शुक्रवार, 31 मई 2024
टी एन शेषन
*मैं IAS बनकर भी कुछ न बन सका -T.N.शेषन*
श्री टी.एन. शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त थे। अपनी पत्नी के साथ यूपी की यात्रा पर जाते समय उनकी पत्नी ने सड़क किनारे एक पेड़ पर बया (एक प्रकार की चिड़िया)का घोंसला देखा और कहा, ”यह घोंसला मुझे ला दो; मैं घर को सजाकर रखना चाहतीं हूँ।” श्री टी एन शेषन ने साथ चल रहे सुरक्षा गार्ड से इस घोंसले को नीचे उतारने को कहा। सुरक्षा गार्ड ने पास ही भेड़-बकरियां चरा रहे एक अनपढ़ लड़के से कहा कि अगर तुम यह घोंसला निकाल दोगे तो मैं तुम्हें बदले में दस रुपये दूंगा। लेकिन लड़के ने मना कर दिया। श्री शेषन स्वयं गये और लड़के को पचास रुपये देने की पेशकश की, लेकिन लड़के ने घोंसला लाने से इनकार कर दिया और कहा कि, "सर,इस घोंसले में चिडिया के बच्चे हैं। शाम को जब उस बच्चे की "माँ" खाना लेकर आएगी तो वह बहुत उदास होगी, इसलिए तुम कितना भी पैसा दे दो, मैं घोंसला नहीं उतारूंगा" इस घटना के बारे में श्री टी.एन. शेषन लिखते हैं कि... मुझे जीवन भर इस बात का अफ़सोस रहा कि एक पढ़े-लिखे आईएएस में वो विचार और भावनाएँ क्यों नहीं आईं जो एक अनपढ़ लड़का सोचता था? उन्होंने आगे लिखा कि- मेरी तमाम डिग्री,आईएएस का पद, प्रतिष्ठा, पैसा सब उस अनपढ़ बच्चे के सामने मिट्टी में मिल गया। जीवन तभी आनंददायक बनता है जब बुद्धि, धन और पद के साथ संवेदनशीलता भी हो।
गुरुवार, 30 मई 2024
धन से सुख नहीं
*मुकेश अंबानी* आज सुबह अपने बंगले में Gold Coated मार्बल की डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। सामने चांदी की प्लेट व बाउल में अनसाल्टेड स्प्राउटस् और बिना शक्कर की चाय पी रहे थे।
फिर कुछ देर बाद अनसाल्टेड ओकरा (भिंडी) की एक सब्जी और बिन घी तेल की दो चपाती और गर्म खनिज पानी ले रहे थे।
7,000 करोड़ रुपये का घर, दस नौकरों द्वारा नाश्ता मिल रहा था, पचासों एसी चल रहे थे, पंखे हवा दे रहे थे। इमारतों के नीचे से प्रदूषण का धुआं निकल रहा था। ऐसे माहौल में नाश्ता कर रहे थे अंबानी...😊
वहीं दूर खलिहान में दूर कुएं की मेढ़ पर एक खेतिहर मजदूर बैठा था।
वो छोले की तरी वाली सब्जी के साथ ४ परांठे, हल्दी-मसाले में पकी भिंडी व साथ में अचार भी खा रहा था। मीठे में गुड़ और पीने के लिए बर्तन में ठंडा पानी था।
सामने हरे-भरे खेत, शुद्ध हवा में लहराती फसलें, ठंडी हवाएं, चिड़ियों की चहचहाहट, और वह आराम से खा कर रहा था।
*500 रुपए* कमाने वाला एक खेतिहर मजदूर वह खा रहा था जो 7 अरब रुपए का मालिक नही खा पा रहा था।
अब बताओ इन दोनों में क्या अंतर था? 🤔
अंबानी 60 साल के हैं और मजदूर भी 60 साल का है।
नाश्ते के बाद अंबानी मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल और बीपी की गोलीयाँ ले रहे थे और वह खेतिहर मजदूर चूने के साथ पान खा रहा था।
*कोई हीन नहीं, कोई महान नहीं।*
इसलिए, *खुशी* की तलाश मत करो, *सुख* महसूस करो।
"अतुलनीय आनंद" के उत्पादन पर जीएसटी *0%* है।
*खुद को ढूँढें,* बाकी सब कुछ गूगल पर है।
मंगलवार, 28 मई 2024
शनिवार, 25 मई 2024
एक प्रत्याशी, एक सीट
एक प्रत्याशी दो जगह से क्यों लड़े?
