मंगलवार, 30 अगस्त 2022
स्वार्थी भारतीय
*ताइवान के लोग भारतीयों से नफरत करते हैं क्यों...?*
*जानना जरूरी है!*
*यदि आप में हिन्दुत्व का अंश बचा है तो पढ़िए*
👇🤦♂️👇
*ताइवान में करीब एक वर्ष बिताने पर एक भारतीय महानुभाव की कई लोगों से दोस्ती हो चुकी थी, परंतु फिर भी उन्हें लगा कि वहाँ के लोग उनसे कुछ दूरी बनाकर रखते हैं, वहाँ के किसी दोस्त ने कभी उन्हें अपने घर चाय के लिए तक नहीं बुलाया था...?*
उन्हें यह बात बहुत अखर रही थी अतः आखिरकार उन्होंने एक करीबी दोस्त से पूछ ही लिया...?
*थोड़ी टालमटोल करने के बाद उसने जो बताया, उसे सुनकर उस भारतीय महानुभाव के तो होश ही उड़ गए।*
*ताइवान वाले दोस्त ने पूछा-*
*“200 वर्ष राज करने के लिए कितने ब्रिटिश भारत में रहे...?”*
भारतीय महानुभाव ने कहा कि लगभग *“10, 000 रहे होंगे!”*
*“तो फिर 32 करोड़ लोगों को यातनाएँ किसने दीं?*
*वह आपके अपने ही तो लोग थे न...?*
जनरल डायर ने जब *"फायर"* कहा था...
तब 1300 निहत्थे लोगों पर गोलियाँ किसने दागी थीं?
उस समय ब्रिटिश सेना तो वहाँ थी ही नहीं!
*क्यों एक भी बंदूकधारी (सब के सब भारतीय) पीछे मुड़कर जनरल डायर को नहीं मार पाया...?*
*फिर उसने उन भारतीय महानुभाव से कहा-*
*आप यह बताओ कि कितने मुगल भारत आए थे? उन्होंने कितने वर्ष तक भारत पर राज किया? और भारत को गुलाम बनाकर रखा! और आपके अपने ही लोगों को धर्म परिवर्तन करवाकर आप के ही खिलाफ खड़ा कर दिया!*
जोकि 'कुछ' पैसे के लालच में, अपनों पर ही अत्याचार करने लगे! अपनों के साथ ही दुराचार करने लगे…!!
*तो मित्र, आपके अपने ही लोग, कुछ पैसे के लिए, अपने ही लोगों को सदियों से मार रहे हैं...?*
आपके इस *स्वार्थी धोखेबाज, दगाबाज, मतलबपरस्त, 'दुश्मनों से यारी और अपने भाईयों से गद्दारी'😢*
*अपनी मां,मातृभाषा वा मतभूमि के संग ही गद्दारी करें वा उनको अपने झूठे घमंड वा छोटे से स्वार्थ के लिए विदेशियों की रखैल बनवाएं ऐसे अपनी मां की दलाली खाने वाले चरित्रहीन व्यक्ति से क्यों संबंध रखना चाहेगा।*
*इस प्रकार के व्यवहार एवं इस प्रकार की मानसिकता के लिए, हम भारतीय लोगों से सख्त नफ़रत करते हैं!*
इसीलिए हमारी यही कोशिश रहती है कि यथासंभव, हम भारतीयों से सरोकार नहीं रखते...?
उसने बताया कि-
*जब ब्रिटिश हांगकांग में आए तब एक भी व्यक्ति उनकी सेना में भरती नहीं हुआ क्योंकि उन्हें अपने ही लोगों के विरुद्ध लड़ना गवारा नहीं था...?*
*यह भारतीयों का दोगला चरित्र है, कि अधिकाँश भारतीय हर वक्त, बिना सोचे समझे, पूरी तरह बिकने के लिए तैयार रहते हैं...? और आज भी भारत में यही चल रहा है🤷♂*
*विरोध हो या कोई और मुद्दा, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में और खुद के फायदों वाली गतिविधियों में भारत के लोग आज भी, राष्ट्र हित को हमेशा दोयम स्थान देते हैं😩 आप लोगों के लिए "मैं और मेरा परिवार" पहले रहता है😢* *"समाज और देश" जाए भाड़ में...?*
भ्रष्ट नौकरशाही ,भ्रष्ट बिकता हुआ नेतृत्व की स्वीकारता चरित्रहीन जनता को भी हो गई हे।आज भ्रष्टाचार का खिलफत का स्वांग करने वाले भी महाधूर्त ( *KAJRI*) निकल रहें हैं जो देश के लिए वा स्वयं के लिए दीमक है।देश इससे बुरे दिन क्या देखेगा।
