बुधवार, 28 नवंबर 2018


मरने वाले थे जो कबूतर , अब मस्ती कर रहे हैं

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श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र में सैंकड़ो कबूतर मस्ती करते रह रहे हैं। दरअसल सहारनपुर में अनेक मुस्लिम बंधु
कबूतर पालते हैं। अक्सर सर्दियों में कबूतरों को नज़ला -ठंड और लकवे की बीमारी हो जाती है। यह बीमारियां
एक से दूसरे में जल्दी फैलती हैं। ऐसे में कबूतर पालक ज्यादा बीमार या यो कहिये की मरने की हालत वाले कबूतरों को संस्था में छोड़ जाते हैं। हालांकि संस्था द्वारा कबूतरों के लिए निःशुल्क दवाई दी जाती है फिर भी अनेक कबूतर संस्था में छोड़ जाते हैं। ऐसे कबूतरों का उपचार -दानापानी -देखभाल संस्था द्वारा होने पर उनमे से अनेक कबूतर बचा लिए जाते हैं। जिन्हे हम वापिस नहीं करते हैं।

मज़े की बात यह है की संस्था में रहने वाले कबूतर कहीं जाने को भी तैयार नहीं होते। यहां इन्हे चार प्रकार का
अनाज दिया जाता है। नहाने और पीने को कई मिटटी के बड़े बर्तन पानी से भरे रहते हैं जिनमे ये कबूतर मस्ती
भी करते हैं। 

कबूतर को हम शांति दूत मानते हैं लेकिन मेरी समझ में कबूतर बहुत शैतान पक्षी है। ये आपस में ही एक दूसरे को बर्दास्त नहीं करते। बीमार कबूतर को परेशान करते हैं। इस पर मै कभी एक लेख लिखूँगा। 

श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र ,चिलकाना रोड ,सहारनपुर -247001 द्वारा हज़ारो पशु पक्षियों की जान बचाई जा
चुकी है। हम मनुष्य हैं ,मानवता -जीव दया की भावना हम सबमें होती ही है। फिर क्यों न हम मूक पशु पक्षी
जो घायल है बीमार है असहाय है उसके लिए कुछ उपचार की सोचे। खुद नहीं कर सकते तो हमारे यहां तक
भिजवाने में सहयोग करें। निःशुल्क उपचार होता है यहां। इतना भी नहीं कर सकते तो यहां रहने वाले बीमार
घायल पशु पक्षी के लिए कुछ दान -अनाज -दूध -चारा आदि देकर भी सहयोग कर सकते हैं।

निवेदक -सुनील जैन राना  (संयोजक )श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र , सहारनपुर -247001 
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मंगलवार, 27 नवंबर 2018



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 सुनील जैन राना  ( संयोजक )

श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र , चिलकाना रोड , सहारनपुर 247001 


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श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र
चिलकाना रोड ,सहारनपुर -247001 (उ प्र )

पिछले लगभग ६० सालों से संस्था असहाय बीमार पशु पक्षियों का निःशुल्क उपचार करती है। सड़क पर घायल
पशु पक्षी को सिर्फ संस्था में पहुंचा दें बाकी का कार्य संस्था करती है। असहाय पशु पक्षी का उपचार ,खाना पानी ,रहने की व्यवस्था एवं देखभाल संस्था करती है। अनेक कुत्ते जिनपर गाड़ी चढ़ जाती है पसलियां आदि टूट जाती हैं उनके बाकि के जीवन तक उनका उपचार ,खाना पानी ,देखभाल संस्था के कर्मचारी करते हैं।

श्री दिगंबर जैन बाल बोधनी सभा द्वारा संचालित यह संस्था जीव दया के कार्यो के लिए दूर दूर तक प्रशिद्ध है।
सैंकड़ो कबूतर जो लकवा ग्रस्त आते हैं अनेक बचा लिए जाते हैं। जो यहां मस्ती से रहते हैं। जिसका कोई नहीं
उसके लिए यह संस्था उपलब्ध है

मै सुनील जैन राना  लगभग पिछले २० सालों से संस्था की देखरेख करता हूँ और संस्था का संयोजक हूँ। चाहता
हूँ लोगो में जीव दया की भावना बलवान हो और सड़क पर घायल बीमार पशु पक्षी के प्रति दया भाव रखते हुए
उसका उपचार करें या संस्था में पहुंचाने की कृपा करें।

