्दाख की गलवान घाटी में शहीद हुए सभी वीरों को नमन करते हुए हम सब भारतीयों को यह प्रण करना चाहिये की देश की सीमा पर जवान देश के लिए शहीद हो जाते हैं तो हम सभी इतना तो कर ही सकते हैं की चीनी सामानों और चीनी एप्प आदि सभी का बहिष्कार कर चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचायें। भारतीय सामानों को खरीदकर मेक इन इंडिया का परचम लहराकर देश से बेरोजगारी दूर करने में सहायक बनें। * सुनील जैन राना *
सोमवार, 15 जून 2020
रविवार, 14 जून 2020
*आत्महत्या करने वालो,सुन लो जरा *मर कर क्या मिलेगा सोचो जरा *नये जीवन में फिर वही परेशानियाँ*
June 14, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
आत्महत्या करने वालो ,सुन लो जरा ,मर कर क्या मिलेगा सोचो जरा ,नये जीवन में फिर वही परेशानियाँ।
मुश्किल से मिला मानव जीवन यूँ ही बर्बाद न करो। जीवन की परेशानियों से घबराकर यूँ हीं आत्महत्या करने की न सोचो। मानव जीवन मिला है तो कठिनाइयों का सामना तो करना ही पड़ेगा। सफल वही होता है जो हिम्मत नहीं हारता। अच्छाइयों -बुराइयों के बीच रहकर जीवन जीने की कला तो सीखनी ही पड़ेगी। आत्महत्या करना समस्याओं का हल नहीं है।
*मर कर क्या मिलेगा सोचो जरा *कभी सोचा है की यदि समस्याओं से घबराकर आत्महत्या कर भी ली तो मरकर क्या मिलेगा ?मिलना क्या है ,निश्चित ही नीच गति मिलेगी। यानि नर्क गति या तिर्यंच गति मिलेगी। शास्त्रों में लिखा है मृत्यु के समय जैसे भाव होते हैं वैसी ही गति मिलती है। आत्महत्या करना घोर पाप है। आत्महत्या करने से पहले प्राणी के मन में न जाने कैसे -कैसे दूषित भाव आते हैं ,इन्ही भावो के अनुसार अगली गति का बंध हो जाता है अर्थात अगला जन्म हो जाता है।
* नये जीवन में फिर वही परेशानियाँ * आत्महत्या करने से पहले जरा यह भी सोचो की अब मरे तो फिर कहां जन्मोगे ?नरक में गये तो लम्बे गये। तिर्यंच में गये तो गधा -घोड़ा -कुत्ता से लेकर नाली के कीड़े तक बन सकते हो। इस जीवन में बहुत ही सद्कर्म कर मरे हो और भाग्य से फिर मनुष्य जीवन मिल भी गया तो फिर सोचो क्या होगा ?होना क्या है ,फिर वही माँ के पेट में ९ माह की वेदना ,जन्म होने से बड़े होने तक की फिर वही लिखाई-पढ़ाई। उसके बाद फिर वही काम धंधे की तलाश में फिर वही कठिनाइयाँ जिसके कारण आज आत्महत्या करने की सोच रहे हो। समझ रहे हो न ,फिर से वही जीवन चक्र। * इसलिए हे मानव ,मुनष्य जीवन मिला है तो परुषार्थ कर ,संतोष धन रख ,परोपकार कर **********सुशान्त सिंह नहीं *** सोनू सूद बन *** निवेदक - सुनील जैन राना , सहारनपुर
मुश्किल से मिला मानव जीवन यूँ ही बर्बाद न करो। जीवन की परेशानियों से घबराकर यूँ हीं आत्महत्या करने की न सोचो। मानव जीवन मिला है तो कठिनाइयों का सामना तो करना ही पड़ेगा। सफल वही होता है जो हिम्मत नहीं हारता। अच्छाइयों -बुराइयों के बीच रहकर जीवन जीने की कला तो सीखनी ही पड़ेगी। आत्महत्या करना समस्याओं का हल नहीं है।