थोड़े बहुत चरित्रवान बचे भी हैं वाह भी अपने को बेचने की लाइन में लगे हैं।उनके अंदर दुष्चरित्र लोगो को आंख दिखाने की हिम्मत नहीं है। आज काले जनरल डायरो को खत्म करने वाले महा प्रक्रमी देश के लाल *उधम सिंह* जेसे सुपुत्र पैदा होने भी बंद हो गए हैं।
आज जापान ,ताइवान जेसे कई छोटे देश अपने चरित्रवान नागरिकों के कारण विश्व में सबसे समृद्ध देश बन गए हैं।
*बात कड़वी है पर सही है!*
इस पोस्ट को फॉरवर्ड करने वाले चरित्रवान बहुत कम लोग होंगे ।अगर कोई फॉरवर्ड करता है तो उसको नमस्कार कर लेना कोई हिम्मती वा चरित्रवान अभी भी देश में हैं।
साभार
सोमवार, 29 अगस्त 2022
शनिवार, 27 अगस्त 2022
जनता जनार्दन
विचारणीय
एक बार मेरे कमरे में 5-6 सांप घुस गए। मैं परेशान हो गया, उसकी वजह से मैं कश्मीरी हिंदुओं की तरह अपने ही घर से बेघर होकर बाहर निकल गया। इसी बीच बाकी लोग जमा हो गए। मैंने पुलिस और सेना को बुला लिया।
अब मैं खुश था कि थोड़ी देर में सेना इनको मार देगी
तभी कुछ पशु प्रेमी और मानवतावादी आ गये, बोले की नहीं आप गोली नहीं चला सकते, हम पेटा के तहत केस कर देंगे।
सेना वाले उसको ढेला मारने लगे, सांप भी उधर से मुंह ऊँचा करके जहर फेंकने लगे।
एक दो सांप ने तो एक दो सैनिक को काट भी लिया पर भागे नहीं।
फिर इतने में कुछ पडोसी मुझे ही बोलने लगे,
क्या भाई तुम भी बेचारे सांप पर पड़े हो, रहने दो , क्यों भगा रहे हो ?
उधर प्रशासन ने खबर भिजवा दिया, सांप के मुंह में जहर नहीं होना चाहिए, उसके मुंह में दूध दे दो
तो वो मुंह से जहर की जगह दूध फेंकेगा।
..... मैं हैरान परेशान...
फालतू में बात का बतंगड़ हो चुका था। न्यूज़ भी चलने लगे थे।
एनडीटीवी के रविश ने कह दिया कि सबको जहर नजर आता है सांप नजर नहीं आता, उसकी भी जिंदगी है।
बरखा दत्त चीख़ कर कहने लगी की ये तो भटके हुए संपोले हुए हैं, मकान मालिक इनको बेवजह परेशान कर रहा है,
मकान मालिक को चाहिए की वो इनको अपने घर में सुरक्षित स्थान पर इनको बिल बनाकर रहने दे और इनके खाने पिने का भरपूर ध्यान रखे।
इसी बीच एक सैनिक ने पेलेट गन चला दिया और एक सांप ढेर हो गया,
मुझे आशा जगी, सेना ही कुछ कर सकती है,
तभी भाँड मीडिया ने कहा, पेलेट गन क्यों चलाया, सांप को कष्ट हो रहा है,
अभी कोई कुछ सोचता उससे पहले ही हाइकोर्ट का भी फैसला जाने कहाँ से आ गया कि सांप पर पेलेट गन नहीं चला सकते इस गन से उसकी आँखे और चेहरा ख़राब हो सकता है।
उधर आम आदमी पार्टी ने कह दिया कि वहाँ जनमत संग्रह हो कि उस घर में सांप रहेगा या आदमी।
कुल मिलकर सांप को जीने का हक़ है इस पर सब एकमत हो गए थे।
इतने में जो मेरा पडोसी मेरा घर कब्ज़ा करना चाहता था वो सांप के लिए दूध, छिपकली और मेढक लेकर आ गया, उसको खिलाने लगा,
उसकी मदद बुद्धिजीवियों, मानवातावादियो और पत्रकारों ने कर दी और पडोसी को शाबाशी दी।
मैं निराश होकर अब दूर से सिर्फ देखता था।
काश
मैंने खुद लाठी लेकर शुरू में ही इन सांपो को ठिकाने लगा दिया होता तो आज ये दिन ना देखना पड़ता।...
शुक्रवार, 26 अगस्त 2022
कान्वेंट शब्द से तातपर्य
*कान्वेंट शब्द पर गर्व न करें... सच समझें 🤔कॉन्वेंट का मतलब क्या है?