संस्था द्वारा नगर में जगह जगह पशु प्याऊ भी बनवाये गए हैं जिनसे बोझा ढोने वाले मूक पशु पानी पीकर अपनी
प्यास बुझाते हैं। रास्ते में पानी उपलब्ध हो तो पशु मालिक भी अपने पशु को पानी पिला ही देता है। चाहता हूँ
प्रत्येक राज्य -नगर -शहर -देहात -गांव में ऐसे पशु प्याऊ बनवाये जाएँ। यह बहुत पुनीत कार्य है। सरकार के
पशु पालन विभाग को भी इस और ध्यान देना चाहिए।

अहिंसा परमोः धर्म * जियो और जीने दो * धन्यवाद  * सुनील  जैन राना - संयोजक 

शुक्रवार, 23 नवंबर 2018



पंजाब -हरियाणा में खूब पुराली जलाई गई - करोड़ो खर्च किये गये
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पुराली जलाने से प्रदूषण की अधिकता को देखते हुए इस बार पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारों ने किसानों

से पुराली न जलाने की अपील की। कारण यह बताया की पुराली जलाने से दिल्ली तक उसका असर जाता है

और प्रदूषण की मात्रा बेहताशा बढ़ जाती है।

सरकार के बहुत आग्रह के बाद भी दोनों राज्यों के किसानों ने खूब पुराली जलाई और खूब प्रदूषण किया।

समाचार की मुख्य बात यह है की पुराली न जलाने के ंद में दोनों राज्यों ने करोड़ो रूपये खर्च कर डाले। अब

समझ में यह नहीं आ रहा की इतना धन किस मद में किस तरह खर्च किया गया होगा ?

अच्छा होता इतने धन से सरकार किसानो को कोई तकनीक उपलभ्ध कराती जिसमे पुराली से कुछ निर्माण

किया जाता या फिर खाद आदि बनाने के बारे में बताया जाता।

यह तो ऐसा ही हुआ जैसे बाढ़ राहत के कार्यो में नदी -नालो पर पुलिस कर्मियों को डंडा लेकर बैठा दिया जाता है

पुलिस वाले से पूछो की बाढ़ आने पर वह डंडे से कैसे बाढ़ को रोकेंगे तो जबाब रोचक से देते हैं।

सरकार को पुराली जलाने से किसानो को रोकने के लिए ठोस योजना बनानी चाहिये। किसानों को पुराली से

कुछ अच्छे विकल्प बताने चाहिये। पुराली से खाद आदि बनाने की तकनीक और उस पर सब्सिडी देने की

योजना बनानी चाहिए। तभी किसान पुराली जलाने की बजाय उसका उपयोग करेंगे।

 http://suniljainrana.blogspot.com/

शनिवार, 3 नवंबर 2018



राम के देश में राम मन्दिर बनेगा या नहीं ?
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रामायण काल से ही भारत देश में हिन्दू संस्कृति रच बस रही है। प्राचीन काल से ही अनेक संस्कृतियों का उत्थान एवं पतन होता रहा है। सैंकड़ो साल पहले का अखंड भारत आज अनेक खंडो में विभाजित हो चुका है। खासकर
 मुगलकाल में कुछ मुस्लिम शासकों द्वारा हिन्दू एवं जैन धर्म के मंदिरो एवं ग्रंथो को बहुत हानि पहुंचाई गई। अनेकों मंदिर तोड़ दिए गए ,अनेको मंदिरो को मस्जिद में तब्दील कर दिया गया। उनका मुख्य उद्देश्य यह रहा की सिर्फ इस्लाम धर्म होना चाहिए एवं सभी को इस्लाम धर्म मानने वाला होना चाहिए।

मुगलकाल में राजा अकबर के समय अकबर ने सभी धर्मो की महत्ता समझते हुए एक नया धर्म चलाया जिसे    *दीन ए इलाही * नाम दिया गया। इसमें सभी धर्मो को समाहित कर सभी धर्मो की अच्छी बातों को अपनाने पर जोर दिया गया। राजा अकबर के दरबार में भी सभी धर्मो के लोग दरबारी रहे हैं। नौ रत्नो के नाम से प्रसिद्ध नौ दरबारी जिनमे बीरबल  का नाम बहुत प्रसिद्ध है। बीरबल की बुद्धि का लोहा अकबर समेत सभी मानते थे।