भारत में लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व चुनाव चल रहे हैं। अंतिम दौर बाकी रह गया है जो 30 मई 2024 को पूर्ण हो जाएगा। 4 जून के सभी को बेसब्री से इंतजार रहेगा जब चुनावों के रिजल्ट आयेंगे।
पक्ष- विपक्ष का आरोप- प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है। सभी अपने को महान बताने में जुटे हैं। लेकिन इन सब बातों में एक अहम बात यह है की जब एक प्रत्याशी दो जगह से चुनाव लड़ता है और यदि दोनों जगह से जीत जाता है तब उसको एक जगह से अपनी जीत छोड़नी पड़ती है। ऐसे में उस सीट पर नये सिरे से चुनाव होता है। क्या इस पर पाबंदी नहीं लगनी चाहिए? प्रत्याशी जिस जगह की सीट छोड़ता है उस जगह की जनता तो बेचारी मूर्ख सी बनी रह जाती है और उसी जनता की भलाई का धन दोबारा चुनाव कराने में खर्च होता है। शासन- प्रशासन को इंतजाम नये सिरे से करने पड़ते हैं। इस सम्बंध में कानून में बदलाव होना चाहिये। जो अपनी जीती हुई सीट को छोड़े उसकी जगह दूसरे नंबर पर आये प्रत्याशी को जीत का सेहरा बांध देना चाहिए। ऐसा करने से व्यर्थ का खर्च, भागदौड़, बाजारों के अवकाश आदि सभी से मुक्ति मिल सकती है। सीट छोड़ने का खामियाजा पार्टी को होगा। यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो जनहित में एक प्रत्याशी को एक ही सीट से चुनाव लड़ने का प्रावधान होना चाहिए।
सुनील जैन राना
हीट वेब
आजकल तीव्र गर्मी पड रही है इसमें लू लगने की संभावना बहुत बढ़ जाती है और वह जानलेवा हो सकती है ....
आइए जानते हैं कि हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगो की धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है?
👉 हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है।
👉 पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर बनाए रखता है, इसलिए लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत आवश्यक है, जिससे शरीर में पानी की कमी न हो और शरीर का तापमान नियंत्रित रहे।
👉 पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है जैसे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का बैलेंस रखना, पानी के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स भी शरीर से बाहर निकल जाते हैं,जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है या बंद कर देता है ।
👉 जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है।जिसे हाइपरथर्मिया कहते हैं।
हाइपरथर्मिया शरीर का तापमान बढना और हाइपोथर्मिया शरीर का तापमान कम होना दोनों शरीर के लिए हानिकारक हैं।
👉 शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है ( जैसे उबलते पानी में अंडा पकता है )
👉 स्नायु कड़क होने लगते है इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर सकते हैं।
👉 शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है और इलेक्ट्रोलाइट्स में imbalance और इनकी कमी से शारीरिक गतिविधियां ठप हो सकती है। इलेक्ट्रोलाइट्स में सोडियम साइट्रेट, सोडियम क्लोराइड, पोटेशियम क्लोराइड और डेक्सट्रोज जैसे नमक और चीनी का कॉम्बिनेशन होता है। इसमें मौजूद नमक आपके शरीर में पानी को संतुलित करने, एसिड-बेस लेवल को बनाए रखने, कोशिकाओं में पोषक तत्वों की आवाजाही करने और शरीर से अपशिष्ट पदार्थों (वेस्ट) को हटाने में मदद करता है। इनकी कमी से
ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन ) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है।
👉 व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है।
👉गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोडा थोडा पानी पीते रहना चाहिए, और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए।
Equinox phenomenon: इक्विनॉक्स प्रभाव अगले 5 -7 दिनों मे एशिया के अधिकतर भूभाग को प्रभावित करेगा।
कृपया 12 से 3 के बीच ज्यादा से ज्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें।
तापमान 40 डिग्री के आस पास विचलन की अवस्था मे रहेगा।
यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा।
(ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है।)
कृपया स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें।
किसी भी अवस्था मे कम से कम 3 ली. पानी जरूर पियें।किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 ली. पानी जरूर लें।
जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है।
ठंडे पानी से नहाएं। मांस का प्रयोग छोड़ें या कम से कम करें।
फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें।
हीट वेव कोई मजाक नही है।
एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है।
शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है।
अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें।
जनहित मे इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें।
जरूरी होने पर शीघ्र चिकित्सक से संपर्क करें। स्वस्थ रहें दिर्घायु हों 🙏
बुधवार, 22 मई 2024
स्वाद की खातिर
थोड़ा समय निकाल कर अंत तक पूरा पढ़ना
मौत के स्वाद का चटखारे लेता मनुष्य ...
थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है ...
अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है आदमी ...
मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा स्वाद है.....
बकरे का,
गाय का,
भेंस का,
ऊँट का,
सुअर,
हिरण का,
तीतर का,
मुर्गे का,
हलाल का,
बिना हलाल का,
ताजा बकरे का,
भुना हुआ,
छोटी मछली,
बड़ी मछली,
हल्की आंच पर सिका हुआ। न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।
क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा....
स्वाद से कारोबार बन गई मौत।
मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स।
नाम *पालन* और मक़सद *हत्या*❗
स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी ऑफिशियल। गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है।
जो हमारी तरह बोल नही सकते, अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं...
उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ?
कैसे मान लिया कि उनमें भावनाएं नहीं होतीं ?
या उनकी आहें नहीं निकलतीं ?
डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना ! किसी की आहें मत लेना ! किसी की आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए !
बच्चों में झुठे संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी,
उसकी भी एक मां थी ...??
जिसे काटा गया होगा ?
जो कराहा होगा ?
जो तड़पा होगा ?
जिसकी आहें निकली होंगी ?
जिसने बद्दुआ भी दी होगी ?
कैसे मान लिया कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे ..❓
क्या मूक जानवर उस परमपिता परमेश्वर की संतान नहीं हैं .❓
क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है ..❓
धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की बली चढ़ाते हो। कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो ।
कभी सोचा ...!!!
क्या ईश्वर का स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ?
किसे ठग रहे हो ?
भगवान को ?
अल्लाह को ?
जीसस को?
या खुद को ?
मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!!!
आज शनिवार है इसलिए नहीं ...!!!
अभी रोज़े चल रहे हैं ....!!!
नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता ....!!!
झूठ पर झूठ....
...झूठ पर झूठ।।
सोमवार, 20 मई 2024
इतिहास में बदलाव
.
मैं बहुत सोचता हूं पर उत्तर नहीं मिलता आप भी इन प्रश्नों पर गौर करना कि.......
1. जिस सम्राट के नाम के साथ संसार भर के इतिहासकार “महान” शब्द लगाते हैं...
2. जिस सम्राट का राज चिन्ह अशोक चक्र भारत देश अपने झंडे में लगता है..
3.जिस सम्राट का राज चिन्ह चारमुखी शेर को भारत देश राष्ट्रीय प्रतीक मानकर सरकार
चलाता है और सत्यमेव जयते को अपनाया गया...
4. जिस देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान सम्राट अशोक के नाम पर अशोक चक्र दिया जाता है...
5. जिस सम्राट से पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ, जिसने अखंड भारत (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान) जितने बड़े भूभाग पर एक-छत्र राज किया हो...
6. सम्राट अशोक के ही समय में 23 विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई जिसमें तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे। इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से कई छात्र शिक्षा पाने भारत आया करते थे...
7. जिस सम्राट के शासन काल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार भारतीय इतिहास का सबसे स्वर्णिम काल मानते हैं...
8.जिस सम्राट के शासन काल में भारत विश्व गुरु था, सोने की चिड़िया था, जनता खुशहाल और भेदभाव रहित थी...
9. जिस सम्राट के शासन काल में जी टी रोड जैसे कई हाईवे बने, पूरे रोड पर पेड़ लगाये गए, सराये बनायीं गईं, इंसान तो इंसान जानवरों के लिए भी प्रथम बार हॉस्पिटल खोले गए, जानवरों को मारना बंद करा दिया गया...