‘काँन्वेंट’ ! सब से पहले तो यह जानना आवश्यक है कि, ये शब्द आखिर आया कहाँ से है, तो आइये प्रकाश डालते हैं।
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ब्रिटेन में एक कानून था, *" लिव इन रिलेशनशिप "* बिना किसी वैवाहिक संबंध के एक लड़का और एक लड़की का साथ में रहना, तो इस प्रक्रिया के अनुसार संतान भी पैदा हो जाती थी तो उन संतानों को किसी चर्च में छोड़ दिया जाता था।
अब ब्रिटेन की सरकार के सामने यह गम्भीर समस्या हुई कि इन बच्चों का क्या किया जाए तब वहाँ की सरकार ने काँन्वेंट खोले *अर्थात् जो बच्चे अनाथ होने के साथ-साथ नाजायज भी हैं , उनके लिए ये काँन्वेंट बने।*
उन अनाथ और नाजायज बच्चों को, रिश्तों का एहसास कराने के लिए ,उन्होंने अनाथालयो में एक फादर, एक मदर, एक सिस्टर ,की नियुक्ति कर दी ।
क्योंकि ना तो उन बच्चों का कोई जायज बाप है ना ही माँ है।
तो काँन्वेन्ट बना नाजायज बच्चों के लिए जायज।
इंग्लैंड में पहला काँन्वेंट स्कूल सन् 1609 के आसपास एक चर्च में खोला गया था, जिसके ऐतिहासिक तथ्य भी मौजूद हैं, और *भारत में पहला काँन्वेंट स्कूल ,कलकत्ता में, सन् 1842 में खोला गया था।
परंतु तब हम गुलाम थे ,और आज तो लाखों की संख्या में काँन्वेंट स्कूल चल रहे हैं,क्यों कि ,अब हम मानसिक गुलाम हो चुके हैं।🤔
जब कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया, उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था, *इसी कानून के तहत भारत में*
कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी और ये तीनों गुलामी के ज़माने की यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं।
*मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है। उसमें वो लिखता है कि 🤔
“इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे,लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे।
इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा। इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा।
इनको अपनी परम्पराओं के बारे में भी कुछ पता नहीं होगा।
*इनको अपने मुहावरे ही नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे,इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से,अंग्रेजियत कभी नहीं जाएगी।”*
उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई, इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है।
और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है, अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रुवाब पड़ेगा।
*अरे ! हम तो खुद में हीन हो गए हैं। जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म हो, दूसरों पर क्या असर पड़ेगा ?*
*लोगों का तर्क है कि “अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है”।*
*दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में ही बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है?* शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईसा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। *ईसा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी।*
अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी। समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी।
भारत देश में अब भारतीयों की मूर्खता देखिए… जिनके जायज माँ बाप भाई बहन सब हैं, वो काँन्वेन्ट में जाते है तो क्या हुआ एक बाप घर पर है और दूसरा काँन्वेन्ट में जिसे फादर कहते हैं। आज जिसे देखो काँन्वेंट खोल रहा है जैसे- *"बजरंग बली काँन्वेन्ट स्कूल", माँ भगवती काँन्वेन्ट स्कूल"।* अब इन मूर्खो को कौन समझाए कि, भईया माँ भगवती या बजरंग बली का काँन्वेन्ट से क्या लेना देना?
दुर्भाग्य की बात यह है कि, जिन चीजों का हमने त्याग किया अंग्रेजो ने वो सभी चीज़ों को पोषित और संचित किया फिर भी हम सबने उनकी त्यागी हुई गुलाम सोच को आत्मसात कर गर्वित होने का दुस्साहस किया।
*आइए आगे से जब भी हमसे कोई आश्रय कॉन्वैंट स्कूल की बात कहेगा या करेगा तो उसे उपरोक्त तथ्यों से परिचित अवश्य कराएंगे।*
साभार वॉट्सएप ग्रुप से ,
सधन्यवाद!
षडयंत्र ?
कितना भयानक षड्यंत्र ! •
पाकिस्तान बना .., कोंग्रेस शासन में ..! • बांग्लादेश बना .., कोंग्रेस शासन में ..!
• ३७० लागू हुआ .., कोंग्रेस शासन में ..! • अल्पसंख्यक बिल आया , कोंग्रेस शासन में ..!•
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बना .., कोंग्रेस शासन में ..! 😳👇🤭🤓
• अल्पसंख्यक मंत्रालय बना .., कोंग्रेस शासन में ..!
• अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय बना .., कोंग्रेस शासन में ..! ••
ये सभी काम “ कांग्रेस ” ने किए .., सिर्फ - “ मुसलमानो “ के लिए❗
• वो भी - जब देश का “ बंटवारा ” , ‘ धार्मिक ' आधार पर हुआ ,..
तो क्या ये तैयारी कांग्रेस की - *“ गजवा-ए-हिन्द “* के लिए नही थी ❓❓❓
• देश को - “ चुपचाप “ इस्लामिक देश बनाने की तैयारी थी ,
कांग्रेस की ... ओर “ हिन्दुओं “ के लिए सिर्फ “ आरक्षण ” दिया ..,
ताकि - “ हिन्दू समाज “ सदा आपस मे “ लड़ता “ रहे ... और कभी *“ गजवा-ए-हिन्द ”* को समझ न पाए❗
😠 🤓👍 पूर्व प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई ने , अपनी किताब *" मेरा जीवन वृतांत "* में पृष्ठ संख्या 456 पर लिखा है , कि :- पता नही क्यों❓ नेहरु को - *“ हिन्दू धर्म “* के प्रति - एक *“ पूर्वाग्रह “* था❓❓❓
नेहरु ने - *“ हिन्दुओं को दोयम नागरिक “* बनाने के लिए - *“ हिन्दू कोड बिल ”* लाने की बड़ी कोशिश की थी ..,
लेकिन - *“ सरदार पटेल “* ने नेहरु को चेतावनी देते हुए कहा था , की :-
यदि मेरे जीते जी .., आपने - *“ हिन्दू कोड बिल “* के बारे में सोचा ., तो मैं - *“ कांग्रेस “* से *“ इस्तीफ़ा “* दे दूंगा ...