अकबर के बाद के कुछ मुगल शासकों ने दीन ए इलाही को खत्म कर फिर से इस्लाम धर्म का पताका फहराना शुरू किया और हिन्दू एवं जैन धर्म पर प्रहार करना शुरू कर दिया। मुगलों के बाद भारत पर अंग्रेजो ने राज किया। अंग्रेजो से लड़ाई में धर्म से बढ़कर आज़ादी की लड़ाई महत्वपूर्ण हो गई। इस लड़ाई में सभी धर्मो के लोगो ने मिलकर भाग लिया और सभी के सहयोग और बलिदान से से भारत आज़ाद हुआ।

आज़ादी के बाद हिन्दू -मुस्लिम विवाद फिर से गहराया और बटवारें में पाकिस्तान का जन्म हुआ। पाकिस्तान मुस्लिम देश बन गया और भारत को हिन्दू देश न बनाकर धर्म निरपेक्ष देश बना दिया गया। भारत में सभी धर्मो के लोग मिलजुलकर रहते आये हैं। लेकिन भारत के कुछ नेता अपनी नेतागिरी चमकाने को नए नए फंडे ढूंढते रहे हैं ,जिसके फलस्वरूप भारत  विसंगतियों ने जन्म ले लिया। इनमें जातिवाद को बढ़ावा देकर वोटबैंक बनाने
के लिए घिनौने कार्य तक करने से नेतागण बाज़ नहीं आये।

आज देश में जातिवाद ने इतने पैर पसार लिए हैं की कोई भी मुद्दा हो उसमें धर्म घुसा दिया जाता है। देश की जनता आपस में मिलजुलकर रहती है ,रहती आयी है। लेकिन नेताओं ने वोटों की खातिर आपस में लड़वाना शुरू कर दिया है। कुछ मुद्दे जो आपसी सहमति से सुलझ सकते हैं उन्हें भी उलझाकर रख दिया। कुछ नेता लोग देश में शांति चाहते ही नहीं उन्हें सिर्फ कुर्सी प्यारी है। कुर्सी के लिए वे कुछ भी अनर्गल करने को तैयार हैं।

देश में तीन दशक से अयोध्या में राम मंदिर का मसला कुछ राजनैतिक पार्टियों के लिए वोटबैंक बन गया है तो कुछ दल इसका विरोधकर अपना वोटबैंक बना रहे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया हुआ हुआ है। लेकिन कोर्ट इसपर फैसला नहीं दे पा रही है। तारीख पर तारीख लगाई जा रही है। हाल ही में कोर्ट द्वारा फैसला ना देने और आगे की तारीख लगा देने से राजनीति गरमा रही है। हिन्दू वादी दलों एवं देश की अधिकांश हिन्दू जनता अयोध्या में राम मंदिर बनने के पक्ष में बढ़चढ़कर बयान देने में लह गए हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी अभी भी कोर्ट के फैसले की इन्तजार में है। जबकि बीजेपी के कुछ नेता एवं सहयोगी पार्टी शिवसेना ने बीजेपी को ही आड़े हाथो लेना शुरू कर दिया है। वे चाहते हैं की यदि फैसला नहीं आ रहा है तो जनता की भावना अनुसार अध्यादेश लाकर ेआम मंदिर का निर्माण शुरू कराया जाये। जबकि विरोधी पक्ष कोर्ट के फैसले को मानने की बात करता है और अध्यादेश की बात को गलत बताता है।

अब आपसी सहमति की कोई संभावना नज़र नहीं आ रही है। राम भक्त राम मंदिर बनाने को व्याकुल हैं। आने वाले समय में भारतीय राजनीति में बहुत तूफ़ान उठने की संभावनाएं नज़र आ रही हैं। लेकन क्या ही अच्छा हो की आपसी सहमति से राम मंदिर का निर्माण हो। हिंदुओं के बहुत मंदिर तोड़े गए लेकिन फिर भी देश भर में हिन्दू सभी के साथ मिलजुलकर रहते आये हैं। ऐसे में विरोधी पक्ष भाई चारा कायम रखते हुए राम मंदिर बनाने की सहमति प्रदान करे तो यह भारतीय इतिहास का स्वर्ण काल कहलायेगा। भारत में जातिवाद से परे एक आपसी सहयोग से जीवन जीने की कला की नई शुरुवात होगी।                                 *सुनील जैन राना *



अलसी के फायदे

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