_ऐसे महान सम्राट अशोक_
जिनकी जयंती उनके अपने देश भारत में क्यों नहीं मनायी जाती, न ही कोई छुट्टी घोषित की गई है? अफ़सोस जिन लोगों को ये जयंती मनानी चाहिए, वो लोग अपना इतिहास ही भुला बैठे हैं और जो जानते हैं वो ना जाने क्यों मनाना नहीं चाहते।इंतजार कर रहा था कि कौन अशोक सम्राट को याद करता है। इसलिए आज पोस्ट कर रहा हूं।
14 अप्रैल
जन्म वर्ष 302 ई पू
राजतिलक 268 ई पू
मृत्यु 232 ई पू
पिता का नाम बिन्दुसार
माता का नाम सुभद्राणी
1. जो जीता वही चंद्रगुप्त ना होकर जो जीता वही सिकन्दर “कैसे” हो गया…? (जबकि ये बात सभी जानते हैं कि…
सिकन्दर की सेना ने चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रभाव को देखते हुए ही लड़ने से मना कर दिया था.. बहुत ही बुरी तरह से मनोबल टूट गया था… जिस कारण, सिकंदर ने मित्रता के तौर पर अपने सेनापति सेल्यूकस की बेटी की शादी चन्द्रगुप्त से की थी।)
2. महाराणा प्रताप ”महान” ना होकर ... अकबर ”महान” कैसे हो गया? जब महाराणा प्रताप ने अकेले अपने दम पर उस अकबर की लाखों की सेना को घुटनों पर ला दिया था) जिस प्रताप के नाम से ही अकबर का कपड़ों में ही पाखाना निकल जाया करता था।
3. सवाई जय सिंह को “महान वास्तुप्रिय” राजा ना कहकर शाहजहाँ को यह उपाधि किस आधार पर मिली?
4. जो स्थान महान मराठा क्षत्रीय वीर शिवाजी को मिलना चाहिये वो क्रूर और आतंकी औरंगज़ेब को क्यों और कैसे मिल गया?
5. स्वामी विवेकानंद और आचार्य चाणक्य की जगह विदेशियों को हिंदुस्तान पर क्यों थोंप दिया गया?
6. यहाँ तक कि भारत का राष्ट्रीय गान भी संस्कृत के वन्दे मातरम की जगह जन-गण-मन हो गया, कब, कैसे और क्यों हो गया?
7. और तो और हमारे आराध्य भगवान् राम, कृष्ण तो इतिहास से कहाँ और कब गायब हो गये पता ही नहीं चला … आखिर कैसे?
8. एक बानगी …. हमारे आराध्य भगवान राम की जन्मभूमि पावन अयोध्या … भी कब और कैसे विवादित बना दी गयी… हमें पता तक नहीं चला…
रविवार, 19 मई 2024
रविवार, 12 मई 2024
शनिवार, 11 मई 2024
कांग्रेस ?
क्या हो गया है कांग्रेस को ?
पहले इंद्रा गांधी वाली कांग्रेस थी आज राहुल गांधी वाली कांग्रेस है। पहले कभी हिंदुत्व का ऎसा विरोध नहीं हुआ जैसा आज हो रहा है। बल्कि इंद्रा गांधी तो अपने गले में रुद्राक्ष की माला पहनती थी। उनके समय मे गरीबी हटाओ ही प्रमुख नारा था लेकिन आज ....
आज राहुल गांधी की कांग्रेस में खुद राहुल गांधी कहते हैं मैं किसी हिदुत्व को नहीं मानता। लेकिन वोटों की खातिर भगवा धोती-कुर्ता पहनकर मन्दिर में पूजा- अर्चना करते दिखाई दे जाते हैं। यह बात दूसरी है की उन्हें मन्दिर के किर्या कलाप नहीं आते हैं। मतलब हिन्दू का वोट चाहिए और हिंदुत्व से दूरी भी। ऐसा कैसे चलेगा ? बहुसंख्यक हिन्दू समाज को दरकिनार कर सिर्फ एक समुदाय के वोटों से तो जीत हासिल नहीं हो सकती। राहुल गांधी से भी आगे निकल गए कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे जी। जिन्होंने पहले तो यह कहा था की मोदी आ गया तो देश मे सनातन छा जाएगा अर्थात देश मे से सनातन को खत्म करना। अब एक वीडियो में एक मुस्लिम सभा मे खड़गे जी कह रहे हैं कि अब कांग्रेस के नेता हिंदुओ के घर मे घुसकर उनकी तिजोरी तोड़कर उसमें से धन निकालकर मुसलमानों में बाटेंगे। जिसके ज्यादा बच्चें हैं उसे ज्यादा धन मिलेगा। भारत जैसे देश मे खड़गे जी का यह व्यक्तव्य मन को झिंझोड़ कर रख देता है की यदि कांग्रेस सत्ता में आ गई तो देश में क्या होने वाला है?