और - इस बिल के *“ खिलाफ “* सड़कों पर - *” हिन्दुओं “* को लेकर उतर जाऊँगा .., फिर पटेल की धमकी से - नेहरु जी *“ डर “* गये थे ... और उन्होंने सरदार पटेल जी के *“ देहांत “* के बाद - *“ हिन्दू कोड बिल “* संसद में पास किया था !
इस बिल पर चर्चा के दौरान *“ आचार्य जेबी कृपलानी ”* ने - *“ नेहरु “* को *“ कौमवादी “* और *“ मुस्लिम परस्त “* कहा था !
उन्होंने कहा था , की :- आप -
*“ हिन्दुओं को धोखा “* देने के लिए ही - *“ जनेऊ “* पहनते हो ..,
वरना - आपमें *” हिन्दुओ ”* वाली - *” कोई बात “* नहीं है ...
यदि आप - सच में - *“ धर्म निरपेक्ष ”* होते❓.., तो - *“ हिन्दू कोड बिल “* के बजाय - सभी धर्मो के लिए *“ कामन कोड “* बिल लाते❓
कभी - कभी मन करता है , कि पोस्ट ही ना करूं ! फिर ख्याल आता है , कि :- *“ पढेगा इंडिया ”*
*देशहित में जारी*
*बीबीसी के विख्यात पत्रकार मार्क टुली नें ब्यान दिया है, कि "मोदी इस देश के उस बडे बरगद को उखाड़ कर गिरा रहे हैं, जिसमें वर्षों से विषैले कीड़े लगे हुए हैं ! इसके लिए उन्हे लगातार महासंघर्ष करना होगा !"*
*मोदी नें देश में छुपे सारे जहरीले नागों के बिल में एक साथ हाथ डाल दिया है, इसलिये ये नाग फुफकार रहे हैं, कांग्रेस, वामपंथ, जेहादी, नक्सली, मिशनरी सहित हर तरह के नागों को कांग्रेस नें अपनें पास छुपाए रखा था, भारत भूमि को बर्बाद करने के लिए, वो तो अच्छा हुआ कि मोदी सत्ता में आ गये और इन जहरीले नागों से देश को परिचित और सतर्क कर इन्हें बेनकाब कर दिया, वरना ये जहरीले नाग आनें वाले समय में इस भारत भूमि और हिन्दूओं को निगल जाते और हमारी आनें वाली पीढ़ियों के पास सिवाय रोने, बिलखने के इलावा कुछ नही बचता।*
*मोदी को बहुत संघर्ष करना होगा और मोदी संघर्ष कर भी लेगा, परन्तु इस देश वासियों को खासकर हिन्दुओं को मोदी के साथ डट कर खड़ा रहना होगा*,
*क्योंकि मोदी नें ये जंग अपनें लिये नहीं, बल्कि यह हमारे देशवासी बच्चों, आनें वाली पीढियों और भारत के उज्जवल भविष्य के लिए जंग छेड़ी हुई है।*
साभार
शनिवार, 20 अगस्त 2022
मुँह ढकाई कपड़ा
कौन देता है- मुँह ढकाई कपड़ा ?
देश मे पुलिस न हो तो सभी बेख़ौफ़ हो जाये। गुंडों- मवालियों का तो मज़ा आ जाये। आंम आदमी की सुरक्षा में पुलिस का बहुत महत्व है। भले ही पुलिस हर गली, हर मोहल्ले में न दिखे फिर भी पुलिस के कारण अपराधी को डर लगता ही है। पुलिस हमारे जीवन का एक अंग ही है।
पुलिस के अनेक अच्छे पहलू हैं तो कुछ पहलू व्यवस्था पर चोट भी करते हैं। अनेक अपराधियों को पुलिस का संरक्षण प्राप्त होता है। अनेक बाहुबलियों के आगे पुलिस नतमस्तक सी रहती है। जेलों में कैदियों को कुछ देकर सबकुछ मिल जाता है। नेताओं और बाहुबलियों के लिये जेलों में अच्छी व्यवस्था हो जाती है।
शीर्षक से आशय यह है की प्रथम दृष्टया अपराधी, बलात्कारी, लुटेरा, जघन्य अपराध करने वाला जब पकड़ा जाता है तो अक्सर उसके मुँह पर काला कपड़ा ढका होता है। ऐसा लगता है की जैसे अपराधी के मुँह के नाप का कपड़ा सिलवाकर उसमे आँखों के दो झरोखे बनाकर अपराधी को दिये गए हों। अन्यथा किसी के पकड़े जाने पर उसे अपना चेहरा छिपाने को नाप का सिला कपड़ा कहाँ से आयेगा। ज्यादा से ज्यादा किसी के पास रुमाल या चद्दर सी हो सकती है। इस विषय की जांच होनी चाहियें।
साधारणतया किसी आम आदमी को पुलिस घर से ले जाती है तो उसे इतना भी समय नही देती की वह किसी को बुला ले। जबकि पेशेवर अपराधी, माफ़िया आदि के साथ पुलिस सहयोग करती दिखाई देती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। पुलिस पर आम आदमी को बहुत भरोसा होता है। ऐसे में पुलिस को आम आदमी के साथ सख्ती से पेश नहीं आना चाहिये एवं अपराधी आदि के पकड़े जाने पर उसे मुँह छिपाने नहीं देना चाहिए। उसका चेहरा सबको दिखाई दे और उसे भी अहसास हो की मैंने अपराध किया है और सब मुझे देख रहे हैं।
सुनील जैन राना
शुक्रवार, 19 अगस्त 2022
गरीब गाँधीजी
🐵🐵
अंग्रेजी में एक शब्द है *"एक्सपेंसिव-पावर्टी"*
इसका मतलब होता है.... *"महंगी- गरीबी"* यानी..
