शनिवार, 13 जनवरी 2018



झूठ का पुलिन्दा - राशिफल
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भौतिक युग की चकाचौंध में आधुनिकता का लबादा

ओढ़कर भाग्य के भरोसे जिंदगानी चल रही। किसी भी

पत्रिका में या समाचार पत्र में राशिफल से जानो अपना

भाग्य कॉलम जरूर ही होता है या यों कहिये की ज्यादातर

होता ही है।

समझ में नई आता की १२५ करोड़ की आबादी वाले देश में

एक नाम के करोड़ो इंसान हो सकते हैं। फिर कैसे एक नाम

का राशिफल सबके लिए समान हो सकेगा ?

समाचारपत्रों में प्रतिदिन का राशिफल छपता है तो पत्रिकाओं

में साप्ताहिक या मासिक राशिफल प्रकाशित किया जाता है।

अब इसमें सोचने की बात यह है की एक नाम के करोड़ो इंसान

जिनमें कोई करोड़पति तो कोई रोडपति यानि गरीब या कोई

भिखारी भी हो सकता है। ऐसे में कुंडली समान कैसे हो सकेगी ?

राशिफल में लिखा है की आज यात्रा का संयोग है या हवाईजहाज

से यात्रा का संयोग है। तब कैसे किसी गरीब को ऐसा संयोग

मिल सकता है क्या ?

लिखने वाले पंडित -ज्योतिष लिख देते हैं और सम्पादक -प्रकाशक

भी उन्हें प्रकाशित कर देते हैं लेकिन इसमें सत्यता का बहुत अभाव

होता है। मज़े की बात तो यह है की आज के आधुनिक -भौतिक युग

में ऐसे कॉलम पढ़ने वाले भी कम नहीं हैं। इंसान कितना भी आधुनिक

हो जाए किन्तु उसके अंदर की रूढ़िवादिता उसका पीछा नहीं छोड़ती।


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