इससे भी ज्यादा भयाभय मणिशंकर अय्यर जैसे नेता जो पाकिस्तान परस्त ही नहीं बल्कि भारत को पाकिस्तान बनाने की फिराक में हैं। जो पाकिस्तान जाकर वहां भाषण में कहते हैं कि मोदी को हटाने में कांग्रेस की मदद करो। ऐसे अनेको कांग्रेसी नेता जो भारत मे रहकर भारत के विरुद्ध जहर उगला रहे हैं। कन्हैया जैसे टुकड़े गैंग के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जो देश के टुकड़े ही कर देना चाहते हो। कितना दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है ऐसा होना। यह हाल जब है की पाकिस्तान की जनता मोदी- मोदी कर रही है। पाकिस्तान के नेता और कांग्रेस के नेता मोदी हटाओ कर रहे हैं।
कांग्रेस ने 60 साल राज किया मुस्लिमों को वोटबैंक बनाया लेकिन मुस्लिमों के लिये कार्य नहीं किया। अब जब कांग्रेस खत्म होने के कगार पर है तब मुस्लिमों की याद आ रही है। याद करिए यूपीए 2 में व्याप्त भ्र्ष्टाचार के कारण ही जनता ने इन्हें सत्ता से बेदखल किया था। लाखों करोड़ की लूट मच रही थी यूपीए 2 में। अब मोदी सरकार में किसी पर भी भ्र्ष्टाचार का आरोप नहीं है। देश आगे बढ़ रहा है। विदर्शो में भी भारत की धूम मची है। आलोचना चाहे जितनी करलो लेकिन प्रत्येक क्षेत्र में विकास हो रहा है। देश को यही चाहिए।
सुनील जैन राना
सांडे का तेल
क्या है सांडे के तेल की हकीकत...
आठवीं पास करके जब इंटर कॉलेज में एडमीशन हुआ। तो एकदम नई दुनिया खुल गई। साइकिल से लगभग चार किलोमीटर दूर स्थित इंटर कॉलेज जाने लगा। रास्ते में तमाम दुनिया के नजारे इंतजार करते बैठे रहते। ऐसी एक स्मृति सड़क के किनारे लगे मजमे की भी है। इसमें एक आदमी कई सारी बड़ी छिपकलियों को एक दरी पर बिछाकर और उनमें से कुछ को बर्तन में भूनते हुए दिखता। इसे ही वो सांडे का तेल कहता।
इस सांडे के तेल की तमाम महिमा का बखान करके वह बेचता। उसकी जुबान बंद नहीं होती। वो लगातार बोलता रहता और तेल से भरी हुई शीशी को बेचता भी रहता। बाद में कभी जब उस सांडे की असली कहानी के बारे में पता चला तो मन जाने कितनी वितृष्णाओं से भर गया। आप भी जानिए सांडे के बारे में। नीचे लिखे शब्द, पंक्तियां और जानकारी सभी कुछ वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर और वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अरविंद यादव के हैं। उनसे साभार लेकर आपके साथ साझा कर रहा हूं।------
आइए आज बात करते हैं एक एसे सुन्दर, शान्त, विषहीन, निरीह, किसान हितैषी और क्षतिशून्य प्राणी की जो बलि चढ़ गया मनुष्यों की कामोत्तेजना बढ़ाने की अंतहीन लालसा की।
यह जीव है साण्डा। नाम भ्रमित करता है परन्तु यह एक मध्यम आकार की छिपकली है जो थार मरुस्थल में पाई जाती है।
Indian Spiny Tailed Lizard or Saraa hardwickii. गोल मुंह, चपटी थूथन, मटमैला भूरा रंग, पीठ पर काले धब्बे, झुर्रीदार खाल और हल्के नीले बैंगनी रंग की कांटेदार पूंछ इस शर्मीले सरीसृप को एक डरावना रुप देते हैं। दरअसल यह एक ठण्डे लहू का प्राणी है जो सर्दियों में 4 महीने जमीन के नीचे शीत-निद्रा में रहती है।
इसी शीत-निद्रा के लिए साण्डा अपनी पूंछ में चर्बी जमा कर लेता है और यही चर्बी इस की मौत का कारण है। न तो ईश्वर ने इसे विष ग्रन्थि दी है और न ही विष दन्त। अरे इस बेचारे के मुंह में तो दांत भी नहीं हैं। और तो और यह छिपकली भारत की अकेली शाकाहारी है जो पत्ते खाती है।