*गरीब दिखने के लिए आपको बहुत खर्चा करना पड़ता है। गांधीजी की गरीबी ऐसी ही थी।*
एक बार सरोजनी नायडू ने उनको मज़ाक में कहा भी
था कि “आप को गरीब रखना हमें बहुत महंगा पड़ता है !!”
ऐसा क्यों ?......
गांधी जी जब भी तीसरे दर्जे में रेल सफर करते थे तो वह सामान्य तीसरा दर्जा नहीं होता था।
अंग्रेज नहीं चाहते थे की गांधी जी की खराब हालातों में, भीड़ में यात्रा करती हुई तस्वीरें अखबारों में छपे उनको पीड़ित (विक्टिम) कार्ड का लाभ मिले।
*इसलिए जब भी वह रेल यात्रा करते थे तो उनको विशेष ट्रेन दी जाती थी जिसमें कुल 3 डिब्बे होते थे.....*
*जो केवल गांधी जी और उनके साथियों के लिए होते थे, क्योंकि हर स्टेशन पर लोग उनसे मिलने आते थे।*
इस सब का खर्चा बाद में गांधीजी के ट्रस्ट की ओर से अंग्रेज सरकार को दे दिया जाता था।
इसीलिए एक बार मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था की .....
“ जितने पैसो में मैं प्रथम श्रेणी यात्रा करता हूं उस से
कई गुना में गांधीजी तृतीय श्रेणी की यात्रा करते हैं।”
*`गांधीजी ने प्रण लिया था कि वे केवल बकरी का दूध पिएंगे। बकरी का दूध आज भी महंगा मिलता है ,तब भी महंगा ही था।*..... अपने आश्रम में तो बकरी पाल सकते थे, पर गांधी जी तो बहुत घूमते थे।ज़रूरी नही की हर जगह बकरी का दूध आसानी से मिलता ही हो। इस बात का वर्णन स्वयं गांधीजी की पुस्तकों में है, कैसे लंदन में बकरी का दूध ढूंढा जाता था, महंगे दामों में खरीदा जाता था क्योंकि गांधी जी गरीब थे,वो सिर्फ बकरी का दूध ही पीते थे।.......
ये बात अलग है कि खुशवंत सिंह ने अपनी किताब में लिखा है कि ....
*गांधी जी ने दूध के लिए जो बकरियां पाली थी,उनको नित्य साबुन से नहलाया जाता था, उनको प्रोटीन खिलाया जाता था। उनपर 20 रुपये प्रतिदिन का खर्च होता था।*
*90 साल पहले 20 रुपये मतलब आज हज़ारों रुपये*
बाकी खर्च का तो ऐसा है कि गांधीजी अपने साथ एक दानपात्र रखते थे जिसमें वह सभी से कुछ न कुछ धनराशि डालने का अनुरोध करते थे।
इसके अलावा कई उद्योगपति उनके मित्र उनको चंदा
देते थे।
उनका एक न्यास (ट्रस्ट) था जो गांधी के नाम पर चंदा एकत्र करता था।
*उनके 75 वें जन्मदिन पर 75 लाख रुपए का चंदा जमा करने का लक्ष्य था, पर एक करोड़ से ज्यादा जमा हुए।*
सोने के भाव के हिसाब से तुलना करें तो आज के 650 करोड़ रुपये हुए।
*गांधी उतने गरीब भी नहीं थे, जितना अपने को घुट्टी पिला पिलाकर रटाया गया है।*
रविवार, 14 अगस्त 2022
जब हम पढ़ते थे
जब हम स्कूल में पढ़ते थे ( 😳 ) उस स्कूली दौर में निब पैन का चलन जोरों पर था..!