*मर कर क्या मिलेगा सोचो जरा *कभी सोचा है की यदि समस्याओं से घबराकर आत्महत्या कर भी ली तो मरकर क्या मिलेगा ?मिलना क्या है ,निश्चित ही नीच गति मिलेगी। यानि नर्क गति या तिर्यंच गति मिलेगी। शास्त्रों में लिखा है मृत्यु के समय जैसे भाव होते हैं वैसी ही गति मिलती है। आत्महत्या करना घोर पाप है। आत्महत्या करने से पहले प्राणी के मन में न जाने कैसे -कैसे दूषित भाव आते हैं ,इन्ही भावो के अनुसार अगली गति का बंध हो जाता है अर्थात अगला जन्म हो जाता है।
* नये जीवन में फिर वही परेशानियाँ * आत्महत्या करने से पहले जरा यह भी सोचो की अब मरे तो फिर कहां जन्मोगे ?नरक में गये तो लम्बे गये। तिर्यंच में गये तो गधा -घोड़ा -कुत्ता से लेकर नाली के कीड़े तक बन सकते हो। इस जीवन में बहुत ही सद्कर्म कर मरे हो और भाग्य से फिर मनुष्य जीवन मिल भी गया तो फिर सोचो क्या होगा ?होना क्या है ,फिर वही माँ के पेट में ९ माह की वेदना ,जन्म होने से बड़े होने तक की फिर वही लिखाई-पढ़ाई। उसके बाद फिर वही काम धंधे की तलाश में फिर वही कठिनाइयाँ जिसके कारण आज आत्महत्या करने की सोच रहे हो। समझ रहे हो न ,फिर से वही जीवन चक्र। * इसलिए हे मानव ,मुनष्य जीवन मिला है तो परुषार्थ कर ,संतोष धन रख ,परोपकार कर **********सुशान्त सिंह नहीं *** सोनू सूद बन *** निवेदक - सुनील जैन राना , सहारनपुर
बुधवार, 10 जून 2020
धोखेबाज़ चीन -चालबाज़ कोरोना -अनपढ़ शिक्षक https://suniljainrana.blogspot.com/
June 10, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
चीन एक ऐसा देश जिसे अब अधिकांश देश धोखेबाज़ चीन की निगाह से देखते हैं। अपनी विस्तारवादी नीति के कारण चीन विश्व के कई देशो को आँखे दिखाता रहता है। ताइवान,हॉन्कॉन्ग,तिब्बत से लेकर भारत आदि के क्षेत्रों पर अपना अधिकार जमाता रहता है। भारत में अब मोदी सरकार ने चीन को लद्दाख से हटने को मजबूर कर दर्शा दिया है की यह पहले वाला भारत नहीं है। लेकिन चीन विश्वासघात करने से बाज़ नहीं आयेगा। अब समय आ गया है की अमेरिका समेत विश्व के कई देश चीन के खिलाफ रणनीति बनाकर चीन को सबक सिखाने का, तभी चीन बाज़ आयेगा।
चालबाज़ कोरोना - कोरोना को सस्ते में लो ना। भारत के राज्यों में कोरोना की गति मंद हो गई है तो कुछ राज्यों में कोरोना और अधिक फैलता जा रहा है। जिन शहरों में कोरोना का प्रकोप कम हो गया है वहां की जनता लापरवाह हो जाने से लगता है फिर से कोरोना अधिक मात्रा में फैलेगा और पुनः लॉक डाउन लगेगा। हम सभी को कोरोना को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हम सबको भीड़ से बचना चाहिए ,मास्क आदि का उपयोग करना ही चाहिए ,बहुत जरूरत पर ही घर से निकलना चाहिए अन्यथा ?
