मरने वाले थे जो कबूतर , अब मस्ती कर रहे हैं
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श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र में सैंकड़ो कबूतर मस्ती करते रह रहे हैं। दरअसल सहारनपुर में अनेक मुस्लिम बंधु
कबूतर पालते हैं। अक्सर सर्दियों में कबूतरों को नज़ला -ठंड और लकवे की बीमारी हो जाती है। यह बीमारियां
एक से दूसरे में जल्दी फैलती हैं। ऐसे में कबूतर पालक ज्यादा बीमार या यो कहिये की मरने की हालत वाले कबूतरों को संस्था में छोड़ जाते हैं। हालांकि संस्था द्वारा कबूतरों के लिए निःशुल्क दवाई दी जाती है फिर भी अनेक कबूतर संस्था में छोड़ जाते हैं। ऐसे कबूतरों का उपचार -दानापानी -देखभाल संस्था द्वारा होने पर उनमे से अनेक कबूतर बचा लिए जाते हैं। जिन्हे हम वापिस नहीं करते हैं।
मज़े की बात यह है की संस्था में रहने वाले कबूतर कहीं जाने को भी तैयार नहीं होते। यहां इन्हे चार प्रकार का
अनाज दिया जाता है। नहाने और पीने को कई मिटटी के बड़े बर्तन पानी से भरे रहते हैं जिनमे ये कबूतर मस्ती
भी करते हैं।
कबूतर को हम शांति दूत मानते हैं लेकिन मेरी समझ में कबूतर बहुत शैतान पक्षी है। ये आपस में ही एक दूसरे को बर्दास्त नहीं करते। बीमार कबूतर को परेशान करते हैं। इस पर मै कभी एक लेख लिखूँगा।
श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र ,चिलकाना रोड ,सहारनपुर -247001 द्वारा हज़ारो पशु पक्षियों की जान बचाई जा
चुकी है। हम मनुष्य हैं ,मानवता -जीव दया की भावना हम सबमें होती ही है। फिर क्यों न हम मूक पशु पक्षी
जो घायल है बीमार है असहाय है उसके लिए कुछ उपचार की सोचे। खुद नहीं कर सकते तो हमारे यहां तक
भिजवाने में सहयोग करें। निःशुल्क उपचार होता है यहां। इतना भी नहीं कर सकते तो यहां रहने वाले बीमार
घायल पशु पक्षी के लिए कुछ दान -अनाज -दूध -चारा आदि देकर भी सहयोग कर सकते हैं।
निवेदक -सुनील जैन राना (संयोजक )श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र , सहारनपुर -247001
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