तब कैमलिन की स्याही प्रायः हर घर में मिल ही जाती थी, कोई कोई टिकिया से स्याही बनाकर भी उपयोग करते थे और बुक स्टाल पर शीशी में स्याही भर कर रखी होती थी 5 पैसा दो और ड्रापर से खुद ही डाल लो ये भी सिस्टम था ...जिन्होंने भी पैन में स्याही डाली होगी वो ड्रॉपर के महत्व से भली भांति परिचित होंगे !
कुछ लोग ड्रापर का उपयोग कान में तेल डालने में भी करते थे...😜
महीने में दो-तीन बार निब पैन को खोलकर उसे गरम पानी में डालकर उसकी सर्विसिंग भी की जाती थी और लगभग सभी को लगता था की निब को उल्टा कर के लिखने से हैंडराइटिंग बड़ी सुन्दर बनती है।
सामने के जेब मे पेन टांगते थे और कभी कभी स्याही लीक होकर सामने शर्ट नीली कर देती थी जिसे हम लोग सामान्य भाषा मे पेन का पोंक देना कहते थे...पोंकना अर्थात लूज मोशन...😧
हर क्लास में एक ऐसा एक्सपर्ट होता था जो पैन ठीक से नहीं चलने पर ब्लेड लेकर निब के बीच वाले हिस्से में बारिकी से कचरा निकालने का दावा कर लेता था !!
नीचे के हड्डा को घिस कर परफेक्ट करना भी एक आर्ट था !!
हाथ से निब नहीं निकलती थी तो दांतों के उपयोग से भी निब निकालते थे...दांत , जीभ औऱ होंठ भी नीला होकर भगवान महादेव की तरह हलाहल पिये सा दिखाई पड़ता था 😜
दुकान में नयी निब खरीदने से पहले उसे पैन में लगाकर सेट करना फिर कागज़ में स्याही की कुछ बूंदे छिड़क कर निब उन गिरी हुयी स्याही की बूंदो पर लगाकर निब की स्याही सोखने की क्षमता नापना ही किसी बड़े साइंटिस्ट वाली फीलिंग दे जाता था..!
निब पैन कभी ना चले तो हम सभी ने हाथ से झटका देने के चक्कर में आजू बाजू वालों पर स्याही जरूर छिड़कायी होगी!!
कुछ बच्चे ऐसे भी होते ( मैं नहीं 😊 ) थे जो पढ़ते लिखते तो कुछ नहीं थे लेकिन घर जाने से पहले उंगलियो में स्याही जरूर लगा लेते थे, बल्कि पैंट पर भी छिड़क लेते थे ताकि घरवालों को देख के लगे कि बच्चा स्कूल में बहुत मेहनत करता है!!
भूली हुइ यादें....
स्वतंत्रता दिवस
आज़ादी का अमृत महोत्सव @ 75
ऐसा पहली बार हो रहा है की घर- घर तिरंगा, हर घर तिरंगा शोभायमान हो रहा है पूरे देश मे। कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश भर में आज़ादी के अमृत महोत्सव की धूम मची है। सड़को पर तिरंगा यात्रा जगह - जगह निकाली जा रही है जिसमें भारत माता की जय एवं वन्देमातरम के उदघोष से वातावरण गुंजायमान हो रहा है। सड़को पर बाईक रैली, स्कूलों में देशभक्ति के कार्यक्रम, मंदिरों-मस्जिदों-गुरुद्वारों पर शान से तिरंगा लहराया जा रहा है।
आज़ादी के अमृतकाल मे देश आगे बढ़ रहा है। सम्पूर्ण विश्व मे भारत का डंका बज रहा है। भारत विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की झोली में पहली बार 22 सवर्ण सहित 61 पदक आये हैं। अन्तरिक्ष से भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से 76वें स्वतंत्रता दिवस पर भारत को बधाई संदेश मिला है। यह सब जीती-जागती-जागरुक भारतीय मोदी सरकार की उपलब्धि भी कहे तो अतिशयोक्ति न होगी।
हमें इस पावन दिन स्वाधीनता संघर्ष में अपने प्राणों के बलिदान करने वाले वीरो, स्वतंत्रता सेनानियों को नहीं भूलना चाहियें जिनकी वजह से आज हम आज़ादी से साँस ले रहे हैं साथ ही 14 अगस्त 1947 की विभाजन विभीषका में जिन्होंने अपने प्राण गवाएं उन्हें भी नमन है। जो अपना घर बार समेत सबकुछ छोड़कर आते समय उनके दिलों पर क्या बीत रही होगी यह अनुमान लगाना भी आसान नहीं है। इन सबके स्वाभिमान, साहस और संघर्ष को भी प्रणाम करते हैं।
भविष्य में भी हम सब देश की गरिमा,अस्मिता को शिरोधार्य रखने में कोई कसर न छोड़ेंगे ऐसा प्रण करते हैं। आज के पावन पर्व स्वतंत्रता दिवस पर सभी को शुभकामनाएं एवं आज़ादी का अमृत महोत्सव अमर रहे ऐसी भावना भाते हैं।
सुनील जैन राना
सहारनपुर 247001
सोमवार, 8 अगस्त 2022
रविवार, 7 अगस्त 2022
घाटे का ऊपक्रम-Bsnl
बीएसएनएल एक सरकारी उपक्रम जहां काम कम दाम ज्यादा होते हैं। एयर इंडिया की तरह हमेशा घाटे में रहना। इसीलिए सरकार ने उसे बेच दिया। अब प्राइवेट हाथों में जाकर वही ऊपक्रम मुनाफा कमायेगा। इसी तरह bsnl भी घाटे का ऊपक्रम है। न टेलीफोन ठीक रहते हैं न ही मोबाईल को सिग्नल मिलते हैं। जबकि अन्य मोबाईल कम्पनियां अच्छे से काम करती हैं।
हाल ही में मोदीजी ने इस ऊपक्रम की सपोर्ट के लिये एक लाख चालीस हजार करोड़ का पैकेज देने की घोषणा की है। अब इस विभाग के मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी पर निर्भर है की वे क्या करते हैं? याद आती है इस विभाग के पूर्व मंत्री श्री पासवान जी जिनके कार्यभार सम्भालते ही आदेश कर दिये थे की मुझे किसी टैलीफोन के खराब होने की शिकायत न मिले वरना? बस इतना कहने से ही सभी फोन ठीक हो गए।
सभी उपभोक्ता माननीय मंत्री जी से भी ऐसी अपेक्षा रखते हैं की bsnl से सभी को अच्छा नेटवर्क मिलेगा। अन्यथा एक दिन मोदीजी इसकी भी बोली लगवा देंगे।
सुनील जैन राना
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में अंतर
*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-*
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है ?