सहायक शिक्षकों की भर्ती - उत्तर प्रदेश में काफी समय से सहायक शिक्षकों की भर्ती का मामला लटका पड़ा था जिसे अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेकर सुलझाया। जिसमे ६९००० सहायक शिक्षकों की भर्ती में ३७३३९ को छोड़कर बाकि का रास्ता साफ़ हुआ। इनमें कुछ शिक्षामित्र हैं बाकी सामान्य अभ्यर्थी हैं अन्य को १४जुलाई तक रोक लगाई गई है।
इस विषय में जनमानस का कहना है की शिक्षा में योग्यता से समझौता नहीं होना चाहिए। आज अनेको सरकारी स्कूलों में आधा लाख वेतन पाने वाले शिक्षकों को हिंदी -अंग्रेजी खुद पढ़ना -पढ़ना नहीं आता। कुछ जगह शिक्षकों ने अपनी जगह सस्ते में शिक्षक रख लिए और खुद ऐश कर रहे हैं। ऐसे में देश की भावी पीढ़ी को कैसी शिक्षा मिलेगी चिंतनीय बात है। ऐसे मे कम पढ़े -लिखे का शिक्षक बन जाना सभी के साथ अन्याय ही है। शिक्षा के क्षेत्र में योग्यता से समझौता करना देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण ही होगा। * सुनील जैन राना *
चालबाज़ कोरोना - कोरोना को सस्ते में लो ना। भारत के राज्यों में कोरोना की गति मंद हो गई है तो कुछ राज्यों में कोरोना और अधिक फैलता जा रहा है। जिन शहरों में कोरोना का प्रकोप कम हो गया है वहां की जनता लापरवाह हो जाने से लगता है फिर से कोरोना अधिक मात्रा में फैलेगा और पुनः लॉक डाउन लगेगा। हम सभी को कोरोना को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हम सबको भीड़ से बचना चाहिए ,मास्क आदि का उपयोग करना ही चाहिए ,बहुत जरूरत पर ही घर से निकलना चाहिए अन्यथा ?
सहायक शिक्षकों की भर्ती - उत्तर प्रदेश में काफी समय से सहायक शिक्षकों की भर्ती का मामला लटका पड़ा था जिसे अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेकर सुलझाया। जिसमे ६९००० सहायक शिक्षकों की भर्ती में ३७३३९ को छोड़कर बाकि का रास्ता साफ़ हुआ। इनमें कुछ शिक्षामित्र हैं बाकी सामान्य अभ्यर्थी हैं अन्य को १४जुलाई तक रोक लगाई गई है।
इस विषय में जनमानस का कहना है की शिक्षा में योग्यता से समझौता नहीं होना चाहिए। आज अनेको सरकारी स्कूलों में आधा लाख वेतन पाने वाले शिक्षकों को हिंदी -अंग्रेजी खुद पढ़ना -पढ़ना नहीं आता। कुछ जगह शिक्षकों ने अपनी जगह सस्ते में शिक्षक रख लिए और खुद ऐश कर रहे हैं। ऐसे में देश की भावी पीढ़ी को कैसी शिक्षा मिलेगी चिंतनीय बात है। ऐसे मे कम पढ़े -लिखे का शिक्षक बन जाना सभी के साथ अन्याय ही है। शिक्षा के क्षेत्र में योग्यता से समझौता करना देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण ही होगा। * सुनील जैन राना *
सोमवार, 8 जून 2020
बुधवार, 3 जून 2020
तेरे टुकड़े -टुकड़े होंगे -जरूर -जरूर https://suniljainrana.blogspot.com/
June 3, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
भारत में देश विरोधी मानसिकता वाले लोगो की कमी नहीं है। राजनीति में तो यह सब चलता लेकिन JNU जैसे शिक्षा संस्थानों में देश के टुकड़े -टुकड़े होंगे जैसे नारे लगना कतई देश हित में नहीं है। अब ऐसे गैंग शिकंजे में कसे भी जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है की इन देश विरोधी गैंगों की बद्दुआ इनके जैसी सोच वाले पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान और चीन को लगने वाली है। ये दोनों ही देश भारत एवं विश्व से गद्दारी करने में लगे रहते हैं।