कभी कन्नौज (उत्तर प्रदेश) से ले कर संपूर्ण थार मरुस्थल, पाकिस्तान और कच्छ के रण तक इस का विस्तार था परन्तु अंधाधुंध शिकार ने इसे पश्चिमी थार तक सीमित कर दिया है। पाकिस्तान में तो लगभग समाप्त ही हो गई। पोखरण और महाजन में फैले सेना की चांदमारी के इलाके में ही फल फूल रही है।
गरीब के लिए पेट की भूख मिटाने को मांस और अमीर के लिए वासना की आग बुझाने को कामोत्तेजक तेल और वो भी एक आसान शिकार से - लुप्त होने का सही नुस्खा।
पहले अवैध शिकारी बिल में धुआं भर कर इन्हें आसानी से पकड़ लेते हैं। फिर पीठ पर डंडे से मार कर इस की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी जाती है ताकि वह भाग न सके। 10-20 छिपकलियों को एक बोरे में भर कर सड़क के किनारे अपनी दुकान लगा लेते हैं। ग्राहक के आने पर इस अधमरे प्राणी को जिंदा ही सूखी और गर्म कड़ाही में डाल दिया जाता है जहां ये तड़प तड़प कर मर जाते हैं। पूंछ में जमा 5-10 ग्राम चर्बी पिघल जाती है जो शीशी में डाल कर बेची जाती है लिंग वर्धक और गुप्त रोगों की औषधि के नाम पर जब कि असल में यह दवाई है ही नहीं- इसमें होता है पॉली अन्सेच्युरेटेड फैटी एसिड। बचे हुए भुने मांस को या तो शिकारी खुद खा लेते हैं या उसे भी बेच देते हैं।
यह अद्भुत प्राणी मरुस्थल इलाके के नाजुक पारितंत्र (Ecosystem) में पहले से कमजोर आहार श्रृंखला और अति जटिल जीवन चक्र का एक मजबूत हिस्सा है। रेतीली वनस्पति के विस्तार के साथ साथ बहुत से मरूस्थलीय स्तनधारियों और प्रवासी शिकारी पक्षियों का यह अकेला आहार है।
आइए इस निरीह और लुप्तप्राय प्राणी को बचाने का प्रयास करें। मरुस्थल का पारितंत्र (Ecosystem) बहू मूल्य है। इसे भ्रान्तिपूर्ण कारणो से नष्ट न होने दें।
जंगलकथा
गुरुवार, 9 मई 2024
सोमवार, 6 मई 2024
गुरुवार, 2 मई 2024
चोर पर निबंध
*चोर पर लिखा एक निबंध* 👇
*"चोर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं"*
लोगों को यह मजाक या गलत लग सकता है लेकिन यह वाकई ध्यान देने लायक विषय है। आप खुद देखिए कितनी इंडस्ट्री इनपर निर्भर हैं, और ये कितना एम्प्लॉयमेंट जेनरेट करते हैं...
चोरों के लिए तिजोरियाँ, ताले और अलमारियाँ हैं।
चोरों की वजह से घरों की खिड़कियों पर ग्रिल लगी होती हैं, दरवाजे लगे होते हैं, दरवाजे बंद होते हैं, इतना ही नहीं बल्कि बाहर सुरक्षा दरवाजे भी होते हैं।
चोरों के कारण घर/सोसायटी के चारों ओर एक परिसर, एक गेट, गेट पर 24 घंटे का चौकीदार और चौकीदार के लिए एक वर्दी होती है।
चोरों की वजह से न सिर्फ सीसीटीवी, मेटल डिटेक्टर बल्कि साइबर सेल भी हैं।
चोरों के कारण पुलिस है, पुलिस चौकी है, स्टेशन है, गाड़ियाँ हैं, डंडे हैं, राइफलें हैं, रिवाल्वर हैं और गोलियाँ हैं।
चोर के कारण ही अदालत है, अदालत में जज, वकील, क्लर्क और जमानतदार हैं।
चोरों के कारण जेलें हैं, जेलर हैं, जेलों में पुलिस है।
मोबाइल, लैपटॉप, कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, साइकिल, वाहन जैसी कई उपयोग में आने वाली चीजें चोरी हो जाती हैं तो लोग नई खरीद लेते हैं, जिससे देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलती है।
चोर है तो देश विदेश की मीडिया की भी रोजी रोटी चलती है।
ये सब पढ़ने के बाद अब आपको यकीन हो जाएगा कि चोर ही सिस्टम की रीढ़ हैं.
😂🥴😝
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
वरिष्ठ नागरिक
*ध्यान से पढ़ें* *कृपया पढ़ना न छोड़ें* *👏जब बूढ़े लोग बहुत अधिक बात करते हैं तो उनका मजाक उड़ाया जाता है, लेकिन डॉक्टर इसे आशीर्वाद के...