*पहला अंतर*
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे *ध्वजारोहण कहा जाता है क्योंकि यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने हेतु किया जाता है जब प्रधानमंत्री जी ने ऐसा किया था। संविधान में इसे अंग्रेजी में Flag Hoisting (ध्वजारोहण) कहा जाता है।
जबकि
26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, संविधान में इसे Flag Unfurling (झंडा फहराना) कहा जाता है।
*दूसरा अंतर*
15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं वो ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था और राष्ट्रपति जो कि राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते है, उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया था। इस दिन शाम को राष्ट्रपति अपना सन्देश राष्ट्र के नाम देते हैं।
जबकि
26 जनवरी जो कि देश में संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं
*तीसरा अंतर*
स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले से ध्वजारोहण किया जाता है।
जबकि
गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर झंडा फहराया जाता है।
*आपसे आग्रह है ये अंतर अपने बच्चों को जरूर बताएं।*
साभार
शनिवार, 6 अगस्त 2022
धन से सुखनहीँ
मुकेश अंबानी आज सुबह अपने बंगले में Gold Coated मार्बल की डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। सामने चांदी की प्लेट व बाउल में अनसाल्टेड स्प्राउटस् और बिना शक्कर की चाय पी रहे थे।
फिर कुछ देर बाद अनसाल्टेड ओकरा (भिंडी) की एक सब्जी और बिन घी तेल की दो चपाती और गर्म खनिज पानी ले रहे थे।
7,000 करोड़ रुपये का घर, दस नौकरों द्वारा नाश्ता मिल रहा था, पचासों एसी चल रहे थे, पंखे हवा दे रहे थे। इमारतों के नीचे से प्रदूषण का धुआं निकल रहा था। ऐसे माहौल में नाश्ता कर रहे थे अंबानी...😊
वहीं दूर खलिहान में दूर कुएं की मेढ़ पर एक खेतिहर मजदूर बैठा था।
वो छोले की तरी वाली सब्जी के साथ ४ परांठे, हल्दी-मसाले में पकी भिंडी व साथ में अचार भी खा रहा था। मीठे में गुड़ और पीने के लिए बर्तन में ठंडा पानी था।
सामने हरे-भरे खेत, शुद्ध हवा में लहराती फसलें, ठंडी हवाएं, चिड़ियों की चहचहाहट, और वह आराम से खा कर रहा था।
500 रुपए कमाने वाला एक खेतिहर मजदूर वह खा रहा था जो 7 अरब रुपए का मालिक नही खा पा रहा था।
अब बताओ इन दोनों में क्या अंतर था? 🤔
अंबानी 60 साल के हैं और मजदूर भी 60 साल का है।
नाश्ते के बाद अंबानी मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल और बीपी की गोलीयाँ ले रहे थे और वह खेतिहर मजदूर चूने के साथ पान खा रहा था।
कोई हीन नहीं, कोई महान नहीं।
इसलिए, खुशी की तलाश मत करो, सुख महसूस करो।
"अतुलनीय आनंद" के उत्पादन पर जीएसटी 0% है।
खुद को ढूँढें, बाकी सब कुछ गूगल पर है।
क्या करा है मोदीजी ने
*🇮🇳मेरा भारत महान 🇮🇳*