पाकिस्तान जैसा तुच्छ देश जिसकी जनता भूखे मर रही है ,इमरान खान भीख का कटोरा लिए घूमता है कोई भीख भी नहीं देता। जनता त्राहि -त्राहि कर रही है और नेता लोग मज़े कर रहे हैं अब वहां की जनता सरकार के ख़िलाफ़ सड़को पर उतर कर बगावत करने वाली है। लगता है पाकिस्तान खुद ही टूटकर ३ -४ टुकड़ो में बट जाने वाला है।
चीन विश्व के अग्रणी देशों में शुमार है लेकिन अपनी कूटनीति -चालाकी -धोखेबाज़ी से विश्व के नज़रो से गिरता जा रहा है। कोरोना काल में चीन की विश्वासघाती नीति से अनेक देश स्तब्ध हैं। अमेरिका समेत विश्व के अनेको देश चीन की विस्तारवादी नीति और विश्वासघात करने की नीति से क्षुब्ध होकर चीन के खिलाफ एकत्र होकर उसका बहिष्कार करने और कार्यवाही करने का मन बना चुके हैं। यही नहीं चीन में चीनी लोग भी सरकार दमनकारी नीति, कोरोना पर झूठे बयानों एवं मरने वालो की संख्या में झूठ से से नाराज होकर सड़को पर उतरने की सोच रहे हैं।
भारत के लद्दाख में ,अरुणाचल में तिब्बत में चीन अपनी मनमानी करता ही रहता है। लेकिन अब भारत अकेला नहीं है। विश्व के अनेको देश चीन के खिलाफ भारत का साथ देने को तैयार हैं। ये सभी देश चीनी सामानों के बहिष्कार कर आपसी सहयोग से सामानों की आपूर्ति करने की योजना बना रहे हैं। हम भारतीयों को भी चीन को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए चीनी सामानों का बहिष्कार करना ही होगा। मोबाईल पर चीनी एप्प की जगह भारतीय एप्प इस्तेमाल करने चाहियें। सैन्य ताकत में भले ही चीन ताकतवर हो लेकिन आर्थिक चोट से चीन बिखर ही जायेगा। विश्व के बहिष्कार और एकत्र होकर लड़ने वाली सैन्य ताकत के आगे चीन टुकड़े -टुकड़े हो ही जाएगा। *सुनील जैन राना *
पाकिस्तान जैसा तुच्छ देश जिसकी जनता भूखे मर रही है ,इमरान खान भीख का कटोरा लिए घूमता है कोई भीख भी नहीं देता। जनता त्राहि -त्राहि कर रही है और नेता लोग मज़े कर रहे हैं अब वहां की जनता सरकार के ख़िलाफ़ सड़को पर उतर कर बगावत करने वाली है। लगता है पाकिस्तान खुद ही टूटकर ३ -४ टुकड़ो में बट जाने वाला है।
चीन विश्व के अग्रणी देशों में शुमार है लेकिन अपनी कूटनीति -चालाकी -धोखेबाज़ी से विश्व के नज़रो से गिरता जा रहा है। कोरोना काल में चीन की विश्वासघाती नीति से अनेक देश स्तब्ध हैं। अमेरिका समेत विश्व के अनेको देश चीन की विस्तारवादी नीति और विश्वासघात करने की नीति से क्षुब्ध होकर चीन के खिलाफ एकत्र होकर उसका बहिष्कार करने और कार्यवाही करने का मन बना चुके हैं। यही नहीं चीन में चीनी लोग भी सरकार दमनकारी नीति, कोरोना पर झूठे बयानों एवं मरने वालो की संख्या में झूठ से से नाराज होकर सड़को पर उतरने की सोच रहे हैं।
भारत के लद्दाख में ,अरुणाचल में तिब्बत में चीन अपनी मनमानी करता ही रहता है। लेकिन अब भारत अकेला नहीं है। विश्व के अनेको देश चीन के खिलाफ भारत का साथ देने को तैयार हैं। ये सभी देश चीनी सामानों के बहिष्कार कर आपसी सहयोग से सामानों की आपूर्ति करने की योजना बना रहे हैं। हम भारतीयों को भी चीन को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए चीनी सामानों का बहिष्कार करना ही होगा। मोबाईल पर चीनी एप्प की जगह भारतीय एप्प इस्तेमाल करने चाहियें। सैन्य ताकत में भले ही चीन ताकतवर हो लेकिन आर्थिक चोट से चीन बिखर ही जायेगा। विश्व के बहिष्कार और एकत्र होकर लड़ने वाली सैन्य ताकत के आगे चीन टुकड़े -टुकड़े हो ही जाएगा। *सुनील जैन राना *
सोमवार, 1 जून 2020
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अलसी के फायदे
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