दुनियाँ के 25 सबसे ताकतवर देशों की हुई लिस्ट जारी ,,, भारत आया नम्बर 3 पर, हम से आगे अमेरिका, रूस हैं l ये है मोदी युग ,,,*🔺 दूसरी उपलब्धि* ,,, 1.4- 1.5 लाख करोड़ के पार पहुँचा GST का मासिक टैक्स कलेक्शन ,,,,, ये है ! एक चाय वाले का अर्थशास्त्र ,,,*🔺 तीसरी उपलब्धि* ,,, नए सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने में , अमेरिका और जापान को पीछे छोड़ , भारत पहुँचा दूसरे स्थान पर ,,,,*🔺 चौथी उपलब्धि* ,,,,, 2017-18 में दो गुना हुआ , सौर ऊर्जा का उत्पादन ,,,, चीन और अमेरिका भी दंग हैं ,,, *🔺 पाँचवी उपलब्धि* ,,, भारत की आसमान छू रही , GDP को देखकर ,,, भारत की GDP 8.2% , चीन की 6.7% और अमेरिका की 4.2% ! अब भी कहेंगे , भारतीय की मोदी विदेश क्यों जाते हैं,,,*🔺 छठी उपलब्धि* ,,, जल , थल और आकाश ; तीनों क्षेत्रों से सुपरसोनिक मिसाइल दागने वाला , दुनियाँ का पहला देश बना भारत ,,, ये है मोदी युग ,,, अगर आपको गर्व हुआ हो , तो जय हिन्द लिखना न भूलें ,,,,*🔺 सातवीं उपलब्धि* ,,,, 70 सालों में पाकिस्तान को कभी गरीब नहीं देखा ,, लेकिन मोदी जी के आते ही पाकिस्तान कंगाल हो गया ,,, दरअसल पाकिस्तान की कमाई का जरिया , भारतीय नकली नोटों का व्यापार था ,,,, जिसे मोदी जी ने खत्म कर दिया ,,,*🔺 आठवीं उपलब्धि* को भी पढ़ें ,,,,,, एक बात समझ में नहीं आयी ,,, 2014 में कांग्रेसी रक्षामंत्री ऐ. के. एंटोनी ने कहा था , देश कंगाल है , हम राफेल तो क्या , छोटा जेट भी नहीं ले सकते ,,,, पर मोदीजी ने ईरान का कर्ज भी चुका दिया ,,, राफेल डील भी करली ,,, S - 400 भी ले रहे हैं ! आखिर कांग्रेस के समय देश का पैसा कहाँ जाता था ,,, ❓*🔺 नवीं उपलब्धि* ,,, सेना को मिला बुलेटप्रूफ स्कार्पियो का सुरक्षा कवच ,,, जम्मू कश्मीर में मिली सेना को 2500 बुलेटप्रूफ स्कार्पियो ,,,*🔺 दसवीं उपलब्धि* ,,, अब आपको बताता हूँ , भारत का इन 4 सालों में विकास क्या हुआ ,,,अर्थ व्यवस्था में फ्रांस को पीछे धकेल नम्बर 6 बना ,,,*🔺 ग्यारहवीं उपलब्धि* ,,, ऑटो मार्केट में जर्मनी को पीछे छोड़ नम्बर 4 बना ,,,*🔺 बारहवीं उपलब्धि* ,,,, बिजली उत्पादन में रूस को पीछे छोड़ नम्बर 3 बना ,,,*🔺 तेरहवीं उपलब्धि* ,,, टेक्सटाइल उत्पादन में इटली को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना ,,,*🔺 चोदहवीं उपलब्धि* ,,, मोबाइल उत्पादन में वियतनाम को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना,,, *🔺 पंद्रहवी उपलब्धि* ,,, स्टील उत्पादन में जापान को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना ,,,*🔺 सोलहवीं उपलब्धि* ,,, चीनी उत्पादन में ब्राजील को पीछे छोड़ नम्बर 1 बना ,,,*🔺 सतरहवीं उपलब्धि* ,,, हमेशा सोए रहने वाले हिंदूओं में *राष्ट्रवाद* जगा दिया , पूरी दुनियां के सवा सौ करोड़ हिंदुओं का एक भी राष्ट्र नहीं है ! मैं इस काम को सबसे महत्वपूर्ण मानता हूँ ❗*इसको कहते हैं , मोदी युग*मोदी सरकार में घाटी से हो रहा है , आतंकियों का सफाया ,,,8 महीनों में 230 आतंकियों को 72 हूरों के पास जहन्नुम में पहुंचाया❗ 🔺कांग्रेस राज में आतंकी दहशत फैलाते थे ! मोदी राज में सेना आतंकियों के लिए *दहशत* बनी हुई है ,,, ये है मोदी राज का फार्मूला🔺आइए , आज हम सब मिलकर , एक संकल्प ले , कि इस सेवक को 2024 में इतने भारी बहुमत से विजयी बनावें की , वह आंकड़ा गिनीज बुक में दर्ज होकर रह जाय ! जिस आंकड़े को कोई छू भी न सके ,,,,,*2024 में मोदी जी को तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री बनाने में पूरी ताकत लगा दें* ‼️ *जय हिन्द - जय भारत* कृपया करके 2 minute का समय निकाल कर इसे देश हित में जरूर शेयर करें ।।✍🏻🙏🏻
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